जन्म लए लाखो-करोड़ो
निरर्थक चलि जाइछ जगसँ ।
जँ ने अप्पन छाप छोडलौं
जीबिएक' कथी कएलौं!!
जनमि जगमे लोकसब
जीबैछ अपने लेल अइठाँ ।
जँ ने अनकर नोर पोछलौं
जीबिएक' कथी कएलौं !!
हँसय-बाजय खूब मस्ती
करै अछि सब लोक जगमे ।
दीन-हीनक मुख ने मुस्की-
लाबि सकलौं, तँ की जीलौं!!
काम भय आहार निद्रा
पशु-मनुज दुहुँमे एके रंग ।
धर्म टा सुविशेष मनुखक
पशुवते जीक' की जीलौं!!
कथी लेल भेल जन्म बिसरल
व्यसनमे डूबल रहै छी ।
आत्मज्ञानक लाभ नै तँ
जन्म लइएक' की केलौं!!!
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