Friday, December 29, 2023

भक्तिक प्रबल डोर

मोन कुण्ठित जनिक, कृष्णक- तत्व किछु नै बूझि सकता । मुदा भक्तिक प्रबल डोरें- भक्त हुनका लूझि सकता ।। शास्त्र के अवहेलि क' जे- व्यक्ति भगवद्भक्त बनता । भक्ति तिनकर व्यर्थ, जग मे- व्यवस्था से नष्ट करता ।। मात्र ढोंगी कहथि हल्लुक, भक्ति मार्गो सरल नै अछि । ज्ञान ने जिनका हो भक्तिक, सुगम से एकरा कहै छथि ।। मारि ममता-मोह-मत्सर कृष्ण सबकिछु जैह बूझति । सैह टा छथि भक्त असली, मर्म भक्तिक सैह बूझति ।।

No comments:

Post a Comment