Wednesday, September 12, 2018

मड़ुआ-मसुरी

ओ कोनो
आन जुग छल हेतै,
पाबनि-तिहार आ
सब शुभ काज मे
मड़ुआ-मसुरी के
बारल जाइत छल हेतै,
आब त'
ओएह अनूप अछि,
कोनो पैघ चिन्तकक उक्ति
सत्य बुझाइछ-
"ई मुँह आ
मसुरीक दालि" !
आब त'
पाबनि-तिहारे मे
दुनूक दर्शन होइछ!!!!
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पूत ब्रह्मचारी

झिंगुरलालक बेटा
पड़ह' मे बड्ड तेज,
लगनशील ततेक जे
सदिखन किताब-कापी
हाथे मे रहै छलै,
कम्पिटीशन मे
औवल आयल ।

झिंगुरलाल
खेत-पथार बेचिक'
बेटा के
इंजीनियरिंग मे
नाम लिखेलक आ
दिकदारियो मे
पैंच-पालट क' क'
मासे-मासे बेटा के
पाइ पठबैछ आ
कोनो दिक्कत नै होम' दैछ ।

मुदा छौंड़ा के आब
हबा लागि गेलैक अछि,
शहरक
सब संगीक बाप-
शूट-बूट-टायबलाक सोंझा
गामक कृषक,
धोती-कुरता-अंगपोछाबला
अपना बाप के देखिक'
बड्ड लाज लगैत छैक,
छुट्टी मे गाम नै जाक'
पटने मे पित्तीक ओइठाँ
रहै अछि,
माय-बापके भेट कर'
नै जाइछ,
बापे पाइ-कौड़ी ल' क'
एत्तहि आबि जाइछ !

गाम मे
बाप सबहक ल'ग
बेटाक प्रशंसा करैत
नै थकैत अछि,
माय-बहिन
बाट तकिते रहि जाइछ,
मुदा छौंड़ा के देखू,
माय-बहिन के
नामो ने सुन' चाहैछ,
पिताक नाम
'झिंगुरलाल' लिख'/बाज' मे
मूरी गारि लैछ!!!
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