Monday, August 28, 2023

काज तेहने करी जे मुइलो पर लोक याद करय

होइछ विदा जखने क्यो जग सँ, फेकल जाइछ हुनक सब पहिरन । गेरुआ चद्दरि सीरक कम्मल गमछा डोपटा पनही अचकन ।। क्यो नहि फेकय ढ़उआ-कौड़ी, सोना-चानी लेल लड़य सब । महल-अटारी गाड़ी-घोड़ा, हीरा-मोती लेल लड़य सब ।। बूझि लिय' अछि महतु कथी केर, हार-गरदनिक क्यो नहि त्यागत । भरल तिजौरी के सब नगदी, झटपट लूटि लोक सब भागत ।। लूटत सबटा बस्तु-जात सब, किछुओ नहि रहि पायत बाँचल । दान-पुण्य सँ अरजल जे अछि, सैह मात्र रहि जायत बाँचल ।। माथक केस जरै अछि तृण सम, काठक सम हड्डी जरि जायत । सुन्दर गात जरत तूरक सम, वस्तु कथू संगमे नहि जायत ।। शास्त्रक ज्ञान- "कियो नहि ककरो", व्यवहारो मे देखा देलक अछि । छोड़ाक' खोंइचा नग्न सत्य के, आबि करोना सिखा देलक अछि ।। ख्याति बचय ककरो नहि धन सँ, कीर्तिक कारण नाम रहय । काज करी तैं तेहने सब क्यो, मरलो पर सब याद करय ।। मरलो पर सब याद करय !!!! ********************************

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