परिवेशके जुनि दूसी ,
चुनलहुँ अपने गेह ।
पूर्वजन्म के वासने,
भेटल सबके देह ।।
भेटल सबके देह,
यैह सबसँ अनुकूले ।
कोसि-कोसि निज भाग,
सोचथि सब प्रतिकूले ।।
सबसँ उत्तम देह
कुल ग्राम संग ई देश ।
उज्ज्वल-उत्तम भविष बनाबी
दूसी जुनि परिवेशके ।।
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