Sunday, January 19, 2020

बतहू


बतहूक उमेर तीस भ’ गेल छलन्हि मुदा तखनो तक कुमारे छलाह I कोनो पैघ ऐब नै कहक चाही, कने सुधंग आ कने तोतराह! ओना तँ कन्याक अभावक कारणें बहुतो नीको बर सब कुमारे छथि, ऐब बलाके के पुछै अछि! शुरू मे अठबारे आ बाद मे नित्यप्रति डोकहर गौरीशंकरके जल चढ़ौलन्हि I बाबा कृपा केलखिन्ह आ एकटा घटक पहुँचलाह I बतहूक पिताजी धरफरायले छलथिन्ह, तुरत ठीक भ’ गेलन्हि I कन्या आँखि मुनल मे बड्ड सुन्नरि, आँखि खोलने एक आँखि सँ कनाहि ! मुदा एहन बर लेल ऐ सँ बेसी सुन्नरि तकला सँ जिनगी भरि कुमारे रह’ पड़ितनि I दान-दहेज़ मे बेसी नै, बरक बाप द्वारा कन्या बापके मात्र एगारह सै टाका देब’ पड़लनि I
शुभ-शुभक’ बियाह भेल I एगारह टा बरियाती! खूब स्वागत! बरियाती सब स्वागतसँ अभिभूत!
भोरहरबामे सोहागक बेर बरियाती जखन आँगन पहुँचल तँ देखलक जे बतहू बीच आँगनमे उघारे देहे चित्त सूतल छथि आ छातीपर एकटा उक्खैर राखल छन्हि I एकटा बरियाती पूछि बैसलथिन्ह- “ बतहू ई की?”
-“ ई बिध होइ छै!”
सबहक हँसी देख’ जोगड़क! कन्याक सखी-बहिनपा सबहक ई किरदानी छल!!!
************************************************************   

Saturday, January 18, 2020

शहर पलायन

थोड़े बरख सँ गाम-घ'र सँँ
भागक लेल उजाहि उठल अछि,
टोल-पड़ोसक लोक-बेद सब,
शहरे दिसक' भागि रहल अछि,
मृगतृष्णा मे भटकल जनकेँ,
ब्याधि नगर के चाभि रहल अछि,
ब्याधि नगर के.........।
कुली-मजूरी कए नहिं सकता,
नाइटशिफ्ट किन्नहुुँँ नहिं खटता,
बाहर मे जिनगी छनि दुर्लभ,
गामे मे पुनि सब जा रहता,
जेना जहाजक पंछी उड़िक'
पुनि जहाज पर आबि रहल अछि,
पुनि जहाज ........।

दूध-दही बिन लोक कुपोषित,
हरियर शब्जी फल भेल लोपित,
सुखा गेल नाला-धारो सब,
भू-गर्भी जल सेहो अलोपित,
गंदे जल के पीबि-पीबि सब,
खूब रोग के पालि रहल अछि,
खूब रोग........ ।

कल-करखाना सगरो पसरल,
ज़रा पराली जहरे परसल,
गर्दा-धूआँ भरल वायु मे
मरि रहलै सब अल्प आयु मे,
खाँसि-खाँसिक' ब्याकुल भ' क'
मृत्यु-राग सब गाबि रहल अछि,
मृत्यु राग .......।
गाछ-बिरिछ सबटा कटि गे'लै
आक्सीजन दुर्लभ भ' गे'लै,
कंकरीट भरि गेल शहर मे,
ग्लोबल-वार्मिंग सौंसे भे'लै,
धूआँ-धुक्कुर भरल शहर मे,
गामे दिस सब भागि रहल अछि,
गामे दिस.........।

प्लास्टिक सँँ नाला सब भरि गेल,
फेकल कचड़ा सौंसे सड़ि गेल,
पिलुआ-कृृमी सह-सह सगरो,
मच्छर के सम्राज पसरि गेल,
कालाज्वर डेंगूक रोग सब,
बूढ़-युवो के मारि रहल अछि,
बूढ़ युवो ...........।

तरकारी बिन कोना घोंटायत,
दूषित सब्जी कोना क' खायब,
जँँ बलजोड़ी खाय पड़ल तँँ,
खाक' निरुज कोना रहि पायब,
कीटनाशकेँँ भरल-पड़ल सब,
सबहक मुख के जाबि रहल अछि,
सबहक मुख.......... ।

भौतिकता खतरे के बढेलक,
प्रकृति संग खेलबारे केलक,
पर्यावरण असंतुल भए गेल,
बर्फ पघिल क' बाढ़ि पठेलक,
पठा सुनामी, भुवकम्पहुँ के
काल गाल मे दाबि रहल अछि,
काल गाल .........।

अंतरिक्ष तक से'हो पँहुचल,
सागर, पर्वत तक के आँचल,
क्षिति जल पवन गरलमय गगनो,
खएबा जोग कथू ने बाँचल,,
प्राण कोना कँ बाँचत लोकक,
प्रलयकाल जनु आबि रहल अछि,
प्रलयकाल जनु.......।।
**********************************