Saturday, July 29, 2023

मोन करू थिर स्रोत पर

कादो जन्मे सँ जमा, खाली नित कैरते रहू । सुन्ना जावत् तक ने होबय, तावत् उपछैते रहू ।। तावत् उपछैते रहू, ने चुरुक भरि बाँचय कथू । पात्र नै अजबारबै तँ, कोनाक' राखब कथू ।। भरू गंगाजल अमिय, धारू गुरुक उपदेश आबो । मौन थिर हो स्रोत पर, भरि जै ने फेरो थाल-कादो ।। ****************************

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