Saturday, January 4, 2014

पहिलुका आपकता

पहिलुका आपकता वर्णनातीत अछि. शायद पहिल कक्षाक छात्र रहल हैब. उम्र पाँच बरख रहल होयत। पूरा गच्छ (दियाद, महल्ला) मे किनको कुटुम्बक ओहिठाम कोनो उत्सव रहनु, सबके नोत भेटिते छलैक। बच्चा सब ओतहि रहि जाइत छल, जवान-बूढ़ महीस-बरद-गै आदि माल जाल आ खेती बारी देखक लेल अप्पन गाम आबि पुन: साँझखन भोजक बेर में पहुँचि जाइत छलाह। कालिकापुर मे हमरा गच्छक एक व्यक्तिक कुटमैती छलन्हि। ओतय उपनयन छलैक। कुमरम दिन साँझखन क' सब कियो विदा भेलाह। रस्ता मे कैकटा धार; बाढ़िक उमरल पानि। याद क' एखनहुँ भय भ' जाइत अछि। बच्चा सब जबान बूढक  कनहा  पर चढ़िक' धार पार भेल. अंतत: आइरे-धूरे, खत्ता-खुत्ती पार क' क' कालिकापुर पहुँचिये गेलहुँ। भलेही लोक भोज खौका भाभन कहय मुदा ताहिदिनक आपकता क सन्दर्भ में आजुक व्यक्ति बहुत संकीर्ण भ' गेल अछि. टोलो पडोश में भोज खाय लेल नहीं जाइत अइछ. करमौली स'  कालिकापुर लगभग ६ किलोमीटर हेतैक, मुदा  भोजक नाम पर कोनो आसकैत नहि. भोज त' बहन्ना छल; असली प्रेमे छल जे घीच क' ल' जाइत छल.