Tuesday, August 1, 2023

ईशसँ किछुओ ने माँगू

साधु लग गेले सँ भेटय- शान्ति मोनक बिना मँगनहिं । सेंट बिक्रेता सुवासित- करय परिसर बिना किननहिं ।। सरित बिन मंगनहिं प्रदानथि- वारि, जखनहिं ल'ग जायब । ल'ग सद्वृक्षक गेलहिं सँ, बिना मंगनहिं फ़'ल पायब ।। बर्फ के नजदीक गेनहिं, महाशीतलता भेटै अछि । अग्नि लग मे जाइत देरी, लोक गरमाहटि पबै अछि ।। प्राणवायुक दान अपनहिं- करै छथि सदिखन पवन । लोक के कल्याण खातिर, धरणि अपनहिं दैछ अन्न ।। ईश सँ किछुओ ने माँगू, निकट गेनहिं भेटय सब किछु । करू निज कर्तव्य, सबसँ- प्रेम केनहिं, भेटय सब किछु ।। *****************************

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