Thursday, April 16, 2020

कोरोना- 3

बुझि पड़ैत अछि प्रलयकाल
जनु आबि रहल अछि
दुनिया भरि कोरोना-डंका
बाजि रहल अछि !
त्राहि-त्राहि अछि मचल जगत-
भरि काँपि रहल अछि
सूति-उठिक' ड्रैगन के
सब शापि रहल अछि!!

कत'सँ आयल रोग कोरोना
सबके मारत
पस्त भेल जग के आफत
ईशे टा टारत!
काँच माउस बादुर के खाक'
रोग बेसाहल
दुष्ट कुकृतक' सगर जगतमे
रोग पसारल!!

करनी ककरो मुदा बेमारी
सबके पटतै
दोख भले हो एकक भोग'
सबके पड़तै!
वैश्विकता के लाभ भले नै
भेटउ सबके
दुष्टक कुकृत के फल भोग'
सबके पड़तै !!

ड्रैगन ओहिना नाम ने ककरो द' देल जाइ अछि
नाम गुने सब कर्म तकर निश्चय भ'  जाइ अछि!
दुनियाँ मे सब देश रहय उन्नति
लेल आकुल
पर चीनी सब व्यस्त जगक नाशे
लेल व्याकुल!!

खुराफात मे चीनी सबदिन औवल आबय
बदनामी के हेहरा के किछु लाज ने लागय!
रोग सगर जग मे फैलाक'
लाभ की पौलक
सुगराहा सब सगर विश्व मे
नाक कटौलक!!

एकरा पर बिसबास करब तँ धोखा खायब
अदौ काल सँ एकर चरित छलयुक्ते पायब!
पंचशील के उल्लंघन ई
खूब केने छल
बासठि मे पीठी मे छूरा
भोंकि देने छल!!

एकविंश दिन लॉकडाउन के
सफल बनाबी
कोरोना के सब क्यो मिलिक'
मारि भगाबी!
ऐ मीशन मे भारत के
भेटतै जँ सफलता
जितब कोरोना के निश्चय
मेटतै सब चिन्ता!!
जितब कोरोना के निश्चय
मेटतै सब चिन्ता!!!!
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कोरोना लॉकडाउन

झूठ-मूठके सदिखन शान बघाड़ब छोड़ू
बाबा बल फ़ौदारी काज सुताड़ब छोड़ू
ऐय्याशी करबाक एखन नै सोचू कनिको
भोज-भातके आडम्बर नै सोचू कनिको

ताम-झाम के त्यागि तपस्या करू घरेमे
लिखबा-पढ़बाकेर व्यवस्था करू घरेमे
ध्यान-भजन पूजा-पाठक अछि बढियाँ अवसर
मात-पिताके सेवा के अछि बढियाँ अवसर

आत्मचिन्तनें भाग्य सँवारक बेर यैह थिक
छूटल-मूटल कार्य सम्हारक बेर यैह थिक
नशापान नै व्यर्थ बात नै समय बिताबी
गप्प-सड़क्का ताश-ताश नै समय गमाबी

नीक-नीक पुस्तक पढ़बा केर समय एखन अछि
गूढ़-तत्त्व पर गहन-चिन्तनक समय एखन अछि
विज्ञानो पर खोज करक अछि बढियाँ अवसर
ब्रह्मांडो पर शोध करक अछि बढियाँ अवसर

ऋषि-मुनिके धरणी थिक नित एकान्ते चिन्तन
सम्राटो सिर झुकबथि नितदिन प्रातः वन्दन
भूमि विदेहक शास्त्र-पुराणक निशदिन मन्थन
थिकहुँ अयाचिक वंशज यद्यपि बहुत अकिंचन

याज्ञवल्क्य गौतम कणाद के भूमि यैह थिक
वाल्मीकि बुध महावीर के भूमि यैह थिक
आर्यभट्ट सम्राट अशोकक पुत्र थिकहुँ हम
गुरुगोविंद आ कुंवर सिंह के पुत्र थिकहुँ हम

लौटत भारत केर स्वाभिमान शंका ने कनिको
बनि जायत भारत शांतिदूत शंका ने कनिको
गुरु बनि जग-अज्ञान मेटायत भारत निश्चय
भ्रमित विश्वके मार्ग देखायत भारत निश्चय
भ्रमित विश्वके मार्ग देखायत भारत निश्चय !!!!
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कोरोना-2

साँसो लेबक छल पलखति नै व्यस्ते सदिखन
लिलसा छल जे घ'रे बैसल रहितहुँ सदिखन
खूब गप्प-सप करितहुँ दोस्त- महीमक संगमे
ताश आर सतरंज खेलैतहुँ दोस्तक संग मे ।।

काज-धाज सब त्यागि सतत तीर्थाटन करितहुँ
सौंसे घुमिते-फिरिते सबदिन मस्ती करितहुँ
होटल सबहक खूब सुअदगर व्यंजन चिखितहुँ
जाय सिनेमा-थ्येटर नित मनरंजन करितहुँ ।।

भेटल फुरसति शर्त मुदा नहिं घूमू कत्तहु
दोस्त-महीमक संग मस्त नहिं झूमू कत्तहु
सात-फूट दूरे रहिक' हो गप्प-सड़क्का
मुँह मे जाली लगा करू क्यो हँस्सी- ठट्ठा ।।

ड्रैगन के सब लोक जगत के बारि रहल छल
चोटा गेल अहि काटक अवसर ताकि रहल छल
पठा कोरोना दुनियाँ के ओ मजा चखौलक
नाम कुकुरिया पड़लै जग मे नाम घिनौलक ।।

भारत मे ओ रोग कोरोना हारि रहल छल
नेम-टेम परहेजें सब क्यो मारि रहल छल
रास ने अयलै चैन दुष्ट जलसा क' लेलकै
उल्टा साँस लैत वाइरस के जान द' देलकै ।।

एक खुराफातीक कुकृत के भोगय सबक्यो
उखपाती जँ बन्धु तबाहे होबय सबक्यो
ग्लोबल जग रोगो क्षणभरि मे पसरि जाइत छै
केहनो दादा सब बुधियारी घोंसरि जाइत छै ।।

बाल्यकाल सँ हिलिमिलिक' रहनाइ सिखौलक
तेहन समय आयल जे सबके दूर करौलक
आर कोनो ने औषधि जाली मुख पर रखियौ
हाथ ख़ूब साबुन सँ भरिदिन धोइते रहियौ ।।

भेल शहर सुनसान सड़क पर क्यो नहिं भेटत
अपनहिं घर आनन्द करू रोगो सब मेटत
एहि अवसर के नीक चिन्तनक अवसर बूझी
देह निरुज आध्यात्म चिन्तनक अवसर बूझी ।।
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कोरोना-1

थोड़े बागड़ लोक सबके गेह नहिं सोहाइत छै
बिना कोनो काजके सबतरि सतत बौआइत छै
घात मे बघबा कोरोना सतत अछि खएबाक लेल
अधकपारी तोड़थि आफन मृत्युमुख जएबाक लेल

संच-मन्चें घर मे बैसल नीक नहिं लागैछ हुनका
बोन-झाँखुर च'र-चाँचर नीक छन्हि लागैत हुनका
देखै छथि निशदिन कोरोना लोक के चाभैत अछि
अभागल सब काल मुखमे जाय लेल भागैत अछि ।।

कैक जन्मक पुण्य सँ ई देह मानव केर भेटय
करू ताकुत खूब यत्नें सतत नहिं ई फेर भेटय
ईश केर मन्दिर बुझी एकरा संरक्षी खूब  यत्नें
व्यर्थ कालक ग्रास नहिं रक्षा करी अतिशय प्रयत्नें ।।

गेह रहि स्वाध्याय लेखन लेल अछि बढियाँ सुअवसर
बाल-बच्चा संग खेलक भेटल अछि बड नीक अवसर
पढी-लीखी ग्रन्थ टीभी मे बिताबी समय अप्पन
बेसाही आफति ने क्यो कुशलें बिताबी समय सदिखन

प्रकृति अपने सँ अपन क्षतिपूर्ति सबटा करि रहल
प्रदूषण भेल खतम निर्मल सरित जल अछि बहि रहल
बोन-झाँखुर जीव सब स्वच्छंद विचरण क' रहल
तते निर्भय जीव भेल जे भ्रमण नगरक क' रहल ।।

पूर्व मे सब मनुख मिलिक' फारि देल ओजोन लेयर
प्रकृति अवसर पाबिक' अछि क' रहल तकरो रिपेयर
हाल दुनियाँ केर देखू  मनुख घर मे बन्द छथि
बाघ हाथी हरिन बानर चिड़ै सब स्वच्छंद छथि ।।
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