Thursday, December 19, 2019

जागल भारत

बहुत दिवस पर जागल भारत
जगद्गुरू बनि जायत आब ।
चैन गेलै जीयब आफत छै
देशक दुश्मन सबके आब ।।

सब मिलिक' बफारि तोड़ै छै,
बाट ने कोनो सूझै आब ।
दूध-माछ दूनू बाँतर छै
देशक दुश्मन सबके आब ।।

सोचनहुँ नै छल देख' पड़तै
एहनो दिन जिनगी मे आब ।
सूझि ने रहलै को'नो रस्ता
देशक दुश्मन सबके आब ।।

जही थाल मे खायत, छेदो-
करत ततहिं, नै चलतै आब ।
कोनाक' बिततै बाँकी जिनगी,
देशक दुश्मन सबके आब ।।

अपने घर मे लगा पसाही
कोना चैन सँ सूतत आब ।
औनैनी कछमच्छी लगलै,
देशक दुश्मन सबके आब ।।

काजू-किसमिस नै पूछै छल,
फुटहे फाँक' पड़तै आब ।
मरुआ-अँकटा-मिसिया आफत,
देशक दुश्मन सबके आब ।।
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Wednesday, December 18, 2019

नाम कुलक जैसँ बढ़ए

नाम कुलक जैसँ बढ़ए,
करी नित्य से काज ।
तेहन काज नहिएँ करी,
जैसँ लागय लाज ।।
जैसँ लागय लाज,
लोभ अपमान कराबय ।
सत्य स्नेह आ त्याग,
सतत सनमान बढ़ाबय ।।
मनन करू सब शास्त्र के,
बनू अतुल विद्वान ।
माथ ऊँच हो देश के,
करू विश्व मे नाम ।।

बुढापा

कथूके सुधि-बुधि रहय नहिं
सतत रासे-रंग डूबल ।
मात्र अपने लेल जीलहुँ
त्याग के किछुओ ने बूझल ।।
सोचल ने पर लेल कहियो
स्वार्थ मे पागल छलहुँ ।
क्यो अचानक द्वार पिटलक
निन्न सँ जागल छलहुँ ।।
फोलल त' देखबा मे आयल
वृद्ध एकटा ठाढ़ सन्मुख ।
" के थिकौं, अछि की प्रयोजन"?
-भेलहुँ ओइ बूढ़ा सँ उन्मुख ।।
आयल ओइ बूढाक उत्तर-
"कुदब-फानब के तजू ।
हम अहाँ केर बुढापा छी
चैन सँ सूतल करू ।।
करू स्वागत आब हम्मर
तुरत अन्दर बजा लीय' ।
अहाँ लेल विश्राम समुचित
दे'ह मे स्थान दीय' ।।"
कहलियनि-" नै आउ भीतर,
आब नै हम रहब सूतल ।
एखन तक बेसुध छलहुँ, नहिं-
नीन्द मे हम रहब डूबल ।।
छलहुँ माया मे फँसल हम,
आब तँ जगबाक अछि ।
जिलहुँ अपने लेल, किछुओ-
दोसर लेल करबाक अछि ।।
आइ दिन सँ कान पकड़ी
झूठ हम कहियो ने बाँचब ।
स्नेह सबसँ करब सबदिन
सतत सबहक दुःख बाँटब ।।"
बुढापा बाजैछ-
" चिन्ता कथू के तों जुनि कर' ।
जँ एहन छह सोच तँ-
तों, चैन सँ एत्तहि रह' ।।
आन लोकक लेल जावत-
काल तक एत्त तों रहब' ।
उम्र कतबो भ' जेतह, तैयो
ने कहियो बूढ़ बनब' ।।
खूब जीबह परहितक लेल,
स्वस्थ आ आनंद रहबह ।
नित्य अनके लेल जीबह,
सतत परमानंद रहबह ।।"
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याचना

याचना नहिं उचित, ईष्टक-
ध्यान सबटा ताप मेटय ।
बिना मँगने भेटय मोती,
माँगने भीखो ने भेटय ।।
माँगने भीखो ने भेटय,
धैर्य ध' सत पथ चली ।
ईष्ट पर सब भार द' क'
काल गति देखल करी ।।
जे देलनि मुख आर दू कर
पूरता सब कामना ।
ईष्ट पर बिसबास क' क'
उचित नहिं थिक याचना ।।

Tuesday, December 10, 2019

ख़ालिए ऐठाम अएलहुँ

अएलहुँ खाली जैब खाली,
कथी लेल निशदिन मरै छी?
देखि पर अट्टालिका के
व्यर्थ मे सदिखन जरै छी ।।
व्यर्थ मे सदिखन जरै छी,
शीघ्र बाँटू सकल अरजन ।
गमन पूर्वहिं रिक्ति उत्तम,
मानसिक भौतिक सकल धन ।।
कएल पर उपकार किछुओ,
जन्म सार्थक तखन कएलहुँ ।
बिलहि मोटरी करू खाली,
ख़ालिए ऐठाम अएलहुँ ।।
*****10.12.2019*****