Friday, July 7, 2023

नाटक

नाटक टा भ' रहलै जगमे, बूझथि क्यो नहि सत्य । असली बात बिसरि क' सब क्यो, असते बूझथि सत्य ।। असते बूझथि सत्य, झूठमे लागल सब क्यो । कानि रहल अछि सत्य, झूठ लेल पागल सब क्यो ।। राति-दिन सब व्यस्ते, मायालेल सब त्राटक । खुश रहबाक ने फ़ुरसति, मुसकयबो थिक नाटक ।। *************************

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