Saturday, December 30, 2023

सब निषेधक बाद जे अछि सएह ब्रह्म

ब्रह्म नै छथि सुर-असुर, ने- मनुज-तिर्यक योनि ओ छथि । ओ ने नर-नारी-नपुंसक, वा ने-आने जीव ओ छथि । ओ ने गुण वा कर्म, कारण- कार्य ने किछुओ थिका ओ । शेष सब किछु निषेधक- बादे जे बाँचय, से थिका ओ ।।

Friday, December 29, 2023

भक्तिक प्रबल डोर

मोन कुण्ठित जनिक, कृष्णक- तत्व किछु नै बूझि सकता । मुदा भक्तिक प्रबल डोरें- भक्त हुनका लूझि सकता ।। शास्त्र के अवहेलि क' जे- व्यक्ति भगवद्भक्त बनता । भक्ति तिनकर व्यर्थ, जग मे- व्यवस्था से नष्ट करता ।। मात्र ढोंगी कहथि हल्लुक, भक्ति मार्गो सरल नै अछि । ज्ञान ने जिनका हो भक्तिक, सुगम से एकरा कहै छथि ।। मारि ममता-मोह-मत्सर कृष्ण सबकिछु जैह बूझति । सैह टा छथि भक्त असली, मर्म भक्तिक सैह बूझति ।।

अहं तजि विज्ञता बढ़ाबी

अपन परिचय दैछ कर्मे, बाजि नहि मिट्ठू कहाबी । मात्र एतबे ध्यान राखी नीक कर्में जश बढ़ाबी ।। नीक कर्में जश बढाबी, वित्त यौवन होइछ चञ्चल । शुभे कर्में कएल अर्जित, कीर्तिए टा हो अचञ्चल ।। अज्ञता तजि ज्ञान बढबी, भेटय सुअवसर जखन । अहंता तजि नम्रता सँ विज्ञता बढबी अपन ।। *******************

Friday, December 22, 2023

हम वैह छी ।

अही देह मे हम कखनो शूद्र, कखनो वैश्य, कखनो क्षत्रिय आ कखनो ब्राह्मण बनि जाइत छी । जखन हम शौचालय मे मलमूत्र विसर्जन मे, स्नान करैत काल देहक सफाइ- वस्त्र खिचनाइ आ प्राक्षालन मे, नाली-गली-रस्ताक साफ-सफाइ मे लागल रहैत छी तँ शूद्र बनि जाइत छी । जखन हम पेट-पूजाक जोगार मे आ हाल-रोजगार- व्यापार-नोकरी मे रहै छी तँ वैश्य बनि जाइत छी । जखन हम परिवार-समाज-देशक- रक्षा मे लागल रहैत छी तँ क्षत्रिय बनि जाइत छी । आ जखन पूजा-पाठ, अध्ययन-अध्यापन, यज्ञ-जाप मे रहैत छी तँ ब्राह्मण भ' जाइत छी । तहिना भक्ति मार्ग-साकार-भाव, ज्ञान मार्ग-निराकार-अद्वैत भाव, सेवा भाव, प्रेम भाव, अहिंसा-करुणा भाव आ एके संगें सब भाव अपना क' हमसब अलग-अलग धर्मक उपासक भ' जाइत छी । मुदा, असली बात ई अछि जे, अलग-अलग रहन-सहन, अलग-अलग खान-पान, अलग-अलग चोला, अलग-अलग भाव, अलग-अलग उपासना-पद्धति रहितो, हम वैह छी, हम सैह छी, हम एक्के छी, हम एकमात्र सत्य छी !!!! **********************

प्रलयकाल जनु आबि रहल अछि ।

किछुदिन पहिने गामक लोकक शहरे दिस पड़ाहि लागल छल, मृगतृष्णा मे भटकैत जन कें ब्याधि नगर के चाभि रहल अछि, ब्याधि नगर के.........। सब कियो बसता जा गामे मे बाहर मे जिनगी छनि दुर्लभ, जेना जहाजक पंछी उड़िक' पुनि जहाज पर आबि रहल अछि, पुनि जहाज ........। भेल नदी-नाला सब दूषित भू-गर्भी जल सेहो प्रदूषित, गंदे जल के पीबि-पीबि सब खूब रोग के लाबि रहल अछि, खूब रोग........ । गर्दे-धूएँ वायु भरल अछि स्वांस लेब सेहो ने सरल अछि खाँसि-खाँसिक' ब्याकुल अछि सब मृत्यु-राग सब गाबि रहल अछि, मृत्यु राग .......। गाछ-बिरिछ सबटा कटि गे'लै आक्सीजन दुर्लभ भ' गे'लै, धूआँ-धुक्कुर भरल शहर मे गामे दिस सब भागि रहल अछि, गामे दिस.........। मच्छर के सम्राज पसरलै कालाज्वर डेंगू भरि गे'लै, नित-नित नव-नव रोग सुनै छी बूढ़-युवो के मारि रहल अछि, बूढ़ युवो ...........। हरियर सब्जी कोना क' खायब खाक' निरुज कोना रहि पायब, कीटनाशकें भरल-पड़ल सब सबहक मुख के जाबि रहल अछि, सबहक मुख.......... । पर्यावरण असंतुल भए गेल बर्फ पघिल क' बाढ़ि आबि गेल, पठा सुनामी, भुवकम्पहुँ के काल गाल मे दाबि रहल अछि, काल गाल .........। जल दूषित पवनो भेल दूषित खाद-पदार्थो भेल प्रदूषित, प्राण कोना कँ बाँचत लोकक प्रलयकाल जनु आबि रहल अछि, प्रलयकाल जनु.......।। *****************************

Wednesday, December 13, 2023

नित्य अनकेलेल जीबह

कथूके सुधि-बुधि रहय नहि सतत रासे-रंग डूबल । मात्र अपने लेल जीलहुँ त्याग के किछुओ ने बूझल ।। सोचल ने पर लेल कहियो स्वार्थ मे पागल छलहुँ । क्यो अचानक द्वार पिटलक निन्न सँ जागल छलहुँ ।। फोलल त' देखबा मे आयल वृद्ध एकटा ठाढ़ सन्मुख । " के थिकौं, अछि की प्रयोजन"? -भेलहुँ ओइ बूढ़ा सँ उन्मुख ।। आयल ओइ बूढाक उत्तर- "कुदब-फानब के तजू । हम अहाँ केर बुढापा छी चैन सँ सूतल करू ।। करू स्वागत आब हम्मर तुरत अन्दर बजा लीय' । अहाँ लेल विश्राम समुचित दे'ह मे स्थान दीय' ।।" कहलियनि-" नै आउ भीतर, आब नै हम रहब सूतल । एखन तक बेसुध छलहुँ, नहि- नीन्द मे हम रहब डूबल ।। छलहुँ माया मे फँसल हम, आब तँ जगबाक अछि । जिलहुँ अपने लेल, किछुओ- दोसर लेल करबाक अछि ।। आइ दिन सँ कान पकड़ी झूठ हम कहियो ने बाँचब । स्नेह सबसँ करब सबदिन सतत सबहक दुःख बाँटब ।।" बुढापा बाजैछ-"चिन्ता- कथू के तों जुनि कर' । जँ एहन छह सोच तँ- तों, चैन सँ एत्तहि रह' ।। आन लोकक लेल जावत- काल तक एत्त तों रहबह । उम्र कतबो भ' जेतह, तैयो ने कहियो बूढ़ बनबह ।। खूब जीबह परहितक लेल, स्वस्थ आ आनंद रहबह । नित्य अनके लेल जीबह, सतत परमानंद रहबह ।। सतत परमानंद रहबह!!!!" ************************

Tuesday, December 5, 2023

अहाँ अनमोल छी

अहाँक स्वाभिमान अमूल्य थिक, दुनियाँक सबसँ पैघ वस्तु थिक । कियो कतबो प्रलोभन दिअय ज़मीर गमाक' झुकनाइ अपन अस्तित्व मिटेबाक सदृश थिक । कियो अहाँके ऐ लेल महत्व दैत अछि किऐक तँ ओकरा अहाँक क्वालिटीक आवश्यकता छैक । जखने झुकि गेलहुँ, स्वाभिमान समाप्त क' लेलहुँ, अहाँ समाप्त भ' गेलहुँ । "यूज एन्ड थ्रो" भौतिक सिद्धान्त छैक । अहाँक इस्तेमाल क' लेलाक बाद अहाँ "थ्रो" क' देल जायब । तैं अपन जमीर बचाक' राखू । अपना के अंडरइस्टिमेट कहियो नै करू, अहाँ अनमोल छी, अहाँ अनुपम छी, अहाँ ब्रह्माण्ड मे सबसँ महान छी ! सबसँ महान छी !!! ***************

Saturday, December 2, 2023

जँ ने अप्पन छाप छोड़लौं

जन्म लए लाखो-करोड़ो निरर्थक चलि जाइछ जगसँ । जँ ने अप्पन छाप छोडलौं जीबिएक' कथी कएलौं!! जनमि जगमे लोकसब जीबैछ अपने लेल अइठाँ । जँ ने अनकर नोर पोछलौं जीबिएक' कथी कएलौं !! हँसय-बाजय खूब मस्ती करै अछि सब लोक जगमे । दीन-हीनक मुख ने मुस्की- लाबि सकलौं, तँ की जीलौं!! काम भय आहार निद्रा पशु-मनुज दुहुँमे एके रंग । धर्म टा सुविशेष मनुखक पशुवते जीक' की जीलौं!! कथी लेल भेल जन्म बिसरल व्यसनमे डूबल रहै छी । आत्मज्ञानक लाभ नै तँ जन्म लइएक' की केलौं!!! ****************************

Thursday, November 30, 2023

नेत्र

नेत्र द्वय तँ भेटल सबके एके रंग नै दृष्टि सबहक । किछु गोटे स्थूल देखथि शूक्ष्ममे डूबल थोड़े छथि ।। मूल्य समयक के चुकायत अमूल्ये एकरा बुझू । बीति गेल जे क्षण, जगक- सबटा धनो नै घुमा सकता ।। शास्त्र के विद्वान यद्यपि मूर्ख तैयो रहि सकै अछि । जे क्रियामे सेहो उत्तम सैह सबसँ पैघ पंडित ।। जदपि वाणी शास्त्रपूरित मोन पापेमे रमल छै । गिद्ध नभमे उड़य ऊँचे दृष्टि मुर्दे पर गड़ल छै ।। समय होबय अमुल, एकरा व्यर्थमे जे क्यो गमयता । घुरि ने लौटय एकोटा क्षण जीवने बरबाद करता ।। बनि ने सकलहुँ महादानी, लोक सेवाके के रोकत? भले नै तरुवर फड़ल के रोकि सकता छाँहके ।। बिलाड़ियो-कुकुरो आ नढ़ियो जगमे अपना लेल जीबय । व्यर्थ बूझी तकर जिनगी जे ने अनका लेल जीबय ।। ******??*************?***

Tuesday, November 28, 2023

आगाँ-पाछाँ

एके सागर केर नाविक कियो अति प्राचीन छथि । कियो नवसिखुआ एतय तँ कियो अर्वाचीन छथि ।। देखिक' चिंता करू नहिं फलाँ बढि गेल बहुत आगाँ । जखन घुरती काल देखब छूटि जायत बहुत पाछाँ ।। ठाढ़ सैन्य परेड मे छथि सकल सैनिक, किछु गोटे छथि अंत तँ किछु आदि छथि । 'मुडू पाछाँ' होइत अछि आदेश जखनहिं, जे छला अन्तिम से से बनि गेल आदि छथि ।। अहं जुनि क्यो करी हम छी बहुत आगाँ, गम कियो नहिं करथु जँ भ' गेलहुँ पाछाँ । काल के गति शूक्ष्म हिनका क्यो ने जानय, की पता आदेश हो 'मुड़ि जाउ पाछाँ' ।। विपति गिरि सम होय यद्यपि मुदा सदिखन धैर्य राखू, आश ईशक धरू सबदिन कुपथ पर नहिं डे'ग राखू । धैर्यपूर्वक शांत चित्तें दिवस के फेरी के दे'खू, नीक दिन आयत जरूरे सुपथ पर नित डे'ग राखू ।। ***********************

पूजा-पाठ

जरूरी नै सतत पूजे- पाठमे लागल रही । रही जँ उपकार रत तँ सैह पूजा-पाठ थिक ।। सतत चिन्तन भूत वा ने भविष्येमे रही लागल । वर्तमानेमे रही जँ तँ सैह सबसँ नीक थिक ।। जुनि बुझी अन्हर-बिहाड़िक कुप्रभावे हो सतत । सतर्को राखैछ सबके, मार्गके साफो करय ।। विफलता सँ जुनि कनिकबो निराशाके भाव आबय । "आर कसगर प्रयासक अछि जरूरति" हो सोच मनमे ।। जुनि करी अनकर प्रतीक्षा अपन पैरुख तक लड़ी । हृदयमे धरि ईशके, भिड़ने सफलता भेटय निश्चय ।। **************???***??

Monday, November 27, 2023

दिव्यलोकक संग

दिव्यलोकक संग नै ऐ लेल जे किछु पाबि ली हम । लाभ एतबा बुझि पड़य हमरो सनक जन सुधरि जाइ अछि ।। जीवनक सौंदर्य ई नहि अहाँ कतबा खुश रहै छी । अछि असल सौंदर्य जे अछि लोक कतबा खुश अहाँसँ ।। आगमन आ गमन अहिना जगतमे लागल रहै छै । देलनि आहुति जगत लेल जे सैह मुइलो पर जिबै छथि ।। खन उदासी खन खुशी खन हो पराजय विजय कखनो । सड़क जिनगी केर अहिना मंद गतिएँ अंत होमय ।। बाह्य भौतिक सुख क्षणिक थिक असल थिक अंतःकरण सुख । बाह्य सुख तँ सुखे नै थिक दुख भरल सुखरूप थिक ई ।। ***************************??

Saturday, November 25, 2023

अनकर दोख नै देखी

बोल कोइली केर होमय सकल पक्षी मध्य सुंदर, रूप जँ कारी ने होइतय तखन होइतय आर उत्तम । उदधि छथि आश्रय सगर जलजीव के संसार मे, जँ ने खारा अम्बु होइतय तखन होइतय आर उत्तम । अति सुगन्धित होइत अछि सबटा गुलाबक फूल जगमे, काँट जँ बिल्कुल ने होइतय तखन होइतय आर उत्तम । मनुख थिक गुण-खान राजा जीवगणके ऐ जगत मे, जँ ने अनकर दोख देखितय तखन होइतय आर उत्तम । ***********************

स्विच ऑफ मोबाइल

बात थोड़े पुरान थिक । तै समयमे हम राँचीमे रहैत छलहुँ । हम डोरंडामे छलहुँ आ हमर एकटा मित्र कडरूमे रहैत छलाह । ओ हरदम हमरा डेरा पर अबैत रहैत छलाह । चाह-पान-नश्ता हाहा-हीही खूब होइत छलैक । मुदा हमरा हुनका डेरा दिस जयबाक सुयोग नहि भेटल छल । एक दिन अशोकनगरमे काज छल तैं दुनू बेकती कडरू होइत गुजरि रहल छलहुँ । मित्र याद आबि गेलाह । फोन केलियन्हि तँ हुनक कनियाँ उठेली । कहलियन्हि जे लौटैत काल अहाँक डेरा पर आयब । अशोकनगरमे बहुत विलम्ब भ' गेल तैं घुरैत काल हुनका डेरा पर जयबामे मोन असकता रहल छल । अपन असमर्थता व्यक्त करबा लेल दोस्त के मोबाइल पर फोन लगेलहुँ मुदा नहि लागल । हुनकर कनियोंक मोबाइल पर नहि लागल । डेरा पर आबि अपसोच भेल जे दोस्त के नहि कहि सकलियनि, ओ व्यर्थमे बाट तकैत हेताह । श्रीमतीजी अनका मोनक बात जान'मे बड्ड आगाँ छथि । बाजि उठली- " कत' छी बमभोला बाबा! कियोने आहाँक बाट तकैत हेताह । एतबो ने बुझलियैक जे अहीं दुआरे दुनू मोबाइल स्विचऑफ छलैक!" हम अबाक!!!! ***********************

बतहू

बतहूक उमेर तीस भ’ गेल छलन्हि मुदा तखनो तक कुमारे छलाह I कोनो पैघ ऐब नै कहक चाही, कने सुधंग आ कने तोतराह! ओना तँ कन्याक अभावक कारणें बहुतो नीको बर सब कुमारे छथि, ऐब बलाके के पुछै अछि! शुरू मे अठबारे आ बाद मे नित्यप्रति डोकहर गौरीशंकरके जल चढ़ौलन्हि I बाबा कृपा केलखिन्ह आ एकटा घटक पहुँचलाह I बतहूक पिताजी धरफरायले छलथिन्ह, तुरत ठीक भ’ गेलन्हि I कन्या आँखि मुनल मे बड्ड सुन्नरि, आँखि खोलने एक आँखि सँ कनाहि ! मुदा एहन बर लेल ऐ सँ बेसी सुन्नरि तकला सँ जिनगी भरि कुमारे रह’ पड़ितनि I दान-दहेज़ मे बेसी नै, बरक बाप द्वारा कन्या बापके मात्र एगारह सै टाका देब’ पड़लनि I शुभ-शुभक’ बियाह भेल I एगारह टा बरियाती! खूब स्वागत! बरियाती सब स्वागतसँ अभिभूत! भोरहरबामे सोहागक बेर बरियाती जखन आँगन पहुँचल तँ देखलक जे बतहू बीच आँगनमे उघारे देहे चित्त सूतल छथि आ छातीपर एकटा उक्खैर राखल छन्हि I एकटा बरियाती पूछि बैसलथिन्ह- “ बतहू ई की?” -“ ई बिध होइ छै!” सबहक हँसी देख’ जोगड़क! कन्याक सखी-बहिनपा सबहक ई किरदानी छल!!! ************************************************************

Thursday, November 23, 2023

बाल्यकाल

हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर ।। नै रौद-बसातक भय कनियो, बरखा-अछार-फानल-कूदल, तितली पकड़क लेल दौड़-धूप, दोस्तक सङ् मे हुड़दंग मचल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे बाल्यकाल..........।। तुरतहिं झगड़ा आ प्रेम तुरत, नै मोन मे कोनो बात टिकल, किछुओ चिन्ता ने फिकिर कथुक, मित्रक झुंडे छल स्वर्ग जकर । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे.......।। कबडी-कबडी टाइलक-पुल्ली, लुक्का-छिप्पी गोटरस-गोटरस, पोखरि-झाँखुर सौँसे रपटल, गुड्डी-बाजी मे सतत रमल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे..........।। ने बैर-द्वेष के नामो छल, ने जाति-धर्म के भानो छल, ने नीक-बेजायक ज्ञानो छल, सब दोस्ते जग मे सगरो छल । हे बाल्यकाल ! घुरि आउ हमर, हे.............।। खिस्सा नानी-नानाक सूनि, सपना के राजकुमार बनल, मायक कोरा छल स्वर्गोपरि, ओकरे सँ रूसब-बौंसब छल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे...............।। लूडो-लूडो कैरम-गोटी, गेंदक पाछू बेहाल रहल, कागत के नौका मे डूबल, खएबा-पीबा के सुधि बिसरल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे.........।। बाड़िक-केरा-बड़हर-लताम, खीरा नेबो पर सब लुधकल, कतबो बाबी-काकी बाजलि, सब आइन बिसरि कए टूटि पड़ल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर !!! *************************

Wednesday, November 15, 2023

खेतक अनुरूप फसल

होइछ दुर्बल मैथिलक गार्हस्थ जीवन, मातृ पक्षक ख्याल ने ककरो रहै छै । जँ रहत निर्बल शकट केर एक पहिया रेस मे की तेहन गाड़ी टिकि सकै छै ।। गर्भ मे अबिते उपेक्षित रहय निशदिन, जकर जन्मे समाजक लेल होइछ अनुचित । से कोना बनती आ जनती सबल संतति चिकित्सा शिक्षा ने भोजन जनिक समुचित ।। पश्चिमक सब भेल विकसित, मुदा एखनो- रूढ़ि, भ्रम मे सकल मैथिल छी पड़ल । करू प्रोत्साहित सतत कन्या के, उन्नति- के रोकत, उत्साह जँ नारिक प्रबल ।। खेत जेहने रहत फसलो हैत तेहने माय सबला जखन सबलो पुत्र तखनहि । पुत्र लव कुश के सदृश जनमैछ निश्चय माय से'हो जानकी सम हैत जखनहि ।।

Friday, November 10, 2023

कानब उचित नहि

हरा गेल जँ कथू तँ कानब उचित नहि, अहाँ लग जे बस्तु अछि सब अही जगतक । कथी ल' क' छलहुँ आयल अहि जगत मे, जे भेटल से बस्तु अछि सब अही जगतक।। आइ जे किछु अहाँ लग सम्पत्ति भौतिक, सकल दोसर केर से सब काल्हि तक छल । फेर परसू यैह सब तेसर के होयत, जे हमर नहि, हरा गेल तँ कथी बिगड़ल? जते संग्रह कएल सब छल अहीठामक, खुशी होउ किछु भार माथक घटा लेल जँ । बिदा बेर मे संग मे नहि जाइछ किछुओ, माथ हल्लुक बुझी किछुओ हरा गेल जँ ।। ***************************

Saturday, November 4, 2023

अहंता

अहंता अज्ञानता थिकि, बुद्धि के छथि नाशकर्त्री I क्रोध, मोहक जन्मदात्री, विवेकक अपहरणकर्त्री II विवेकक अपहरणकर्त्री, मनुजता के मृत्युदात्री I दोख दुर्गुण वृद्धिकर्त्री, मनुख के गर्तक प्रदात्री II गुमानक की काज, सुन्दर- देह एकदिन हो जरंता । चिता भूमिक करी दर्शन, जखन क' आबय अहंता II ***********************

Thursday, October 19, 2023

सत्यक मार्ग

होइछ सत्यक मार्ग काँटक, मुदा वैह अछि श्रेष्ठकर । असत् मायाजाल मिठगर, होइछ अतिशय सुगमतर ।। होइछ अतिशय सुगमतर, मिट्ठेमे कीड़ा सब फड़य । मुदा नोनक ल'गमे ने, कोनो कीड़ा सटि सकय ।। बिपति कालोमे सुधीजन, लेथि ने आश्रय असत्यक । कष्टकर अछि यदपि अतिशय, विजय निश्चय होइछ सत्यक!!! 💐💐💐💐💐💐💐💐💐

Monday, October 16, 2023

वर्तमानमे जीबी

काल्हुक चिन्ता मे डुबल, आजुक सुधि बिसराय । काल्हि पुनः आजुक करत, दुखी सतत रहि जाय ।। दुखी सतत रहि जाय, खुशी सब रहू निरन्तर । रहबे करतै चिन्तन मे, दू लोकक अन्तर ।। वर्तमान मे जीबी, करू सुचिन्तन आजुक । सबदिन से पछताय, डुबल चिन्तन जे काल्हुक ।। ***************************

Sunday, September 24, 2023

बेटी दिवस

बेटी दिवस पर बेटी विहीन एकटा मायक आंतरिक कामना :- हे ईश्वर! हमरा ऐ जीनगीमे बेटी नै देलहुँ आहाँ । मुदा, दोसर जन्ममे हमरा एकटा बेटी जरूर देब । हाँ, एकटा शर्त जरूर अछि- हमरा एहन बेटी देब जे बियाहसँ पहिले हम्मर रहय मुदा बियाहक बाद ओ सासु-ससुरके सेवामे लागल रहय, हमरासँ बेसी सासु-ससुरके सम्मान दिअय । जँ से नै द' सकी तँ नहिएँ देब सएह ठीक ।

Saturday, September 23, 2023

ज्ञान

*********** -"बौआ! समय-साल ठीक नै छैक, बरखामे बेसी काल बाहरमे ठाढ़ रहब उचित नहि, अन्दर आबि जाउ, अहाँ सर्दियाह छी, सर्दी-खोंखी-बोखारसँ आइ-काल्हि बाँचिक' रहक चाही ।" -" पापाजी! अहाँ व्यर्थमे चिन्ता करैत रहैत छी; हम आब कोनो बच्चा छी जे अहाँ सदिखन टोकैत रहैत छी? नीक-अधलाहक आब हमरा बढियाँ ज्ञान अछि, अहाँक हरदम टोकब हमरा नीक नहि लगैत अछि ।" -"बौआ! बापक आगू सन्तान सबदिन बच्चे रहैत छैक ।" -"ठीक छैक, बुझि गेलिऐक; आब जाउ अप्पन काज देखू, हम्मर चिन्ता बेसी नै करू ।" ******* जखन बेटा नहि मानैत छन्हि तँ बुड़हा पाँच बरखक पोता चिन्टू के कोरामे ल' क' बाहरमे आबिक' ठाढ़ भ' जाइत छथि । बेटा दौड़िक' आबैत अछि आ चिन्टूके दादाजीक कोरसँ झपटिक' अन्दर ल' जाइत अछि- "बाबूजी! अहाँके किछुओ ज्ञान नहि अछि, चिन्टू सर्दियाह छैक, भिजलासँ ओकरा सर्दी-खाँसी-बोखार भ' सकैत छैक!" -"बौआ! तों ठीके कहैत छह; हमरा किछुओ ज्ञान नहि अछि!!!!" *****************************

Tuesday, September 5, 2023

अनका खुशीमे अप्पन खुशी

शास्त्रकेर उपदेश एतबे परोपकारे पुण्य बाढ़य । जे कियो परपीड़दायक, पाप तकरा ध' पछाड़य ।। कर्मफल सिद्धांत अविचल जेहन करनी तेहन भरनी । नीक के फल नीक आ अधलाह अधलाहेक जननी ।। मुदा जे अनका खुशीमे खुशी अपनो खूब पाबथि । चरण चूमथि खुशी तिनकर, दुःख कोसो दूर भागथि ।। ***********************

Sunday, September 3, 2023

चरित्र

छुइत जँ नै ज्ञानसँ तँ, मनुज वा पशुमे की अन्तर! शील गुणसँ रहित जँ तँ, उभयमे बाजू की अन्तर!! दीर्घतम रहितहुँ मुदा जँ, पत्र-पुष्प विहीन तरुवर! लैछ की आश्रय तकर पशु- मनुज वा कोनो गगनचर!! वृक्षके शोभा अतुल जँ, फूल-फल-आ पात घनगर ! चरित-सद्गुण पत्र-पुष्पें- मनुज-तरु हो महासुन्दर!! ****************************

Saturday, September 2, 2023

चन्द्रमा पर भारत

चन्द्रयान-3क विक्रम लैण्डर अगस्त'23,2023 क' 6बाजिक'04 मिनट अपराह्नमे चन्द्रमा पर लैंडिंग केलक । ओकर किछु घंटाक बाद लैण्डरमे स' प्रज्ञान रोवर बाहर निकलि चन्द्रमाक सतहपर घूम' लागल रिसर्च कर' लागल । आइ प्रधानमंत्री मोदी विदेश यात्रासँ जखने भारत पहुँचलाह तँ सोझे इसरो(बंगलुरू) गेलाह । भारत जखन चन्द्रमाक दक्षिणी ध्रुवपर तिरंगा फहरा रहल छल तखन मोदीजी दक्षिण अफ्रीकामे ब्रिक्स सम्मेलनमे छलाह, मुदा सम्मेलनसँ छुट्टी ल' क' इसरोक कामयाबीक लाइव प्रसारणमे ओहो लाइव सम्मिलित भेलाह आ सब वैज्ञानिक आ सब भारतवासीक संग समस्त विश्वके इसरोक ऐ कामयाबीक लेल बधाइ देलाह । आइ जखन ओ भारत अबैतदेरी इसरो पहुँचलाह तँ ओइठामक वैज्ञानिक अभिभूत भ' गेलाह । प्रधानमंत्रीकेँ हृदयसँ स्वागत केलाह आ विक्रम लैण्डरक मॉडलक संग चन्द्रमाक प्रज्ञान रोवर द्वारा पठाओल बहुतरास छायाचित्र सेहो उपहारमे देलाह । ओइ खुशीक सुअवसरपर मोदीजी द्वारा देल गेल प्रबोधन अप्रतिम छल । बजैतकाल ओ ततेक भावुक भ' गेलाह जे गला अवरुद्ध भ' गेलनि आ नेत्रसँ आनंदाश्रु निकल' लगलनि । ओइ समय टी.वी. देखैतकाल हमरो नेत्रसँ आनंदाश्रु निकल' लागल, आ हमरा जनतबे जे कियो ओइ समयक लाइव प्रसारण देखि रहल हेताह हुनको हाल हमरे जेकाँ भेल हेतन्हि । मोदीजी चन्द्रमापर चंद्रयान 3क विक्रम लैंडरक उतरबाक दिन 23 अगस्तके "नेशनल स्पेस डे" आ जत' लैण्डर उतरल तै स्थानके "शिव-शक्ति प्वाइंट" नाम रखलाह; संगहि चन्द्रयान 2क लैण्डर जत' चन्द्रमाके छूने छलैक तै स्थानक नाम "तिरंगा प्वाइंट" रखलाह । नाम राखक पाछाँ बहुत विशेष बातसब कहलाह । "शिव" नाममे मानवताक कल्याणक संकल्प सन्निहित अछि । "शक्ति" शब्द शिवक ऊर्जाक द्योतक अछि जिनका विना शिव मात्र शव रहैत छथि, संसार रचनाक अधिष्ठात्री तँ शक्तिए छथि । अभियानमे शक्तिक प्रतिनिधि नारीशक्तिक अप्रतिम योगदानक कारण नाममे शक्ति राखब समीचीन बुझाइछ । "शिवशक्ति" शब्द हिमालय सँ कन्याकुमारी तकक एकताक प्रतीक थिक । भारत विश्वगुरुपदपर आसीन होम' दिस एक डेग आर आगाँ बढ़ि गेल अछि आ ओ दिन आब बेसी दूर नै बुझाइछ जखन ई ओइ आसनपर आसीन भ' अपन प्राचीन गुरुपदके पुनः प्राप्त क' सम्पूर्ण विश्वके मार्गदर्शन करत । किएक ने हो, जखन मार्गदर्शक मोदी सदृश ऊर्जावान, त्यागी, तपस्वी, संन्यासी हो! "मोदी छथि तँ सबकिछु मुमकिन अछि"! कियो कहलाह जे ई कारनामा भारतक बी. टीम केलक अछि । हम हुनकर मुँह ताक' लगलहुँ; अपनो लोकनि ई पाँती पढ़ि किञ्चित व्यग्र भ' सकैत छी आ मुखपर प्रश्नवाचक चिन्ह आबि सकैछ । मुदा ऐ बातपर जखन गंभीर चिन्तन कएल जेतैक तँ बाज'बलाक भाव स्पष्ट भ' जायत आ हुनका बातमे सत्यताक आभास होम' लागत । ऐ बातमे किनको सन्देह नै होयत जे हमर सर्वोत्तम प्रतिभा बहुत पूर्वहिंसँ विदेश भागि रहल अछि । भारतक सर्वश्रेष्ठ प्रतिष्ठित संस्थान आइ.आइ.टी.सँ निकलल अधिकांश छात्र विदेश पलायन क' जाइत छथि । जे कियो रहियो जाइत छथि तँ हुनक प्रथम च्वाइस इसरो वा अन्य वैज्ञानिक अनुसंधान नै होइत छन्हि । ओ सब आइ.ए.एस., आइ.पी.एस... आदि के प्राथमिकता दैत छथि जाहिठाम पावर संग अर्थक प्राधान्य हो । तएँ जे कियो बी.टीम कहलाह तँ अनुचित नै बुझाइछ । जखन बी.टीम. ई कमाल क' सकैछ तँ ए टीम की नै क' सकैछ!! मुदा बी.टीम. कहिक' ऐ चन्द्र विजयी टीमक उपलब्धिकेँ नै घटा सकैत छी । जँ अनुकूल वातावरण भेटय, पूर्ण उत्साह हो, मेधा आ ऊर्जा भरल हो आ सर्वोत्तम नेतृत्व भेटय तँ कोनो टीम सफलताक परचम लहरा सकैछ, बी.टीम ए.टीमके सेहो हरा सकैछ; गेंद खेलाइतकाल हमरा कओलेजक अतिउत्साहित ऊर्जावान बी.टीम कतेको बेर ए.टीम के हरा देने छल । "पंगु चढ़इ गिरिवर गहन"! हमरा सबके ऐ विषयपर गंभीर चिन्तन करक चाही । पूर्ण उत्साहित, सर्वोत्तम मेधायुक्त ऊर्जावान ए.टीमक निर्माण हो तै लेल अनुकूल वातावरण बनयबाक प्रयास होमक चाही । जे जै विषयक विशेषज्ञ होथि हुनका ओही विषयमे लगेबाक चाही, ई नै जे आइ.आइ.टी टॉपर पावर आ अर्थक लोभमे आइ.ए.एस. बनबाकलेल लालायित होथि । सर्वोत्तम ए टीम लेल सर्वोत्तम मेधाके एतहि ततेक पावर, ततेक सम्मान आ ततेक आर्थिक लाभ दियनि जे ओ आन कोनो दोसर सेवालेल वा विदेश पलायनलेल लालायित नै रहथि!!!!! *************************************

Tuesday, August 29, 2023

सकारात्मक सोच राखी

सकारात्मक सोच सँ, ओझरायल काजो सुधरि जायत । नकारात्मक सोच सँ, सुढियायल काजो बिगड़ि जायत ।। सब समस्या केर निश्चय समाधानो रहय संगहिं । मुदा जँ संकल्प दृढ़तम समाधानो भेटत तखनहिं ।। कर्म पर आस्था, स्वयं पर - आस सभतरि काज आयत । विघ्न केहनो रहत तैयो कोनो रस्ता भेटि जायत ।। तएँ धरी दूरे नकारा, सकारा पालल करी । इष्ट पर बिसबास राखी, धर्म केर पालन करी ।। **************************

Monday, August 28, 2023

काज तेहने करी जे मुइलो पर लोक याद करय

होइछ विदा जखने क्यो जग सँ, फेकल जाइछ हुनक सब पहिरन । गेरुआ चद्दरि सीरक कम्मल गमछा डोपटा पनही अचकन ।। क्यो नहि फेकय ढ़उआ-कौड़ी, सोना-चानी लेल लड़य सब । महल-अटारी गाड़ी-घोड़ा, हीरा-मोती लेल लड़य सब ।। बूझि लिय' अछि महतु कथी केर, हार-गरदनिक क्यो नहि त्यागत । भरल तिजौरी के सब नगदी, झटपट लूटि लोक सब भागत ।। लूटत सबटा बस्तु-जात सब, किछुओ नहि रहि पायत बाँचल । दान-पुण्य सँ अरजल जे अछि, सैह मात्र रहि जायत बाँचल ।। माथक केस जरै अछि तृण सम, काठक सम हड्डी जरि जायत । सुन्दर गात जरत तूरक सम, वस्तु कथू संगमे नहि जायत ।। शास्त्रक ज्ञान- "कियो नहि ककरो", व्यवहारो मे देखा देलक अछि । छोड़ाक' खोंइचा नग्न सत्य के, आबि करोना सिखा देलक अछि ।। ख्याति बचय ककरो नहि धन सँ, कीर्तिक कारण नाम रहय । काज करी तैं तेहने सब क्यो, मरलो पर सब याद करय ।। मरलो पर सब याद करय !!!! ********************************

Thursday, August 24, 2023

अपनेसँ हारय सब

सगर दुनियाँ छानि किओ, सुन्नर खोंता बनौलक । सबके पछाड़िक' किओ, दिग्गज बड़का कहौलक ।। दिग्गज बड़का कहौलक, जोश मुदा टूटि गेलै । अपनहिं लोक जखन, ओकरा नै चीन्हि पेलै ।। कियो नै रहस बूझय, गजबे अछि हमर दुनियाँ । अपने सँ हारय सब, जीतय भले सगर दुनियाँ ।। -------/---------------/------------

Wednesday, August 23, 2023

सत्यक साबुन

गन्दगी सँ जगतमे घिरना देखाबथि सकल जन, तेल साबुन लगा इत्रें सुवासित राखथि अपन तन । बाह्य यद्यपि स्वच्छ, पर- अन्तर हुनक कालिख भरल, किअए ने सत्येक साबुन लगा राखथि स्वच्छ मन ।। अध्यात्म के आधार जगमे स्वच्छ मोने टा रहथि । यएह तरणी होइछ जै सँ मनुज भवसागर तरथि। यएह बाहर जाय क' संसार के सर्जन करथि, स्रोत पर सुस्थिर भेने तँ स्वयं ई आत्मा बनथि ।। ******************************

Sunday, August 20, 2023

न्यायक नै छूति अछि ।

सबठाँ धृतराष्ट्रे भरल, न्यायक ने छुइत अछि । भीष्म द्रोणों मौन धएने, दुर्योधनक जुइत अछि ।। दुर्योधनक जुइत अछि, कुशासने चीर हरलक । कोना लाज बाँचत, प्रशासने स्वांग रचलक ।। युवा-भीम उठू झट, पिशाचे पसरल सबठाँ । चीरू छाती ओकर, दुशासने सबल सबठाँ ।। ------कमलजी------ *************************

भेटल कर अछि दान करक लेल

भेटल कर अछि दान करक लेल, लेबक लेल अछि ज्ञान । लोभ मोह क्रोधे असली रिपु त्याग करू अभिमान ।। अपना पर बिसबास, ने आनक आश हो कहियो । मात्र निराशे होयब, पूर्ण ने काज हो कहियो ।। कत्तहु भेटत घिरना, कत्तहु वर्षा स्नेहक । सम भावे थिक उत्तम, ध्यान धरू जगदीशक ।। **************************

Saturday, August 19, 2023

राम तोरे आसरय

राम बिन ककरो ने गति अछि, राम मम दाता-शरण । राम कलिकेर दोष नाशक, रामके हम्मर नमन । रामसँ भय खाथि कालो, सकल जगते राममय । राममे हो भक्ति अविचल, राम तोरे आसरय ।। *************************

Thursday, August 17, 2023

आन्तरिक सौंदर्य

लट्टू जुनि होथु कियो, लखि बाह्य सौंदर्य टा । नहि खोलय भीतरक भेद, दैहिक सौंदर्य टा ।। दुष्टो सब शुभ्र-शाभ्र, चेला अछि मूड़ि रहल । ओढ़िक' साधुक खोल, भेड़िया सब घूमि रहल ।। मोर बड्ड सुन्दर अछि, नाचय सेहो खूब सुन्दर । गहुमन के खाइछ खूब, भरल छैक जहरि अन्दर ।। ।।

Wednesday, August 16, 2023

दृश् प्रपंचक मूल ईशे

दृश् प्रपंचक मूल ईशे, वैह जगतक सकल कर्ता । स्रोत ओ आनन्द के छथि, वैह तँ छथि विघ्न-हर्ता ।। अपना बसमे किछु ने ककरो, झूठ-मूठके गुड़िया गाँथय । जीव सकल कठपुतली जगमे, जेना नचाबथि तहिना नाचय ।। जेना ट्रेनमे चढ़िते देरी, माथक मोटरी सेहो रखै छी । सबटा भार दियनु हुनके पर, व्यर्थक चिन्ता किए करै छी । बहुत प्रबल अछि गाल काल केर, सबके एकदिन निश्चय खायत । ईशक हाथ जनिक माथा पर, कालक भय के दूर भगायत ।। *******************************

Saturday, August 12, 2023

विचारक सर्वोच्चता आ क्रियाके प्रतिबद्धता

सर्वोच्चता हो विचारक, क्रिया के प्रतिबद्धता । ततहिं हो श्री जय विभूति, सुनीतिक हो शास्वता ।। सुनीतिक हो शास्वता, हरिनाम पापक नाशकर्ता । स्मरण हर्षक प्रदाता, ओ थिका त्रय तापहर्ता ।। प्राप्ति हो सद्ज्ञान के, आ नष्ट हो सब अज्ञता । सकल संशय दूर हो, आ प्राप्त हो सर्वोच्चता ।। **********************

Friday, August 11, 2023

सहनशीलता

सहनशील बनू किऐक त' अहूँ मे असंख्य कमी अछि जकरा लोक बरदास्त क' रहल अछि । श्रेष्ठ वैह थिक जे दृढ़ अछि मुदा जिद्दी नहिं, बहादुर अछि मुदा हड़बड़िया नहिं, दयावान् अछि पर कायर-निर्बल नहिं, ज्ञानी अछि पर अहंकारी नहिं, जकरा करुणा छैक मुदा प्रतिशोधक भाव नहिं, जकरा निर्णयक शक्ति छैक मुदा ओ कन्फ्यूज्ड नहिं अछि । जँ कियो अहाँक दयालुता, करुणा, प्रेम के अहाँक कायरता बुझैत छथि त' ई हुनकर समस्या छन्हि, अहाँक नहिं ।

Thursday, August 10, 2023

सुप्रभातम्

सुप्रभातम् हे सुहृद! अहींस' जिनगी रंगीन अछि । भोरे-भोर जँ हालचाल नै भेल जिनगी रंगहीन अछि ।। भले भेट ने मुलाकात, मुदा हृदयकेर पुकार, ने कोनो लोभ आ ने स्वार्थ मात्र उरकेर उद्गार!! सुस्वागतम् हे सुहृद! हमर सौभाग्य अप्रतिम भेल । सुहृदक कुशल- समाचार- भोरे-भोर प्राप्त भेल!!! छलकैछ उरसँ उद्गार, खुशीक नै पारावार! हार्दिक अभिनंदन हार्दिक आभार!!!! *🙏🌹*सुप्रभात* 🌹🙏

मोन नहि कखनो खाली

खाली राखब मोन तँ, भरि जायत शैतान । जँ ने रोपल खेत के, घास-फूस खरिहान ।। घास-फूस खरिहान, करी नीके नित चिन्तन । व्यर्थ ने मन हो खिन्न, रही हँसिते सब अनुखन ।। नीके राखी सोच, नकारा के जुनि पाली । चिन्तन नित अध्यात्म, मोन नहि कखनो खाली । ************************

Tuesday, August 8, 2023

आंतरिक शत्रु थिक असली शत्रु

क्यो ने ककरो मित्र आ ने शत्रु जन्मे सँ रहय । स्वयं के व्यवहार सँ क्यो दोस्त वा दुश्मन बनय ।। आंतरिक अछि शत्रु असली बाह्य रिपु के किछु ने मोजर । क्रोध घिरना लोभ लालच काम मोहे होइछ जोरगर ।। एके ईश्वर सभक उरमे आन क्यो नहि रहय जगमे । स्वयं सँ के करत घिरना प्रेम सबसँ रहय जगमे ।। दोष अप्पन क्यो लखय नहि मनुखमे बड़का अगुण अछि । अपन दोषो के ओ अनके माथ मढ़बा मे निपुण अछि ।। अपन जीवन के दुखी- त्रासद स्वयं अपने बनाबी । शत्रु हम्मर दोष अपनहि, नाम हम अनकर लगाबी ।। सब जँ अप्पन अवगुणे लखि, मेटाब' मे लागि जायत । गुणे अनकर जँ देखय तँ, स्वर्ग धरणी के बनायत ।। स्वर्ग धरणी के बनायत!!! ***************************

Tuesday, August 1, 2023

ईशसँ किछुओ ने माँगू

साधु लग गेले सँ भेटय- शान्ति मोनक बिना मँगनहिं । सेंट बिक्रेता सुवासित- करय परिसर बिना किननहिं ।। सरित बिन मंगनहिं प्रदानथि- वारि, जखनहिं ल'ग जायब । ल'ग सद्वृक्षक गेलहिं सँ, बिना मंगनहिं फ़'ल पायब ।। बर्फ के नजदीक गेनहिं, महाशीतलता भेटै अछि । अग्नि लग मे जाइत देरी, लोक गरमाहटि पबै अछि ।। प्राणवायुक दान अपनहिं- करै छथि सदिखन पवन । लोक के कल्याण खातिर, धरणि अपनहिं दैछ अन्न ।। ईश सँ किछुओ ने माँगू, निकट गेनहिं भेटय सब किछु । करू निज कर्तव्य, सबसँ- प्रेम केनहिं, भेटय सब किछु ।। *****************************

Monday, July 31, 2023

प्रेमक डोइर

ल'ग मे रहले सँ क्यो, नहि हृदय मे स्थान पाबय । दूर चलि गेनहिं सँ क्यो, नहि हृदय सँ दूरे भ' पाबय ।। ल'ग मे वा दूर मे हो, भाव सबसँ पैघ अछि । बिना प्रेमे ल'ग दूरे, प्रेमे ल'ग लगैत अछि ।। निशाकर आकाश, कुमदिनि- जले पर निबसैत छथि । होइत देरी शशिक दर्शन, प्रफुल्लित विकसैत छथि ।। ल'ग मे रहितो तँ बहुतो लोक नित लड़िते रहय । गप्प-सप्पो बन्द सबदिन दुगोला करिते रहय । थुक्कम-फज्झति सँ तँ दूरे रहब बढियाँ बुझि पड़य । भले फोने पर हो गप-सप, स्नेह के सरिता बहय ।। भले क्यो दूरे किए ने, याद हरदम जँ करय । डोइर मजगुत बनल रहने, प्रेम कहियो ने घटय ।। ***********************

ब्रह्मज्ञान टा सत्य

मिथ्या ज्ञाने रज्जुमे, होइछ सर्प आभास । तही जेकाँ ऐ देहमे, आत्मा केर अध्यास ।। आत्मा केर अध्यास, बिना ज्ञाने नै भागय । जेना बिना परकाश, तिमिर किन्नहुँ नै भागय ।। ब्रह्मज्ञान टा सत्य, अन्य मिथ्या अज्ञाने । संसारे के सत्य, बुझय सब मिथ्या ज्ञाने ।। ***************************

Saturday, July 29, 2023

सीखी साइकिल तही दिशामे

सीखी साइकिल तही दिशामे, जही दिशा गन्तव्य अभीप्सित । जँ सीखब विपरीत दिशा तँ, लक्ष्य असंभव आर अनिश्चित ।। लक्ष्य असंभव आर अनिश्चित, शून्ये पर पुनि लौटिक' आयब । फेरो उल्टा चल' पड़त तँ, जिनगी भरि बहुते पछतायब ।। तैं तेहने अभ्यास करी नित, स्रोते पर अँटकब सब सीखी । होयत सार्थक तखन परिश्रम, प्रगतिक मंत्र यैह सब सीखी ।। *****************************

मोन करू थिर स्रोत पर

कादो जन्मे सँ जमा, खाली नित कैरते रहू । सुन्ना जावत् तक ने होबय, तावत् उपछैते रहू ।। तावत् उपछैते रहू, ने चुरुक भरि बाँचय कथू । पात्र नै अजबारबै तँ, कोनाक' राखब कथू ।। भरू गंगाजल अमिय, धारू गुरुक उपदेश आबो । मौन थिर हो स्रोत पर, भरि जै ने फेरो थाल-कादो ।। ****************************

Wednesday, July 26, 2023

उत्तमा सहजा पूजा

पूजा सहजा उत्तमा, आत्मज्ञान जिज्ञास । चित्त सतत हृदयस्थ हो, करू तकर अभ्यास ।। करू तकर अभ्यास, अहं थिक बाधक सबसँ । मोहे थिक अज्ञान, प्रेम अति जीवे सबसँ ।। हमहीं सब जीवेमे, जगमे आन न दूजा । स्रोते पर टिकनाइ, सहज सर्वोत्तम पूजा ।। ********?*************???******

Sunday, July 23, 2023

ईशे बेड़ा पार करता

ईशे बेड़ा पार करता, आश हुनके पर धरू । जे स्वयं भयभीत अछि, तकरा भरोसे नहि रहू ।। तकरा भरोसे नहि रहू, नै जानि आफत कखन आयत । बहन्ना ध' देत गच्चा, बेर पर नहि काज आयत ।। रहय पापी सब डेराकय, देखि रहला सबटा ईशे । संत के नै भय कनिकबो, करता बेड़ा पार ईशे ।। ***********************

Saturday, July 22, 2023

जड़ि

करय जग मे नाम से जे, कसिक' जड़ि धेने रहय । डीह-डाबर के ने बिसरय, चाकरी कत्तहु करय ।। चाकरी कत्तहु करय, निर्भय रहय मजगूत जड़िजँ । डाइर-पल्लब-फूल-फल, सब पुष्ट हो मजगूत जड़िसँ ।। जकर जड़ि हो गहींर जतबे, से तते ऊपर बढ़य । घात अन्हर-बिहाड़िक, पाथरो किछु ने करय ।। ************************

Friday, July 21, 2023

दूसी जुनि परिवेशके

परिवेशके जुनि दूसी , चुनलहुँ अपने गेह । पूर्वजन्म के वासने, भेटल सबके देह ।। भेटल सबके देह, यैह सबसँ अनुकूले । कोसि-कोसि निज भाग, सोचथि सब प्रतिकूले ।। सबसँ उत्तम देह कुल ग्राम संग ई देश । उज्ज्वल-उत्तम भविष बनाबी दूसी जुनि परिवेशके ।। **************************

Wednesday, July 19, 2023

द्रष्टाभाव

रहतै लगले आयब-जायब, बूढ़ अबस्से सबक्यो होयत । देह व्याधि केर मंदिर होबय, मृत्यु अबस्से सबहक होयत ।। मृत्यु अबस्से सबहक होयत , भले धनिक वा दीन जगतमे । जनितो ऐ सत्यक रहस्य के, स्वीकारत नहि कियो जगतमे ।। ककरो बिनु आछन नहि होबय, दुनियाँ अहिना चलिते रहतै । द्रष्टाभावें देखी सबकिछु, आयब-जायब लगले रहतै ।।

Saturday, July 15, 2023

माया आओर ज्ञान

जे कियो दौड़ैत रहता मायाक पाछाँ, से ने कहियो किमपि ओकरा पकड़ि सकता । रहत लागल तनिक पाछाँ छाया हुनक, चलब जे कियो सूर्य दिस प्रारम्भ करता ।। सुधीगण! संसार दिस नै भागल करू तएँ, होउ उन्मुख जिज्ञासुगण! निज स्रोत रवि दिस । तनिक पाछाँ रहत लागल संसार(सुख, समृद्धि) अपनहि, चलब जे प्रारंभ करता ज्ञान(सूर्य, प्रकाश) दिस ।।

Friday, July 14, 2023

सत्यवादी भक्त

घाव ककरो करब अछि आसान बहुते, लगायब मलहम बहुत होबैछ मोसकिल । कष्ट पहुँचायब तँ जानय लोक सबटा, आर्त के दुःख दूर कर्ता भेटब मोसकिल ।। कोनोटा सम्बन्ध नै बड़ पैघ जगमे, निभायब सम्बन्ध होबय बहुत मोसकिल । कर' मे आसान अछि अपकार ककरो, कर' मे उपकार जगमे बहुत मोसकिल ।। याचकक तँ छोड़ लागल देखब सगरो, दानकर्ता के भेटब अछि बहुत मोसकिल । जान लेबक लेल भेटत लोक सबतरि, जान देब'बला भेटब बहुत मोसकिल ।। जतय जायब लालचीके यूथ पायब, निलोभी त्यागी के भेटब बहुत मोसकिल । टोप-टहंकारी आ ढोंगी भेटत सबतरि, सत्यवादी भक्त ज्ञानी भेटब मोसकिल ।। ***********************************

Wednesday, July 12, 2023

मात्र ईशक आश

बात-ज्ञानक डाङ बिपतिक धैर्ज ध' क' सहू प्रतिदिन । जखन घूरत नीक दिन तँ, भाग जागत अहुँक एकदिन ।। भाग जागत अहुँक एकदिन, मौन मुख के सतत राखू । स्नेह हो सकले जगत सँ, नहि अनर्गल वचन भाखू ।। मात्र ईशक आश, कहियो- बिसरियो नहि आश आनक । यैह थिक भाखथि 'कमलजी' पैघ सबसँ बात-ज्ञानक ।। ******************************

Tuesday, July 11, 2023

लक्ष्य

जरूरी नै लकीरेके फकीरे बनले रही, जरूरी नै हम पुरनके लीक ध' चलिते रही । जरूरी नै परिस्थितिके अहर्निश कोसिते रही, जरूरी अछि कोनहुना हम लक्ष्य दिस चलिते रही ।। लैछ बहुतो लोक निर्णय परिस्थितिए देखिक', सफलतम किछु सुविग सदिखन चलथि लक्ष्ये पेखिक' । दिशा पवनक बदलबाके छैक नै सामर्थ्य ककरो, हर्ज की तरणीक मुख जँ करी लक्ष्ये देखिक'!!! *******??*********?*?**

Monday, July 10, 2023

अज्ञता

अज्ञता अछि विपत्तिक जड़ि, अहंता जड़िसँ नशाबय । ज्ञान सबसँ पैघ नौका, पार भवसागर लगाबय ।। पार भवसागर लगाबय, वित्त क्षय किछु ने बिगाड़य । चरित्रक बल उन्नतिक जड़ि, आत्मबल सभतरि उबाड़य ।। गुरु थिका निज आतमा आ मौन थिक सद्शिष्यता । मोन आत्मविलीन होइतहिं, पड़ायत सब अज्ञता ।। ***************************

Sunday, July 9, 2023

अवज्ञा नै करी ककरो

अपने जिनक स्वागत करब, से घुरिक' अयता फेरसँ । उपेक्षा जिनकर करब, से घुरि ने अयता फेरसँ ।। घुरि ने अयता फेरसँ,तएँ- अवज्ञा नै करी ककरो । अनेरे आयल करत से, कहाँ फुरसति छैक ककरो ।। आबिक' हरि घुरि जेता, नै जानि केहनो भेष धयने । घुरि ने अयता फेर सँ ओ, लाख पटकब माथ अपने ।। ***************!!!!!!!!***********??

Saturday, July 8, 2023

अहंता अज्ञानता थिकि ।

अहंता अज्ञानता थिकि, बुद्धि के छथि नाशकर्त्री I क्रोध, मोहक जन्मदात्री, विवेकक अपहरणकर्त्री II विवेकक अपहरणकर्त्री, मनुजता के मृत्युदात्री I दोख दुर्गुण वृद्धिकर्त्री, मनुख के गर्तक प्रदात्री II गुमानक करु त्याग, सुन्दर- देह एकदिन जाय जरता, चिता भूमिक करी दर्शन, जखन क' आबय अहंता II मानू नै संबंध टूटत, जँ अहं-बीया ने जनमत । फ़सल संबंधोक उपटत, जँ गुमानक ख'ढ़ पनपत ।। जँ गुमानक ख'ढ़ पनपत, दहिन मे उधियाय लागत । काल के गति क्यो ने जानय, क्षणे मे भसियाय जायत ।। बाम दिन मे सब्र राखू, दहिन मे छाती ने तानू ।। प्रेम सबदिन रहय उर मे, क्षमा के ब्रह्मास्त्र मानू ।। ----------------........----------------

जे जैह रोपत सैह काटत ।

जायत ने संगमे कथू, जे जैह रोपत सैह काटत । स्वयं भोग' पड़य सब किछु, आन नहि क्यो दुक्ख बाँटत ।। आन नहि क्यो दुक्ख बाँटत, दर्द अनकर बाँटि ली । चारि दिवसक जिंदगी अछि, हँसि-खेलाक' काटि ली ।। यैह गिट्ठ' बान्हि ली जे, भलाकर्ता भला पायत । एक नेकी छोड़िक', संगमे ने कथू जायत ।। ************************************

Friday, July 7, 2023

नाटक

नाटक टा भ' रहलै जगमे, बूझथि क्यो नहि सत्य । असली बात बिसरि क' सब क्यो, असते बूझथि सत्य ।। असते बूझथि सत्य, झूठमे लागल सब क्यो । कानि रहल अछि सत्य, झूठ लेल पागल सब क्यो ।। राति-दिन सब व्यस्ते, मायालेल सब त्राटक । खुश रहबाक ने फ़ुरसति, मुसकयबो थिक नाटक ।। *************************

Wednesday, July 5, 2023

श्रेष्ठता नै जन्मसँ हो ।

भले हो प्रतिकूलता, अनुकूल ओ तकरा बनायत । ठाइन लेलक जँ मनुख तँ, किछु ने किछु क' क' देखायत ।। किछु ने किछु क' क' देखायत, श्रेष्ठता नहि जन्म सँ हो । निपुणता आ श्रेष्ठता गुण आ कला, निज कर्म सँ हो ।। दूध डाढ़ी दही मक्खन घृतादिक गुण होइछ अलगे । दाम भिन्ने रहय सबहक, सब एकहि कुल के भले ।। ********************************

Tuesday, June 20, 2023

आत्मस्थताक आनंद

धाह कतबा सहथि रवि के कहि सकत ? स्वयं जरिक' प्रकाशित जग के करत? भ' सकय उपकार नहि बिनु कष्ट सहने, दीप तम भगबय जखन अपने जरत ।। प्रशव-पीड़ा माय केर के बुझि सकत ? गलाक' निज देह सर्जन के करत? भूखके पीड़ाक की अनुभव हो तकरा? स्वर्ण चम्मच मुखमे जे जनमल रहत ।। मरु-तृषित मृग देखितहि- जल मुदित कतबा? के विरहिणी प्रियमिलन सुख नापि सकता? प्रथम बरखा-बुंद टा चाहैछ चातक, के चकोरी-चन्द्रके उर थाहि सकता?? जे ने चिखलक, स्वाद- मिसरिक की कहत? स्वादियो वरनब मिठासक के सकत ? आत्मस्थित सुखक हो आनंद अनुपम, हृदय सुस्थित भेनहि अनुभव भ' सकत!!! ***********************??***** *************************

Monday, June 19, 2023

पाकिटमार - 2

पाकिटमार- 2 ************** एक बेर पटना सँ दिल्ली जयबाक छल । पटना जंक्शनपर विक्रमशिला एक्सप्रेसमे चड़हैत काल ततेक धक्का-मुक्की भेल जे मोन चंग भ' गेल । पाकेटमारसब कृत्रिम भीड़ उत्पन्न करैत अछि जाहिसँ जेबी काट'मे सुविधा होइत छैक । गेटसँ भीतर गेला पर बेसी भीड़ नै बुझायल । रगड़ा-रगड़ीमे जोड़ लगाक' अन्दर गेलहुँ तँ किछु रुपैया खसल देखलिऐक । रुपैया उठाक' सबस' पूछ' लगलिऐक जे किनकर छन्हि मुदा कियो नै बजलाह । हम सोच' लगलहुँ जे लोको सब कतेक लापरवाह होइत छथि जे अपन रुपइयो-पैसोके सम्हारिक' राखल नै होइत छन्हि आ नाहकमे पाकिटमारसबके बदनाम करैत रहैत छथिन्ह । तखनहिं एकटा व्यक्ति कहैत छथि जे श्रीमान् कने अप्पन जेबी के सेहो चेक क' लेल जाय । हुनका बजिते हाथ जेबी पर गेल । अरे ई की! हमर जेबी नदारद अछि! ई तँ हमरे रुपैया थिक आ हम अनका पूछैत छियैक! पाकिटमार जेबी तँ काटि लेने छल मुदा हड़बड़ीमे रुपैया नीचामे खसि पड़ल छलैक । जानमे जान आयल । रुपैया तँ कमसँ कम भेटि गेल! जेबी तँ फेरो सिया लेल जेतैक!! ***************************************

द्रष्टा बनि जीबी ऐ जगमे

जगमे जे क्यो जन्म लैत अछि, एक दिन होयत बूढ़ अबस्से । देह मनुक्खक व्याधिक मंदिर, एक दिन होयत मृत्यु अबस्से ।। एक दिन होयत मृत्यु अबस्से, भले नृपति वा रंक रहय क्यो । जनितो ऐ सत्यक रहस्य, नै- धरती पर स्वीकार करय क्यो ।। दुनियाँ अहिना चलत निरन्तर, अजर-अमर क्यो नहि ऐ जगमे । आयब-जायब लगले रहतै, द्रष्टा बनि जीबी ऐ जगमे ।। **************************

Tuesday, June 6, 2023

आचार

आचारक शिक्षण बिना, कदाचार जनमैछ । बौद्धिकता यद्यपि बढ़य, अहंकार बढ़बैछ ।। अहंकार बढ़बैछ, सत्य स्नेहक हो शिक्षण । त्याग तपस्या सदाचार के होय प्रशिक्षण ।। आदर श्रेष्ठक स्नेह छोटसँ, नीक बेजाय विचार । नैतिकता के पाठ पढ़ाबी, संस्कृत हो आचार ।। **********************

Wednesday, May 24, 2023

गामक भ्रमण

आइ गाममे पुबारीभागक जलपा कलम दिस प्रातःकालीन भ्रमण पर निकललहुँ । बाध दिस जमाना पर गेल छलहुँ । बाल्यकालक संस्मरण जाग्रत भ' उठल । ब्रह्मस्थान, खबासक पोखरि, ककरियाही, गजारी बाध आ जलपा कलम.... आदिक एक-एक बात ओहिना याद अछि । एखन जूरसितल 14-15 अप्रैल क' बीतल अछि, गाममे कोनो जीवंतता नहि बुझायल । पहिने जूरसितल दिन भोरे सँ चहल-पहल रहैत छल, जुड़ाब'बाली बुड़हीसब सुतले सँ जुड़बैत छलीह, ऐ बेर किछु नै बुझायल । पूर्वमे लोकसब चौकी, पलंग, खाट, केबार, खाट, सफरी, कुर्सी-टेबुल... सबके पोखरिमे डुबाक' ख़ूब नीकसँ साफ करैत छलाह । सब गाछक जड़िमे जल द' जुड़बैत छलाह, कियो-कियो किछु खानापूर्ति करैत बुझयलाह । तकर बादक तँ कोनो कार्यक्रमे ने देखलहुँ । गोबर-माटि-गदौस-थाल-कादो सबहक तँ कोनो नामे ने! ने युवावर्गक जोस आ ने उमंग, रस्ता सबहक सफाइयो नै भेल । दुपहरमे खबासक पोखरिमे दछिनबारि टोल आ उतरबारि टोलक बीच पाइन-पाइनक खेल होइत छल, प्रतिपक्षीके बिना हरदा बजेने नै छोड़ैत छल, सबहक आँखि लाल-लाल भ' जाइत छल । पाइन झोंकब प्रतियोगिताक बाद उतरबरिया भीरपर ब्रह्मबाबाक प्रांगणमे दुनू टोलक कुश्ती प्रतियोगिता होइत छल । तत्पश्चात् बेरूपहर लोक शिकार खेलाय जाइत छल । गामक उत्तरभाग तथा दक्षिणभागमे करपुर वा दोस्तपुर संगे फ्रेंडली ढेपाउज होइत छल । मुदा कहियो काल बेसी झगड़ा भ' जाइत छल । मुदा आब किछुओ नै होइत अछि । ओना एकटा बात तँ नीके भेल जे शिकार आ ढ़ेपाउज बन्द भ' गेल, जीव-जन्तुक हत्या पर प्रतिबंध तँ छैके तएँ ओकर अनुपालन करब अनिवार्य अछि । ढ़ेपाउज ततेक विभत्स रूप ल' लेने छल जे भाला, गणास, तीर सब चल' लागल छल आ लोकसब घायल होम' लागल छल । बेल्हबाड आ नाजिरपुरमे तँ भाला लगला सँ मरबाक दुर्घटनातक सुनने छलहुँ । हलाँकि गोबर-माटि, पाइन-पाइन, कुस्ती-कुस्ती... प्रतियोगितासबसँ जीवन्तता बुझाइत छल । आजुक धीया-पुतासबकें तँ ई बात सब खिस्सा-पिहानी आ असभ्यता जेकाँ बुझेतनि । मुदा जिनगीके नैराश्यसँ बचेबाकलेल, आपसमे स्नेह बढ़ेबाक लेल आ जीवन्तता बनल रहबाक लेल पाबनि-तिहारक क्रियाकलाप आवश्यक रहैछ । तकरा अभावमे शहरी स्वार्थपरता, एकाकीपन आ नैराश्य गामोमे पइस रहल अछि जे गामोसबके शहरे जेकाँ बना देत जत' लोकके बरखो-बर्खतक पड़ोसियोसँ परिचय नै रहैत छैक । ब्रह्मस्थानक चर्च आयल अछि । हमरा गामक ब्रह्म बहुत जाग्रत आ परोपकारी छलाह । भूत-प्रेतक प्रकोप, कोनो तरहक बेमारी, चोइर-डकैती.... इत्यादि सबहक निदान ब्रह्म क' दैत छलाह । साँझखनक' चौपारि पर परोपट्टाक फरियादीसबहक मेला लागल रहैत छल आ सबहक समस्याक निदान ब्रह्म करैत छलथिन्ह । लगभग चौसठि बर्खसँ खबासक पोखरिक उतरबरिया भीरपर अवस्थित ब्रह्मस्थानमे नवाह संकीर्णतन भ' रहल अछि । खबासक पोखरिक चर्च भेल अछि । ई पोखरि करमौलीग्राम निवासी राजक खबास(स्व0 लछुमन खबास)क खुनाओल छन्हि । राज दड़िभंगा द्वारा लछुमन खबासके 1100 बिग्घा डोकहर मौजे भेटल छलन्हि । करमौलीसँ डोकहर भगवतीस्थानधरि खबास अनका जमीन पर पएर नै दैत छलाह । खबासेक विशालकाय पोखरिमे जूरसितलक पाइन-पाइन होइत छल । ककरियाहीक चर्च भेल अछि । ई बड्ड गँहीर डबरा अछि । सम्पूर्ण गामक माटि-माँगर(उपनयनक चुलहा हेतु...) अहीक माटिसँ होइछ । सम्भवतः,जखन गाममे पोखरि नै छल हेतैक तँ यएह सबहक आश्रय छल हेतैक ।

मात्र उत्तमताके देखी

कोनो व्यक्तिक प्रति एके रंग धारणा राखब उचित नै । एके रंग व्यवहार सबहक संगमे हो जरूरी नै ।। भ' सकै अछि अहाँ लेल ओ श्रेष्ठ सहयोगी बनय । काट जहरक होइछ जहरे कष्ट अपनेके हरय ।। सब ने उत्तम भ' सकै अछि किछु ने किछु उत्तम हो सबमे । मात्र उत्तमता के देखी ऐबटा नै लखी सबमे ।। दृष्टि जँ गुणपर रहत तँ गुणे टा अपनोमे आयत, ऐब टा पर ध्यान देब तँ अहूँमे अवगुणे आयत ।। *********************

शूक्ष्मता

ईशसँ अछि कामना हमरासँ होमय हिते अनकर । स्वप्नमे सेहो ने कहियो करी सोचल अहित अनकर ।। लोकके कल्याणमे हम नित्यप्रति लागल रही । प्रचारक नै काज, गुप्ते- लोकहित साधल करी ।। शूक्ष्मता के किमपि नै परतर करत स्थूलता । पड़य भारी बाह्यता पर ऋषिगणक अति शूक्ष्मता ।। ******************************

स्वयं लग रहबाक अछि

हस्तरेखा विशारद लग नै जरूरी जयबाक अछि, पैघ ओझा-गुनी लग नै जरूरी जयबाक अछि । पीर अथवा फ़क़ीरक लग सेहो ने जायब जरूरी, जरूरी बस एक घंटा स्वयं लग रहबाक अछि !!!! **************************

हम रिक्शा चलौलहुँ

बाल्यकालक शरारतिक एकटा घटना याद पड़ि गेल अछि, मोन भ' रहल अछि जे अहूँ सबके सुना दी । वर्षाकाल छलैक । सड़कक कातमे खत्ता सबमे पाइन भरल छलैक । गर्मीयों खूब पड़ैत छलैक । हमसब आठवाँ किलासमे कलुआही हाइ इस्कूलमे पड़हैत छलहुँ । मॉर्निंग इस्कूल छलैक । हम आ हमर चारिटा संगी एगारह बजे पूर्वाह्नमे छुट्टी भेलाक बाद पैदल गप्प-सप्प करैत आबि रहल छलहुँ । भलनी मियाँटोल बितलाक बाद बरही टोलसँ पहिले एकटा पुलिया छलैक । पुलिया लग एकटा रिक्शा ठाढ़ छलैक । रिक्शा चालक कतहु विश्राम क' रहल छल । हम पाँचो संगी आँखिएसँ किछु बात कएलहुँ आ रिक्शा पर बैसि गेलहुँ, हम चालकक स्थानपर बैसलहुँ । कनेक ढलान छलैक, पैडिल मारैत देरी रिक्शा दौड़ि पड़लैक । अरे, ई की! रिक्शा पूर्ण वेगसँ दौड़िक' बगलके खत्तामे छलाँग मारलक । पाँचो संगी थालमे धड़ामसँ कुदलहुँ, सँजोग कहियौ जे ककरो खरोचो नहि लागल, मात्र थाल-कादो सौँसे देहमे भरि गेल । सब गोटे भल्ली पोखरिमे आबि देह-हाथ नीकसँ धोक' स्नान कएलहुँ, भिजले वस्त्र पहिरि गाम अयलहुँ । पाँचो संगी सप्पत खेलहुँ जे ई बात गुप्ते राखब, ककरो पता नहि चलबाक चाही । एखन तक ई बात गुप्ते छल, मुदा आइ हम अपन प्रतिज्ञा भंग क' लेलहुँ, अहाँसबके सब बात बता देलहुँ । रिक्शाचालकक की प्रतिक्रिया भेल हेतैक से बात अपने लोकनि पर छोड़ैत छी !!!??

धोखेबाज

मनुखताके बिसरि, धोखा जगतके क्यो द' सकै अछि । मुदा अतिशय नीच रहितो स्वयंके नै ठकि सकै अछि ।। दुष्ट धोखेबाज बदतर हिंस्र पशुओसँ रहै अछि । हिंस्रसँ क्षति देह, धोखेबाज क्षति मोनो करै अछि ।। एते मिनती ईशसँ जे, जदपि कतबो दैन्य आबय । भले प्राणोपर हो खतरा, मोनमे धोखा ने आबय ।। *************************

नीकके नीके भेटय

भेटय तिनका फलो तेहने जनिक कृत जेहने रहय । नीकके नीके भेटय, अधलाह खधियामे खसय ।। शुक्रिया तिनकर जे गढ़लनि पुष्प-काँटे अहँक जिनगी । नीक वा अधलाह खट-मिठ, सुदृढ़ कएलनि अहँक जिनगी ।। रहय मम आचार उत्तम सात्विके सुविचार हो । भरल हो उत्साह चितमे लेश नै कुविचार हो । सतत अपने त्रूटि देखी, मधुरवाणी सतत भाखी । आनके नै दोख देखी, आस ककरो सँ ने राखी ।।

पाकिटमार

पाकिटमार ************* बात ताहिकालक थिक जखन बी.आइ. टी. सिन्दरीमे पड़हैत छलहुँ('74-'78 बैच) । गाम(करमौली, मधुबनी)सँ सिन्दरी जायब-आयब बहुत दुरूह छल, एखनुक शारीरिक स्थितिमे तै समयक कष्ट सोचिएक' देह सिहरि उठैछ । गामसँ पैदल/रिक्शासँ कलुआही, फेर बससँ दड़िभंगा, ओत'सँ ट्रेनसँ समस्तीपुर, समस्तीपुरमे बहुत प्रतीक्षा कएलाक बाद नॉर्थबिहार/मिथिलाएक्सप्रेससँ आसनसोल, ओत'सँ कोनो दोसर ट्रेनसँ धनबाद, तकरबाद मटाडोर/ट्रेकरसँ सिन्दरी । यात्रा कतेक दुरूह छल से अही बातसँ बुझा जायत जे कतेको बेर नॉर्थबिहार/मिथिला एक्सप्रेसमे रातिभरि औंघाइत ठाढ़े यात्रा कर' पड़ल छल । गाम-देहातक गरीब घरक छात्र दड़िभंगासँ आगाँ कहियो एसगर गेलो नै छलहुँ; रिजर्वेशन की/केना होइत छैक से बुझलो नै छल । दड़िभंगासँ समस्तीपुर पसिंजर ट्रेनसँ जाइत छलहुँ, समस्तीपुरमे नार्थबिहार/मिथिला पकड़ैत छलहुँ । दरिभंगा-समस्तीपुर पसिंजरमे सेहो बड्ड भीड़ रहैत छलैक, चड़हैत-उतरैत कालमे पसेना छूटि जाइत छल । समस्तीपुरमे पसिंजरसँ उतरैतकाल रगड़ा-रगड़ीमे एकटा पाकिटमार जेबीसँ रुपैया निकालि लेलक । यद्यपि रुपैया मात्र एके-डेढ़सौ छल मुदा छात्रजीवनक एक-एक पाइ बहुमूल्य होइछ, ताहूमे अभावग्रस्त गरीब किसानक पुत्रक तँ कहले की जाय! पाकिटमार जहाँ रुपैया निकाललक कि हम ओकर गट्टा कसिक' पकड़लहुँ । पाकिटमार दुब्बर-पातर छल । भागक लेल कतबो छटपटायल मुदा गट्टा नै छोड़ा पौलक । हम ओकरा पकड़ने-पकड़ने जी.आर.पी. सिपाहीलग गेलहुँ । सिपाही ओकरा लॉकअपमे बन्द क' देलकैक आ हमरा बगलेमे राखल एकटा बेंचपर बैसा देलक । कहलक जे पाँच मिनटमे कागत ल' क' आबैत छी, एफ.आइ.आर. करबैक । लॉकअप लग बड्ड कम इजोत छलैक । एसगरे बैसल डरो लागय । तिन-चारिटा छौंड़ा(पाकिटमारक संगीए छल हेतैक) अयलैक आ ओकरा पुछलकैक - "की भेलौक भाइ?" पाकिटमार हमरा दिस देखाक' ओकरा सबके सब बात कहलकैक । ओकर चारू संगी हमरा दिस गुड़ड़लक आ आगाँ बढ़ि गेल । हमर देह सिहड़ि उठल । अंदरसँ पाकिटमार हमरा गाड़ि पड़हैत धमकौलक- "आब' दही हमरा सरदारके, तखन तोहर मजा चखेबौ ।" अन्हार सुनसान स्थान! एसगरे हम, अन्दरसँ भयभीत भ' गेलहुँ । सिपाही हमरा पाँच मिनट कहिक' गेल से आधा घंटाक बादो कोनो अता-पता नै । हमर अगिला ट्रेनक समय भ' गेल छल, पुल पार क' क' दोसर प्लेटफार्मपर जयबाक छल, पाकिटमार दिस बिना तकनहिं इएहले-उएहले पड़ेलहुँ । "जान बचय तँ लाखो पाय"! पुल पार क' क' दोसर प्लेटफार्म पर आबि गेलहुँ । नार्थबिहार आबि चुकल छल, दौड़िए क' चढ़ि गेलहुँ आ एकटा कोनमे भगवानके स्मरण करैत दुबकि क' बैसि गेलहुँ । जानमे जान आयल! ओकर बादसँ जहिया कहियो समस्तीपुर टीशनपर उतरैत छलहुँ, चकुआइते रहैत छलहुँ जे कहीं ओइ पाकिटमारक ने दर्शन भ' जाय!!! ******************************************