Saturday, December 30, 2023

सब निषेधक बाद जे अछि सएह ब्रह्म

ब्रह्म नै छथि सुर-असुर, ने- मनुज-तिर्यक योनि ओ छथि । ओ ने नर-नारी-नपुंसक, वा ने-आने जीव ओ छथि । ओ ने गुण वा कर्म, कारण- कार्य ने किछुओ थिका ओ । शेष सब किछु निषेधक- बादे जे बाँचय, से थिका ओ ।।

Friday, December 29, 2023

भक्तिक प्रबल डोर

मोन कुण्ठित जनिक, कृष्णक- तत्व किछु नै बूझि सकता । मुदा भक्तिक प्रबल डोरें- भक्त हुनका लूझि सकता ।। शास्त्र के अवहेलि क' जे- व्यक्ति भगवद्भक्त बनता । भक्ति तिनकर व्यर्थ, जग मे- व्यवस्था से नष्ट करता ।। मात्र ढोंगी कहथि हल्लुक, भक्ति मार्गो सरल नै अछि । ज्ञान ने जिनका हो भक्तिक, सुगम से एकरा कहै छथि ।। मारि ममता-मोह-मत्सर कृष्ण सबकिछु जैह बूझति । सैह टा छथि भक्त असली, मर्म भक्तिक सैह बूझति ।।

अहं तजि विज्ञता बढ़ाबी

अपन परिचय दैछ कर्मे, बाजि नहि मिट्ठू कहाबी । मात्र एतबे ध्यान राखी नीक कर्में जश बढ़ाबी ।। नीक कर्में जश बढाबी, वित्त यौवन होइछ चञ्चल । शुभे कर्में कएल अर्जित, कीर्तिए टा हो अचञ्चल ।। अज्ञता तजि ज्ञान बढबी, भेटय सुअवसर जखन । अहंता तजि नम्रता सँ विज्ञता बढबी अपन ।। *******************

Friday, December 22, 2023

हम वैह छी ।

अही देह मे हम कखनो शूद्र, कखनो वैश्य, कखनो क्षत्रिय आ कखनो ब्राह्मण बनि जाइत छी । जखन हम शौचालय मे मलमूत्र विसर्जन मे, स्नान करैत काल देहक सफाइ- वस्त्र खिचनाइ आ प्राक्षालन मे, नाली-गली-रस्ताक साफ-सफाइ मे लागल रहैत छी तँ शूद्र बनि जाइत छी । जखन हम पेट-पूजाक जोगार मे आ हाल-रोजगार- व्यापार-नोकरी मे रहै छी तँ वैश्य बनि जाइत छी । जखन हम परिवार-समाज-देशक- रक्षा मे लागल रहैत छी तँ क्षत्रिय बनि जाइत छी । आ जखन पूजा-पाठ, अध्ययन-अध्यापन, यज्ञ-जाप मे रहैत छी तँ ब्राह्मण भ' जाइत छी । तहिना भक्ति मार्ग-साकार-भाव, ज्ञान मार्ग-निराकार-अद्वैत भाव, सेवा भाव, प्रेम भाव, अहिंसा-करुणा भाव आ एके संगें सब भाव अपना क' हमसब अलग-अलग धर्मक उपासक भ' जाइत छी । मुदा, असली बात ई अछि जे, अलग-अलग रहन-सहन, अलग-अलग खान-पान, अलग-अलग चोला, अलग-अलग भाव, अलग-अलग उपासना-पद्धति रहितो, हम वैह छी, हम सैह छी, हम एक्के छी, हम एकमात्र सत्य छी !!!! **********************

प्रलयकाल जनु आबि रहल अछि ।

किछुदिन पहिने गामक लोकक शहरे दिस पड़ाहि लागल छल, मृगतृष्णा मे भटकैत जन कें ब्याधि नगर के चाभि रहल अछि, ब्याधि नगर के.........। सब कियो बसता जा गामे मे बाहर मे जिनगी छनि दुर्लभ, जेना जहाजक पंछी उड़िक' पुनि जहाज पर आबि रहल अछि, पुनि जहाज ........। भेल नदी-नाला सब दूषित भू-गर्भी जल सेहो प्रदूषित, गंदे जल के पीबि-पीबि सब खूब रोग के लाबि रहल अछि, खूब रोग........ । गर्दे-धूएँ वायु भरल अछि स्वांस लेब सेहो ने सरल अछि खाँसि-खाँसिक' ब्याकुल अछि सब मृत्यु-राग सब गाबि रहल अछि, मृत्यु राग .......। गाछ-बिरिछ सबटा कटि गे'लै आक्सीजन दुर्लभ भ' गे'लै, धूआँ-धुक्कुर भरल शहर मे गामे दिस सब भागि रहल अछि, गामे दिस.........। मच्छर के सम्राज पसरलै कालाज्वर डेंगू भरि गे'लै, नित-नित नव-नव रोग सुनै छी बूढ़-युवो के मारि रहल अछि, बूढ़ युवो ...........। हरियर सब्जी कोना क' खायब खाक' निरुज कोना रहि पायब, कीटनाशकें भरल-पड़ल सब सबहक मुख के जाबि रहल अछि, सबहक मुख.......... । पर्यावरण असंतुल भए गेल बर्फ पघिल क' बाढ़ि आबि गेल, पठा सुनामी, भुवकम्पहुँ के काल गाल मे दाबि रहल अछि, काल गाल .........। जल दूषित पवनो भेल दूषित खाद-पदार्थो भेल प्रदूषित, प्राण कोना कँ बाँचत लोकक प्रलयकाल जनु आबि रहल अछि, प्रलयकाल जनु.......।। *****************************

Wednesday, December 13, 2023

नित्य अनकेलेल जीबह

कथूके सुधि-बुधि रहय नहि सतत रासे-रंग डूबल । मात्र अपने लेल जीलहुँ त्याग के किछुओ ने बूझल ।। सोचल ने पर लेल कहियो स्वार्थ मे पागल छलहुँ । क्यो अचानक द्वार पिटलक निन्न सँ जागल छलहुँ ।। फोलल त' देखबा मे आयल वृद्ध एकटा ठाढ़ सन्मुख । " के थिकौं, अछि की प्रयोजन"? -भेलहुँ ओइ बूढ़ा सँ उन्मुख ।। आयल ओइ बूढाक उत्तर- "कुदब-फानब के तजू । हम अहाँ केर बुढापा छी चैन सँ सूतल करू ।। करू स्वागत आब हम्मर तुरत अन्दर बजा लीय' । अहाँ लेल विश्राम समुचित दे'ह मे स्थान दीय' ।।" कहलियनि-" नै आउ भीतर, आब नै हम रहब सूतल । एखन तक बेसुध छलहुँ, नहि- नीन्द मे हम रहब डूबल ।। छलहुँ माया मे फँसल हम, आब तँ जगबाक अछि । जिलहुँ अपने लेल, किछुओ- दोसर लेल करबाक अछि ।। आइ दिन सँ कान पकड़ी झूठ हम कहियो ने बाँचब । स्नेह सबसँ करब सबदिन सतत सबहक दुःख बाँटब ।।" बुढापा बाजैछ-"चिन्ता- कथू के तों जुनि कर' । जँ एहन छह सोच तँ- तों, चैन सँ एत्तहि रह' ।। आन लोकक लेल जावत- काल तक एत्त तों रहबह । उम्र कतबो भ' जेतह, तैयो ने कहियो बूढ़ बनबह ।। खूब जीबह परहितक लेल, स्वस्थ आ आनंद रहबह । नित्य अनके लेल जीबह, सतत परमानंद रहबह ।। सतत परमानंद रहबह!!!!" ************************

Tuesday, December 5, 2023

अहाँ अनमोल छी

अहाँक स्वाभिमान अमूल्य थिक, दुनियाँक सबसँ पैघ वस्तु थिक । कियो कतबो प्रलोभन दिअय ज़मीर गमाक' झुकनाइ अपन अस्तित्व मिटेबाक सदृश थिक । कियो अहाँके ऐ लेल महत्व दैत अछि किऐक तँ ओकरा अहाँक क्वालिटीक आवश्यकता छैक । जखने झुकि गेलहुँ, स्वाभिमान समाप्त क' लेलहुँ, अहाँ समाप्त भ' गेलहुँ । "यूज एन्ड थ्रो" भौतिक सिद्धान्त छैक । अहाँक इस्तेमाल क' लेलाक बाद अहाँ "थ्रो" क' देल जायब । तैं अपन जमीर बचाक' राखू । अपना के अंडरइस्टिमेट कहियो नै करू, अहाँ अनमोल छी, अहाँ अनुपम छी, अहाँ ब्रह्माण्ड मे सबसँ महान छी ! सबसँ महान छी !!! ***************

Saturday, December 2, 2023

जँ ने अप्पन छाप छोड़लौं

जन्म लए लाखो-करोड़ो निरर्थक चलि जाइछ जगसँ । जँ ने अप्पन छाप छोडलौं जीबिएक' कथी कएलौं!! जनमि जगमे लोकसब जीबैछ अपने लेल अइठाँ । जँ ने अनकर नोर पोछलौं जीबिएक' कथी कएलौं !! हँसय-बाजय खूब मस्ती करै अछि सब लोक जगमे । दीन-हीनक मुख ने मुस्की- लाबि सकलौं, तँ की जीलौं!! काम भय आहार निद्रा पशु-मनुज दुहुँमे एके रंग । धर्म टा सुविशेष मनुखक पशुवते जीक' की जीलौं!! कथी लेल भेल जन्म बिसरल व्यसनमे डूबल रहै छी । आत्मज्ञानक लाभ नै तँ जन्म लइएक' की केलौं!!! ****************************