Friday, March 28, 2014

सियार

सियारक कथा पुराण  स' ल' क' आधुनिक इतिहास मे सेहो देखना  अबैछ्. ऐ तरहक जीव के कतबो दैबी डाङ् पडय , कोनो अन्तर नहि पडइ छै.  कहानी में सदैव एकर निन्दा भेटत, मुदा  तै स' की? ऐ प्रवृत्ति में मजे-मजा छैक. पर निंदा में भले कतबो दोष हउक  मुदा  ओकर आनन्द वर्णनातीत अछि.
            मानि  लिय' जे एकटा बाघ अछि. ओ उम्रक कारणे वा प्रतिष्ठाक कारणे दौडि -दौडि क' शिकार नहीं क' सकैत अछि. ओकरा एकटा एहन चेला चाही जे ओकरा हाँ में हाँ करय, ओकर सब प्रकारक सुविधा के ख्याल राखय आ बझा-बझा क' शिकार सबके ओकरा लग आनय. जाहिस' ओकरा विना परिश्रम के सब सुविधा प्राप्त होइत रहैक, वदनामी नहि होइक आ फ़'स'क समय चेलाक  नाम लगा क' बाञ्चि जाय. चेला सियार टाइप लुहेरा पर एकसय इल्जाम् मे एकटा आरो बढि गेला स' की अन्तर पडतै.
                                                चेला-सियार के सेहो लाभे-लाभ. ओ- कायर शिकार क' नहि सकैछ. बझा क' आनल निरीह के शेर स' हत्या करवा अपन पेट चलवैछ, ओकर ऐठ-कूठिक मजा ळैछ.