Tuesday, August 29, 2023

सकारात्मक सोच राखी

सकारात्मक सोच सँ, ओझरायल काजो सुधरि जायत । नकारात्मक सोच सँ, सुढियायल काजो बिगड़ि जायत ।। सब समस्या केर निश्चय समाधानो रहय संगहिं । मुदा जँ संकल्प दृढ़तम समाधानो भेटत तखनहिं ।। कर्म पर आस्था, स्वयं पर - आस सभतरि काज आयत । विघ्न केहनो रहत तैयो कोनो रस्ता भेटि जायत ।। तएँ धरी दूरे नकारा, सकारा पालल करी । इष्ट पर बिसबास राखी, धर्म केर पालन करी ।। **************************

Monday, August 28, 2023

काज तेहने करी जे मुइलो पर लोक याद करय

होइछ विदा जखने क्यो जग सँ, फेकल जाइछ हुनक सब पहिरन । गेरुआ चद्दरि सीरक कम्मल गमछा डोपटा पनही अचकन ।। क्यो नहि फेकय ढ़उआ-कौड़ी, सोना-चानी लेल लड़य सब । महल-अटारी गाड़ी-घोड़ा, हीरा-मोती लेल लड़य सब ।। बूझि लिय' अछि महतु कथी केर, हार-गरदनिक क्यो नहि त्यागत । भरल तिजौरी के सब नगदी, झटपट लूटि लोक सब भागत ।। लूटत सबटा बस्तु-जात सब, किछुओ नहि रहि पायत बाँचल । दान-पुण्य सँ अरजल जे अछि, सैह मात्र रहि जायत बाँचल ।। माथक केस जरै अछि तृण सम, काठक सम हड्डी जरि जायत । सुन्दर गात जरत तूरक सम, वस्तु कथू संगमे नहि जायत ।। शास्त्रक ज्ञान- "कियो नहि ककरो", व्यवहारो मे देखा देलक अछि । छोड़ाक' खोंइचा नग्न सत्य के, आबि करोना सिखा देलक अछि ।। ख्याति बचय ककरो नहि धन सँ, कीर्तिक कारण नाम रहय । काज करी तैं तेहने सब क्यो, मरलो पर सब याद करय ।। मरलो पर सब याद करय !!!! ********************************

Thursday, August 24, 2023

अपनेसँ हारय सब

सगर दुनियाँ छानि किओ, सुन्नर खोंता बनौलक । सबके पछाड़िक' किओ, दिग्गज बड़का कहौलक ।। दिग्गज बड़का कहौलक, जोश मुदा टूटि गेलै । अपनहिं लोक जखन, ओकरा नै चीन्हि पेलै ।। कियो नै रहस बूझय, गजबे अछि हमर दुनियाँ । अपने सँ हारय सब, जीतय भले सगर दुनियाँ ।। -------/---------------/------------

Wednesday, August 23, 2023

सत्यक साबुन

गन्दगी सँ जगतमे घिरना देखाबथि सकल जन, तेल साबुन लगा इत्रें सुवासित राखथि अपन तन । बाह्य यद्यपि स्वच्छ, पर- अन्तर हुनक कालिख भरल, किअए ने सत्येक साबुन लगा राखथि स्वच्छ मन ।। अध्यात्म के आधार जगमे स्वच्छ मोने टा रहथि । यएह तरणी होइछ जै सँ मनुज भवसागर तरथि। यएह बाहर जाय क' संसार के सर्जन करथि, स्रोत पर सुस्थिर भेने तँ स्वयं ई आत्मा बनथि ।। ******************************

Sunday, August 20, 2023

न्यायक नै छूति अछि ।

सबठाँ धृतराष्ट्रे भरल, न्यायक ने छुइत अछि । भीष्म द्रोणों मौन धएने, दुर्योधनक जुइत अछि ।। दुर्योधनक जुइत अछि, कुशासने चीर हरलक । कोना लाज बाँचत, प्रशासने स्वांग रचलक ।। युवा-भीम उठू झट, पिशाचे पसरल सबठाँ । चीरू छाती ओकर, दुशासने सबल सबठाँ ।। ------कमलजी------ *************************

भेटल कर अछि दान करक लेल

भेटल कर अछि दान करक लेल, लेबक लेल अछि ज्ञान । लोभ मोह क्रोधे असली रिपु त्याग करू अभिमान ।। अपना पर बिसबास, ने आनक आश हो कहियो । मात्र निराशे होयब, पूर्ण ने काज हो कहियो ।। कत्तहु भेटत घिरना, कत्तहु वर्षा स्नेहक । सम भावे थिक उत्तम, ध्यान धरू जगदीशक ।। **************************

Saturday, August 19, 2023

राम तोरे आसरय

राम बिन ककरो ने गति अछि, राम मम दाता-शरण । राम कलिकेर दोष नाशक, रामके हम्मर नमन । रामसँ भय खाथि कालो, सकल जगते राममय । राममे हो भक्ति अविचल, राम तोरे आसरय ।। *************************

Thursday, August 17, 2023

आन्तरिक सौंदर्य

लट्टू जुनि होथु कियो, लखि बाह्य सौंदर्य टा । नहि खोलय भीतरक भेद, दैहिक सौंदर्य टा ।। दुष्टो सब शुभ्र-शाभ्र, चेला अछि मूड़ि रहल । ओढ़िक' साधुक खोल, भेड़िया सब घूमि रहल ।। मोर बड्ड सुन्दर अछि, नाचय सेहो खूब सुन्दर । गहुमन के खाइछ खूब, भरल छैक जहरि अन्दर ।। ।।

Wednesday, August 16, 2023

दृश् प्रपंचक मूल ईशे

दृश् प्रपंचक मूल ईशे, वैह जगतक सकल कर्ता । स्रोत ओ आनन्द के छथि, वैह तँ छथि विघ्न-हर्ता ।। अपना बसमे किछु ने ककरो, झूठ-मूठके गुड़िया गाँथय । जीव सकल कठपुतली जगमे, जेना नचाबथि तहिना नाचय ।। जेना ट्रेनमे चढ़िते देरी, माथक मोटरी सेहो रखै छी । सबटा भार दियनु हुनके पर, व्यर्थक चिन्ता किए करै छी । बहुत प्रबल अछि गाल काल केर, सबके एकदिन निश्चय खायत । ईशक हाथ जनिक माथा पर, कालक भय के दूर भगायत ।। *******************************

Saturday, August 12, 2023

विचारक सर्वोच्चता आ क्रियाके प्रतिबद्धता

सर्वोच्चता हो विचारक, क्रिया के प्रतिबद्धता । ततहिं हो श्री जय विभूति, सुनीतिक हो शास्वता ।। सुनीतिक हो शास्वता, हरिनाम पापक नाशकर्ता । स्मरण हर्षक प्रदाता, ओ थिका त्रय तापहर्ता ।। प्राप्ति हो सद्ज्ञान के, आ नष्ट हो सब अज्ञता । सकल संशय दूर हो, आ प्राप्त हो सर्वोच्चता ।। **********************

Friday, August 11, 2023

सहनशीलता

सहनशील बनू किऐक त' अहूँ मे असंख्य कमी अछि जकरा लोक बरदास्त क' रहल अछि । श्रेष्ठ वैह थिक जे दृढ़ अछि मुदा जिद्दी नहिं, बहादुर अछि मुदा हड़बड़िया नहिं, दयावान् अछि पर कायर-निर्बल नहिं, ज्ञानी अछि पर अहंकारी नहिं, जकरा करुणा छैक मुदा प्रतिशोधक भाव नहिं, जकरा निर्णयक शक्ति छैक मुदा ओ कन्फ्यूज्ड नहिं अछि । जँ कियो अहाँक दयालुता, करुणा, प्रेम के अहाँक कायरता बुझैत छथि त' ई हुनकर समस्या छन्हि, अहाँक नहिं ।

Thursday, August 10, 2023

सुप्रभातम्

सुप्रभातम् हे सुहृद! अहींस' जिनगी रंगीन अछि । भोरे-भोर जँ हालचाल नै भेल जिनगी रंगहीन अछि ।। भले भेट ने मुलाकात, मुदा हृदयकेर पुकार, ने कोनो लोभ आ ने स्वार्थ मात्र उरकेर उद्गार!! सुस्वागतम् हे सुहृद! हमर सौभाग्य अप्रतिम भेल । सुहृदक कुशल- समाचार- भोरे-भोर प्राप्त भेल!!! छलकैछ उरसँ उद्गार, खुशीक नै पारावार! हार्दिक अभिनंदन हार्दिक आभार!!!! *🙏🌹*सुप्रभात* 🌹🙏

मोन नहि कखनो खाली

खाली राखब मोन तँ, भरि जायत शैतान । जँ ने रोपल खेत के, घास-फूस खरिहान ।। घास-फूस खरिहान, करी नीके नित चिन्तन । व्यर्थ ने मन हो खिन्न, रही हँसिते सब अनुखन ।। नीके राखी सोच, नकारा के जुनि पाली । चिन्तन नित अध्यात्म, मोन नहि कखनो खाली । ************************

Tuesday, August 8, 2023

आंतरिक शत्रु थिक असली शत्रु

क्यो ने ककरो मित्र आ ने शत्रु जन्मे सँ रहय । स्वयं के व्यवहार सँ क्यो दोस्त वा दुश्मन बनय ।। आंतरिक अछि शत्रु असली बाह्य रिपु के किछु ने मोजर । क्रोध घिरना लोभ लालच काम मोहे होइछ जोरगर ।। एके ईश्वर सभक उरमे आन क्यो नहि रहय जगमे । स्वयं सँ के करत घिरना प्रेम सबसँ रहय जगमे ।। दोष अप्पन क्यो लखय नहि मनुखमे बड़का अगुण अछि । अपन दोषो के ओ अनके माथ मढ़बा मे निपुण अछि ।। अपन जीवन के दुखी- त्रासद स्वयं अपने बनाबी । शत्रु हम्मर दोष अपनहि, नाम हम अनकर लगाबी ।। सब जँ अप्पन अवगुणे लखि, मेटाब' मे लागि जायत । गुणे अनकर जँ देखय तँ, स्वर्ग धरणी के बनायत ।। स्वर्ग धरणी के बनायत!!! ***************************

Tuesday, August 1, 2023

ईशसँ किछुओ ने माँगू

साधु लग गेले सँ भेटय- शान्ति मोनक बिना मँगनहिं । सेंट बिक्रेता सुवासित- करय परिसर बिना किननहिं ।। सरित बिन मंगनहिं प्रदानथि- वारि, जखनहिं ल'ग जायब । ल'ग सद्वृक्षक गेलहिं सँ, बिना मंगनहिं फ़'ल पायब ।। बर्फ के नजदीक गेनहिं, महाशीतलता भेटै अछि । अग्नि लग मे जाइत देरी, लोक गरमाहटि पबै अछि ।। प्राणवायुक दान अपनहिं- करै छथि सदिखन पवन । लोक के कल्याण खातिर, धरणि अपनहिं दैछ अन्न ।। ईश सँ किछुओ ने माँगू, निकट गेनहिं भेटय सब किछु । करू निज कर्तव्य, सबसँ- प्रेम केनहिं, भेटय सब किछु ।। *****************************