भेटल कर अछि दान करक लेल,
लेबक लेल अछि ज्ञान ।
लोभ मोह क्रोधे असली रिपु
त्याग करू अभिमान ।।
अपना पर बिसबास,
ने आनक आश हो कहियो ।
मात्र निराशे होयब,
पूर्ण ने काज हो कहियो ।।
कत्तहु भेटत घिरना,
कत्तहु वर्षा स्नेहक ।
सम भावे थिक उत्तम,
ध्यान धरू जगदीशक ।।
**************************
No comments:
Post a Comment