Wednesday, January 9, 2019

मृत्यु


सरल जनमल, प्रतिष्ठा लेल-
कठिन रस्ता के चुनै छी,
नाम-यश लेल भेल व्याकुल
जाल माया के बुनै छी I

स्वयं बूनल जाल मे फँसि
दया के भिक्षा मंगै छी,
बनल जिनगी दीन-हीनक
मुक्ति के इक्षा करै छी I

जखन ऊर्जा देह मे, सब-
रहै अछि उन्मत्त मग मे,
समय बितने करय पश्चा-
ताप, अतिशय लोक जग मे I

मृत्यु तँ बस मुक्ति थिक
दुनियाँक मायाजाल सँ,
क्यो ने बाँचल रहत जग मे
महाकालक ब्याल सँ I

दान पुन विद्या ने तप हो
पशु सदृश जिनगी तकर अछि,
मरण तँ बस नाम लेल हो
ओ तँ पहिनहिं मरि चुकल अछि II