Thursday, May 16, 2019

करमौली ग्राम-गाथा (2)


               
                   विषय अनुक्रमणिका :-
1.     भूमिका                                    पृ० सं० 1-5
2.     ग्राम-बासक वर्णन-
3.     चौपाड़ि एवं ब्रह्मबाबा
4.     डिहबारबाबा
5.     ब्रह्मचर्याश्रम
6.     माध्यमिक विद्यालय
7.     फिल्ड
8.     नवाह
9.     दुर्गा-पूजा 
10.                         ख़बासक पोखरि
11.                        बाबा पोखरि
12.                         ग्राम्य-हाट
13.                         विशिष्ट व्यक्तित्व
14.                         उपसंहार   










2. ग्राम-बासक वर्णन :-

i. ब्राह्मण:-
एक स्थूल आकलन सँ अनुमानतः लगभग 200 बर्ख़ पूर्व ऐ गाम मे पहिल व्यक्ति बसल छलाह जे डीही भेलाह I तकर बाद ब्याह-सम्बन्ध सँ भगिनमान सब बसलाह I किछु व्यक्ति स्वतंत्र रूपें सेहो आबिक’ बसलाह जिनकर वंशज सब एखन देखना अबैत छथि जे किनको भगिनमान नहिं छथि I  
प्राचीन काल मे ऐ स्थान पर घनघोर बोन रहल होयत I ऐ बोन मे बाघ-सिंह सहित आरो जीव-जन्तु सब रहल होयत I ई तथ्य ऐ बात सँ सिद्ध होइछ जे ग्राम-डिहबार नरभक्षी बाघ के मारने छलाह आ बाघो हुनका मारि देने छलनि I हाल-हाल तक गामक चारूकात घनघोर बोन छल I बीच गामो मे कैकटा सघन बोन-झाँखुर हमरो सबहक ज्ञान मे छल, किछु अवशेष एखनो देख’ मे अबैछ I      
संभवतः नरभक्षी के मरि गेलाक उपरांत सबसँ पहिले ओइनबार-ओइनी वंशक लोक ऐठाम आबिक’ बसलाह I ई लोकनि डीही कहाबैत छथि I हुनकर बास वर्त्तमान मे गामक सबसँ उत्तर मे छन्हि I डीहीक एखनुक लोक सबके देखला सँ मात्र तीन पट्टीदारक वंशज दृष्टिगोचर होइत छथि I शायद तारापति ठाकुर वा हुनक एक-दू पीढ़ी ऊपर के व्यक्ति जिनका एके सन्तान छल हेतनि ऐ ठाम आयल छल हेताह I ओना एखनुक पटीदार सब तारापतिए ठाकुर सँ फूटल बुझाइछ I तरापति ठाकुर के पुत्र माना ठाकुर आ हुनकर पुत्र हंसपति ठाकुर छलाह ।
हंसपति ठाकुर के चारि पुत्र छलनि- सबसँ ज्येष्ठ बाबूजी ठाकुर जिनका पाँच पुत्र छलनि, द्वितीय पुत्र सिंहेश्वर ठाकुर जे कुमारे अवस्था मे काल-कवलित भ’ गेलाह, तृतीय पुत्र किशोरी ठाकुर जिनका तीन पुत्र छलनि आ सबसँ छोट लक्ष्मीदत्त ठाकुर जिनका दू पुत्र छलनि I
डीही ओइनबार-ओइनीक भगिनमान दिघवे सब छथि I हुनकर जनसंख्या बहुत बेसी कहक चाही, बीच गाम मे आ पुबारी भाग मे सेहो बहुत लोक छथि I दिघवेक भगिनमान एकहरे सब छथि I ई सब गाम मे सबसँ बेसी छथि I उत्तर-पूब कोन मे आ गामक दक्षिण मे ई सब छथि I एकहरेक भगिनमान सदरपुरिए सब छथि I हिनको सबहक संख्या बड्ड बेसी कहाक चाही I गामक दक्षिण-पश्चिम भाग मे आ ओइसँ पश्चिम दक्षिण भाग मे ई सब बसल छथि I
एकर अतिरिक्त स्वतंत्र रूपें बसल लोक सब मे आशेश्वर झाक परिवार, भगीरथ जीक परिवार, सत्यनारायण ठाकुर(सरकार)क परिवार, दशरथ जीक परिवार एवं किछु आर लोक सब छथि I ब्राह्मणक क़रीब 500 घर हएत I

सम्पूर्ण गामक ब्राह्मणक एकटा सूची प्राप्त भेल अछि जकरा अंकित क' रहल छी- (मात्र नाम लिखल छैक, श्री/श्रीमती अंकित नहिं छैक ताहिलेल क्षमा प्रार्थी) :-
करमौली :-
A. डीही (ओइनवार ओइनी) :- तारापति ठाकुर- माना ठाकुर - हंसपति ठाकुर-1. बाबूजी ठाकुर, सिंहेश्वर ठाकुर, किशोरी ठाकुर, लक्ष्मी ठाकुर ।
बाबूजी ठाकुर-1. यदुनन्दन ठाकुर, शत्रुघ्न ठाकुर, मनपूरण ठाकुर, मनरक्खन ठाकुर, जिरेक्खन ठाकुर ।
यदुनन्दन ठाकुर :- अलिकनाथ ठाकुर ।
शत्रुघ्न ठाकुर :- धनंजय ठाकुर ।
मनपूरण ठाकुर :- 1. श्रीकृष्ण ठाकुर 2. भोला ठाकुर ।
3. मनरक्खन ठाकुर :- ठक्कन ठाकुर, उप्पी ठाकुर ।
जिरेक्खन ठाकुर :- राम चन्द्र ठाकुर, बौधू ठाकुर ।
2. किशोरी ठाकुर :- करयुग ठाकुर, शशिधर ठाकुर, सृष्टधर ठाकुर ।
3. गंगाधर ठाकुर :- सरयुग ठाकुर, गंगाधर ठाकुर ।
B. दिघबे नगर :- चतुर ठाकुर-गुंजे ठाकुर, मूसे ठाकुर, माधव ठाकुर ।

गुंजे ठाकुर-फौदार ठाकुर, हरिदेव ठाकुर, सुकदेव ठाकुर । मूसे ठाकुर- मोहित, जयरुद्र । माधव ठाकुर- नागेश्वर ठाकुर ।  फतूरी ठाकुर- रघुनंदन ठाकुर -हरिश्चंद्र-परमानंद, घूरन, बैदिक । शिवचंद्र-× । महाचंद्र -प्रेम, वीरचन्द्र, सुभाष । देवचन्द्र-खडानन, मदन, अशोक ।
B1. दिघबे- राजवंशी ठाकुर - 
लक्ष्मीनारायण, भारतेंदु, सुशील, ईशनारायण ।
भारतेंदु-भवनाथ, प्रेमनाथ, रमन, विश्वनाथ ।
सुशील- पुण्यनाथ ।
ईशनारायण - मुन्ना, चुन्ना ।
B3. भगता(जनार्दन), अनंत 
भगता-लक्ष्मी,
लक्ष्मी-राजदेव, ब्रह्मदेव ।
अनंत- चंद्रकांत, शुभकान्त ।
B4. मौजेलाल- शोभा, राम, ऐस्तानंद, रुद्रानंद ।
शोभा- बेलभद्र, हनुमान, बौकू(तुलाकान्त),....
राम- नरेश, गणेश ।
ऐस्तानंद-पवन, अरुण ।
रुद्रानंद-बिकन ।
B5. वेदानन्द- 
B6. शूलपाणि, चक्रपाणि ।
शूलपाणि- इंदल, भूप, रूप, शुभ ।
चक्रपाणि--दुर्गानंद, हरि ।
दुर्गानंद-नित्यानंद, मेधानंद ।
हरि ठाकुर-भवन ।
B7. श्रीकांत, महाकांत, गौरीकान्त ।
श्रीकांत- शिवानन्द, ब्रह्मानंद, योगानन्द ।
शिवानंद-आनंद
ब्रह्मानंद- लाल, विवेक, प्रमोद,...
योगानन्द-×
महाकान्त-जीबछ-अरुण,
गौरीकान्त- सदानंद, विद्यानंद, गोकुलानंद, कृष्णानंद ।
सदानंद-धीरा, शंकर ।
विद्यानंद-× 
गोकुलानंद-× ।

कृष्णानंद- ।

C. एकहरे ओरा:-
C1.कपिलेश्वर झा - गणेश झा, महंथ झा, विद्यानंद झा, नारायणदत्त झा, बहादुर झा ।
गणेश-राघोजी ।
महंत- लक्ष्मण, जयचंद्र ।
विद्यानंद-जीवानंद, शुभचन्द्र ।
नारायणदत्त -धैरज, छोटकन
बहादुर-गौरीशंकर ।
C2. !.परसुराम झा- गोपी-×, भालेश्वर ।
भालेश्वर-इंदल ।
!!. सहदेव झा- शुभकान्त, फिरन, नबिकान्त
!!!. बलदेव - बाबूसाहब, शिव
!v. जगदेव- कृष्णकांत, हृदयकान्त ।
C3- फेकू झा- शिवानंद झा-श्रीधर ।
महावीर झा-दयानन्द, गोपाल जी झा ।
जयवीर झा-
D1. !.जयकृष्ण झा- रामेश्वर, जागेश्वर ।
रामेश्वर- सत्यनारायण ।
जागेश्वर- उमा, पीताम्बर, पूरण ।

बद्री झा- ढोंढाइ झा-राजेन्द्र,...

E :-
E1. बुच्चन झा :- 1.राजधर-बैद्यनाथ, जगन्नाथ, भैरव ।
2. आशेश्वर :- पवन, निरसन, हृदय ।
E2. बबुअन झा -1.कुमरलाल- नारायण-× ।
2. लोचन झा-5 लड़की ।

F- परिवार हाटी -
यदु झा -
1. रामेश्वर-!बतहू-1 बेटी, !!नबोनाथ-रत्नेश्वर, भवनाथ, !!! कंटीर-महाराज,  !v. महीन्द्र-बिल्लू ।
2. महंथ-!.बैद्यनाथ-हरिनाथ, अमरनाथ, अशोक ।
!!. जगन्नाथ-जवाहर, जयप्रकाश ।
!!!. काशीनाथ- बेचन,प्रदीप ।
!v. केदार- बटेश,
v. पशुपति- अजय, विजय ।
v!. बद्रीनाथ- रतीश
 3. कुशेश्वर-
!. कारी- नरेश, मिथिलेश, विघ्नेश, उगंत ।
!!. महेश- धर्मेश, धनेश ।
4. शोभन -!. गिरिधर- अरुण,
!!. धरणीधर :- विनय, बच्चू, मनोज ।
5. भुट्टे (सूरति) झा :- विश्वम्भर :- !.-ध्रुव-राजाराम, रामबाबू, मुन्ना, भुन्नर । प्रह्लाद :- प्रजाराम, बुब्बू ।

6!. a.मकसूदन-
!. मुक्तिनाथ-ऋद्धिनाथ ।
!!. भगीरथ :- विश्वेश्वर, जीवेश्वर, मानेश्वर ।
b. सहदेव -गोपाल ।
6 !! अनंत झा-×, 

दौहित्र- मोहित झा- बहुरन, कुलदेव, धीरन ।

B!! जयरुद्र-पुरुषोत्तम, दिलीप, अनिल,-...एक और ।

7. गनौर ठाकुर :-
!. श्रीनारायण-एक बेटी अनमोला ।
!!. सत्यनारायण- सुबोध, बालबोध, रामबोध ।
!!!. देबन :- जयबोध, रमन, .पवन..सुखेश्वर..कुल5

8A हरिनन्नन झा :-
a. कुशेश्वर- !.मधुकांत-अमीर
!!. सूर्यकान्त- अमर, शंकर
!!!. (बुड़हा)देवकांत- कुमर, जगन्नाथ ।
!v. चंद्रकांत-दू पुत्र ।
v. लक्ष्मीकांत-
b. महंथ- बैद्यनाथ, उग्रनाथ ।
8B  बौकू-बटोही-काशी, दोसर एक ।
8C --श्रीनन्नन--छेदी-बोए, देबानजी, तेसर एक ।

9. राधाकांत-शोभाकांत-5 पुत्र ।

10. !.श्रीलाल झा-4 बेटी,
!!. अचितलाल- 4 बेटी,
!!!. अजबलाल-मंगनू-सनातन
!v. बुद्धन-
a.रामझा-
a1 सुरजू- मोहन,अरुण, अशोक,मनोज ।
a2बामशंकर-2, 
a3. नारायणजी-आलोक ।
b.परमानंद-कृष्णा
c. खेलानंद-एक बेटी ।

d. कृपाकान्त :- दू बेटा ।

11. सौदरपुरिए ;-
a. श्रीकृष्ण मिश्र - !.जटाशंकर-तीन लड़की,
!!. रमेश, उमेश
b. मुक्तिनाथ-अमरनाथ, भोलू
c. दुखमोचन- महींद्र, राजेंद्र, नागेंद्र
d. देव कृष्ण- हर्ष, कुमर, मोद, तेजू, कुमोद ।
e. विश्वनाथ- मदन, शची(बेटी)
f. शशिनाथ- अमीन्द्र
11a !जनार्दन-
बलदेव-चक्रधर,बच्चा,नंदलाल (तीन लड़का).
!!. दामोदर- उपाध्याय- महेश,..धनेश (तीन भाई).
11b चिरंजीव-
!.धनुषधर-अरुण,..
!!कला- अनिल,..
!!!. भोगी- विजय, अजय, संजय ।
11c. 
!.परमेश्वर.-काली- इन्द्रकांत, मणि
!!. युगन - रुद्रधर-
ऋषि-1 लड़का।
!!!. सूरे- सुशील,
सुबोध(दू भाइ)
12. कल्लर -
!. घूरन- श्रीदेव, चन्द्रदेव, इन्द्रदेव ।
!!. पुलकित- शंकर, (तीन)
!!!. दुखहरण- दू लड़का
 (...लाल).
13. !उचितनारायण- हरिश्चन्द्र- पवन, धैर्यू
!!. अबध-विष्णु
14. !बबेलाल- नागेश्वर- ठक्कन, निर्मल, विशे
!!.-गुलाब बैद-कामेश्वर-×
15. दशरथजी-
! शुभद्र- दू लड़का,
!!. किशुन-
!!!.- उत्तिम-5 लड़का
!v दिवस
v. जीवकांत-1 लड़का ।
16. बच्चू-
!. अलीक-खरकन-भोगीन्द्र, शोभिन्द्र, ..एक और ।
!!.गणेश- रामलोचन,श्यामनारायण, चंद्रनारायण ।
17. a.मकसूदन-
!. मुक्तिनाथ- ऋद्धिनाथ
!!. भगीरथ-विशेश्वर, जिबू, मानेश्वर ।
b. सहदेव- सुरजू,... गोपाल (तीन भाइ) .

गोपाल- चारि बेटी ।

18. एकहरे -
पुष्पलाल झा-
!.योगी झा-१. गीता झा-चतुर्भुज-सुनील
२. शिवशंकर झा- गणपति, श्रीपति, भूपति, विद्यापति ।
!!. राजकुमार झा-१ हरिश्चंद्र- कामदेव, उग्रदेव, अनिल, अवनी, अंजनी
२. ताराकान्त- उदय, शुभचन्द्र, रतीश
३. देवकांत -अमर, विन्दू,...3
४. मधुकांत-कृष्णकांत
५. मुनीश्वर- ......राजकमल ।
!!!. बतहू झा- १.बुद्धिनाथ-सुधीर,....
२. कंटीर- 4 लड़का
३. बौअन- अरुण, वरुण
!v. मुक्खी झा -१.फेकन-रामू,
२.शोभा- झोटैल, ....3 भाइ
३. महादेव -गंगाधर
v. शशिनाथ झा - १.भगवत-
गोपी,गंगेश्वर, सुरजू, दिगम्बर, विश्वम्भर, पीतम्बर, नीलाम्बर ।
२. गणेश- मुंशीजी ।
v!. राजी झा (बेमात्रे)- १.फुस्सी- दिनेश, महेश
२.बटोही -विघ्नेश,....3 भाइ
18A 
!.कालिकांत-१मोहन-रघुनाथ, भोला
२ बुनीलाल-2 लड़का
!!. उमा-1. भुटकुन-
परमेश्वर, भगलू
2. चक्रधर-1 बेटी

३......टुनटुन-बंशीधर, सीताराम, दाताराम, कृपा, दया ।

18B. नेबाजी झा :- 
!. बतहू -×
!!. लूटन- नारायण ।
18C. बुच्चन झा:-!. तोफालाल- विजयकान्त, चंद्रकांत, इंद्रकांत, हृदयकान्त  ।
!!. अभयकांत- 
परमानंद, रघुवीर,....3भाई ।
18C. a.झिंगुर झा-
1.लूटन झा-!. लंबोदर, बिनायक
2. मकेश्वर-राजेश्वर
18D. b. राधाकांत झा-
!. दुखहरण- 2 बेटा
!!. महावीर-1 बेटी जयन्ती
!!!. चिरंजीव-सतीश
!v.- a.झोंटन- आदित्य-2 बेटा 
b. मृत्युंजय
18E. 
कैल-
!. चंद्र शेषर
!!. इंद्रा शेखर,
!!!. कृष्णदेव,
!v. श्यामा नंद
19. परिबोध झा:-
!. कृतनाथ,
!!. बौए लाल

!!!. जह्नु

20. कपिलेश्वर झा-
!. मधुकर-जगन्नाथ, धर्मनाथ
हर्षनाथ
!!. लक्ष्मी-धर्मा, गोपाल,.....3 भाई ।
!!!. जयभद्र-कविजी ।
!v. रामदेव- ...बेचन,..भुल्ला..4 भाई ।
21. नरवारे-
A. !.कुशे झा-
a. उपेंद्र झा- शिवशंकर, हरिशंकर, जयशंकर, सुधीर ।
b. तिरपित- ....विजय, ...5 भाई ।
!!. तेजनारायण-बलूट-3 बेटा
B. !.विदेश्वर- राम चन्द्र
!!.जलेश्वर-मदन, . ...3 भाइ ।
!!! धनेश्वर-2 बेटा
C. !.राजधर-
!!. जटाधर- 3 बेटा,

22. रघुनंदन-!. नचारी- दुःख हरण,
!!. अनिरुद्ध- 2 बेटा ।
23. राधाकांत मिश्र- शोभा मिश्र- 4 बेटा ।
24. अयोध्या झा -
!. श्याम सुंन्दर- सूर्य कान्त- 6 भाइ- महानंद, दिनेश, निरंजन, रंजीत, महेष, पंकज
!!. जय लाल -×
!!!. बृज लाल-
!. अबधू -उमेश, राजेश, बजरंगी ।
!!. भूप- रमेश, गुणेश
!!!. सरवन-1 भाइ ।

25. एकहरे (भोकराहा)-
A. !.चिंतामणि- १. तुरंत झा- मोहन, दिवाकर-नारायण, ऋषि-अरुण, फूलो, कृष्ण चंद्र, शंभू-4, विष्णुदेव-3
२. नेवा लाल-शंकर-गणेश, गुणेश, विनोद
!!. हिर्दमणि-१. खुशीलाल-अभिराम, जयराम, हरेराम, लक्ष्मण ।
२. दिगम्बर- बलराम, श्री राम, विद्याराम
B.  दीर्घमणि-
!. नृत्य लाल-मंगल -2 बेटा, 1 बेटी सुनयना ।
!!.पलट - भीम, जयरुद्र, उदयकांत ।
!!!. योगेंद्र-
a.महारुद्र -वशिष्ठ, ललित,.. b. चुनचुन-सरोज, निरिज c.परमानंद -1 बेटा ।

26. अनन्त झा -

दौहित्र- मोहित- बहुरन, कुलदीप, धीरण ।


ii. अमात :-
गामक पश्चिम भाग मे सड़क के पूब आ पश्चिम अमात सब बसल छथि I हिनकर पूर्वज लक्ष्मण ख़बास दड़िभंगा राज मे टहलू छलाह I महाराज रामेश्वर सिंह हिनका बड्ड मानैत छलथिन्ह I ईहो पूर्ण समर्पित भाव सँ हुनकर सेवा मे लागल रहैत छलाह I महाराजक कोनो शत्रु के ई मारि देलनि जाहिसँ महाराज बहुत प्रसन्न भेलथिंह I राजक कृपा सँ हिनका खूब संपत्ति प्राप्त भेल छलनि I दक्षिण भागक च’र करमौली सँ डोकहर तक 1100 एकड़ हिनके छलनि I सात-आठ बिगहा मे तँ हिनकर बासे हेतनि I एकर अतिरिक्त गामक उत्तर मे गोरहा, गाछी सब बहुत छन्हि I गामक पहिल विशाल पोखरि “खबासक पोखरि” हिनके कीर्ति छन्हि I अही पोखरिक उतरबरिया भीर पर ब्रह्मस्थान अछि जतय एकसठि बर्ख़ सँ नओ दिनक नवाह संकीर्तन होइछ I अन्य तीनू भीर पर लोकसब बसल छथि I ब्राह्मणक बाद जनसंख्या मे अमाते सब छथि I ई सब क़रीब 50 घर हेताह I

अमात(खबास)
A.
1. प्यारे खबास -! लक्ष्मण - a.राजकुमार-बिन्दे
b.सुरुज-डोंरबा
c. महावीर-छोटुआ
!!. नंदकिशोर -!. जयदेव-अयोध्या, बदरी,
!!. सुक्कन -
!!!. रघुवीर-
!v. जयवीर-बेटी आशा
2. लाल खबास-

B. 1.कुन्ज-
a.बरमीदत्त-जुगे-रमाकांत, भोला, कमलाकांत
!! नागे- शोभाकांत, राधे, बिजली,
!!!
बीसे- मदन,...दू बेटा ।
b. ननकी-जागे- हरिकांत...
कामे-...., पुलकित- बोकाई, सत्यनारायण, हरिनारायण, देवनारायण, बोधनारायन
2. सुन्दर -मनिदत-
!. महेष्वर,
!!. उमे
बेमात्रे--
!!!. भुवनेश्वर
!v. राजे

C. नन्नू राय-
!. खट्टर-देव सुन्दर-4 लड़का
!!.तोफी-मंगल-3 बेटा
!!!. विजय-×
!v. बच्चे लाल -5 बेटा-लक्ष्मी,.. ,देवा..
D. सुगालाल- !. राम शरण- हरि नारायण,.
!!. अबध- शंकर..3
E. !. जलेसर-2 बेटी-अमरीका...
!!. नंदलाल- जुगेसर-3 बेटा
!!!.कारी राय- 5-कुशेश्वर, बिदे, चंदू, नंदू, मन्दू
F. हरिनंदन-रामेश्वर-वैद्यनाथ,अभिनाथ, गंगाराम
G. जलप खबास-मकुंदत-!.सीताराम-2बेटा,
!!. शीतल-2 बेटा

H. सुवंश-सिंघेश्वर-1बेटा
I. सरजुग-!. बेलू-विद्यानंद
!!. हरि राय -
!!!. काशी-×
J. कृष्णदेव राय -बेचन-अजय
K. सुकदेव-!. विदेशी-वैद्यनाथ, जगन्नाथ
!!. चम्मक-गोपी, शोभा, नंदकिशोर...4 भाई
L. ठक्कन-
!. माधव-महेन्दर, सौखी
!!. खट्टर- 2 बेटा
!!!. महंथी- बौएलाल, हीरालाल....३ भाइ
M. सुबुध- भागिन नथुनी ।
अमात -
N. सत्यदेव -
!. रामजी -बेटी कुसमा-तीन बेटा-श्याम, शिव...
!!. रामदेव - निरंजन, तेजी.३

iii. कुम्हार :-
डीही सबहक सटले पश्चिम कुम्हार सब छथि I पूर्व मे हिनकर सबहक मुख्य कार्य बरतन बनेनाइ छलनि I आबा मे सुराही, घैल, तौला, ढाकन, सरबा, मटकूर, मटकूरी, चुक्की, खौर, छठिक हाथी, खापैर, दिबारी...इत्यादि पकाक’ वियाह, उपनयन, एकादशी यज्ञ, दिया-बाती, छैठ आदि सुअवसर पर दैत छलाह आ संगहिं हाट-बजार मे सेहो बेचैत छलाह I आब ओहो सब नोकरी-चाकरी मे लागि गेलाह अछि आ बरतन-बासन मे  नगण्य लोक लागल छथि I पूर्व मे ततेक प्रेम-भाव छल जे ब्राह्मण घरक उपनयनक बरुआ सबके उपनयन सँ पूर्व कुम्हार सबहक घर मे निमंत्रण पड़ैत छल I एखनहुँ निमंत्रण पड़ैत अछि मुदा दोसर रूप मे, मात्र पूरी-तरकारीक भोज देल जाइछ I कुम्हार सबहक क़रीब 25 घर होयत I


कुम्हार :-
A!
रामभज्जू- a.सेवग-×
b. थारू-×
c. लखन- !महावीर-परिबोध..४
!!. खखरू-सनफुल-नसीब.३ 
!!छटठू-१, 
!!!लाले-३
A!! भीम-
!. मुन्नी- बौकू-कुञ्जी, भुटाइ, फगुनी, राजलाल
!!. फोचे -
a. फूलचंद- मोहन, सोहन, रोहन
b. बालचंद्र - मैनेजर,.२

A३. टुनाइ - 
!. पलट-दल्लू-उतमा, भोगी, जोगी
!!. रघुनंदन-बेटी देवकी-सुकन
!!!. मुक्ती- a.बद्री-दुर्गा, आसमानी, 
b.नारायण-२बेटा

B लाली-
!. गोविन्द - असर्फी-×
!! सूबे-२ बेटी-डोमनी,गुजरी
!!!. राम- गोनू-
a. सोमन, लक्ष्मण

!v. प्रसाद-झामलाल-२बेटी
iv. हलुआइ :-    
गामक पश्चिम भाग मे सड़क सँ पश्चिम भाग मे हलुआइ सबहक घर छन्हि I पहिले हिनकर महिला सब कंसार लगबैत छलीह, मर्द सब खेती-बारी करैत छलाह I आब कंसार प्रायः समाप्त भ’ चुकल अछि I हलुआइ सब नोकरी-चाकरी आदि मे लागि गेल छथि, खेती आ कंसार छुटि गेल छन्हि । ई सब लगभग पंद्रह घर हेताह ।
विस्तृत विवरण :-

A. !.जनक साहु -गंगा-३ बेटा
!!. कैलू :- लक्ष्मण, ...२ बेटा
!!!. नथुनी - ...भोगी...३ बेटा
B. पच्चू साहु -
!. लक्ष्मी -प्रदीप
!!. पूरण-
!!!. सरयुग
!v. राम विलास-
C. !. फूदन-२बेटा
!!. राजे-१ बेटा
D. मंगल साहु- फिरन-



v. हज़ाम :-
 पहिले गामक सबसँ पश्चिम भाग मे तीन घर हजामक छल I आब वैह सब बढ़िक’ पाँच-छ’ घर भ’ गेल अछि I बतहू, भागवत, कारी ठाकुर सब नामी रहथि, बतहू आ भागवत तँ स्वर्गवासी भ’ गेलाह, कारी ठाकुर एखनो छथि I बतहू ठाकुर के कम सुझैत छलैक मुदा तैयो लोक डेराइतो-डेराइतो केस-दाढ़ी बनबा लैत छल I  

विस्तृत विवरण :-

A.!.सुबुध- लक्ष्मी-छितन-४ बेटा,
!!. बतहू-३ बेटी
B. केसवर-
!. सरजुग-
!!. कारी:-....रामानंद...३
C. गुदरी -
!. भागवत- प्रभु..२
!!.-असर्फी-२ बेटा

vi. तेली :-
पूर्व मे दू घर तेलीक छलन्हि, आब एक-दू घर आर बढ़ि गेल छन्हि I पहिले ई सब कोल्हु चलबैत छलाह I बड़दक आँखि मे पट्टी बान्हल रहैक छलैक I बीच मे उक्खड़ि रहैत छलैक, ओइ मे खेतक उपजल सरिसो द’ देल जाइत छलैक I उक्खड़िक बीच मे समाठ रहैत छलैक I समाठ के बाँस द्वारा बड़दक गर्दनि मे बान्हि देल जाइत छलैक I बड़द के घुमला सँ सरिसो पेड़ाइत छलैक, खैर एक दिस आ तेल दोसर दिस खसैत छलैक I ग्रामीण इंजीनिअरीक नीक उदाहरण कहक चाही I एकरा जोगाड़ टेक्नोलोजी कहि सकैत छी I वाल्यावस्था मे हम सब कोल्हु देख’ जाइत छलहुँ आ बड़ी-बड़ी काल धरि देखैत रहैत छलहुँ I बड़दक के घुर्मी नै लागै तैं आँखि पर पट्टी बान्हि दैत जाइत छलैक I तेली सबहक घर हजाम सबहक सटले दक्षिण छलन्हि I


तेली :-
A.खट्टर साहु-
!. परमेश्वर- योगिंदर
!!. कामेश्वर-राजेंदर
!!!. नेती-भोगेन्दर
B. खट्टर -
!.भजन
!!....
!!!... तीन बेटे ।
C. भोचन-×


vii. चमार :-
गामक पश्चिमे भाग मे हजाम सबसँ किछुए उत्तर दस घर चमारक छल I आब पंद्रह–बीस घर भ’ गेल छथि I हिनकर सबहक मुख्य व्यवसाय खेतिए कहक चाही I ओना कोनो माल-जाल, कूकुर आदि मरि गेला पर यैह सब ओकरा हटाबैत छथि, ई सब स्वच्छताक सूत्रधार छथि I हिनकर सबहक काज बहुत प्रशंसनीय छन्हि I जँ ई सब नहिं रहितथि तँ गाम घिनायल रहितय आ रहब बहुत दुरूह होइत I

viii. लोहार :-
मात्र एक घर लोहारक छल, सेबैत लोहार I हुनकर एक मात्र पुत्र तिलक ठाकुर हमर बचपन के संगी छथि I एखनो एके घर कहक चाही I हँ, आब तिलक ठाकुर के दू-तीन पुत्र छन्हि मुदा सब बाहरे छन्हि, तैं एके घर अछि I हिनकर घर अमात सबहक बीचे मे आर.डब्ल्यू.डी. सड़क सँ पश्चिम मे छन्हि I

ठक्कन ठाकुर-सेवत ठाकुर-तिलक ठाकुर-
!......    ..... रामू ३ बेटे ।

ix. यादव :-   
पहिले यादव सब गुल्टेनी झा पोखरिक पुबरिया महार पर बसल छलाह I लगभग बीस घर छलाह I आब ई सब धधहरा गाछी मे सड़क सँ पश्चिम बसि गेलाह अछि I विजय यादव के नाम पर टोलक नाम विजयपुर राखैत गेलाह I हुनका सबहक लेल नीके भेलनि I पुरना बास बड्ड कंजस्टेड छलनि, नबका मेन रोड पर खूब ऐल-फ़ैल बास! पुरना बासक जमीन घरारी के महग भाव मे बिकेलनि I नबका बास हुनका सबके खेतीक जमीन आ गाछी छलनि I अगल-बगल के जमीन जे हुनका लेल महग घरारी छन्हि सस्ता मे धनहर खेतक भाव भेटलनि आ एखनो भेटि रहल छन्हि I गाछीक आमक लाभ सेहो भेलनि I नोकरी-चाकरी, दूध-व्यवसाय, खेती आदि मे समर्पित ई सब खूब सुखी संपन्न भ’ गेल छथि I ओइ टोल पर हमर संगी टेकन (सीताराम यादव) छथि I एकदिन गेल रही त' भेट भेल रहथि आ खूब गप्प-सप्प भेल, बाल्यकालक संस्मरण ताजा भ' गेल I

यादव :-
A. अनूप यादव-
!. सुबुध यादव-
a. रामफल-× एक बेटी
b. भोला-× एक बेटी
!!. विजय-
a. रामेश्वर-भोगी,..२ बेटा
b. जागेश्वर-×
c. जुगेश्वर-२ बेटा
d. कामेश्वर-२ बेटा
e. बौएलाल-
!!!. उदय -२ बेटा
!v. रूप लाल -..टेकन..२ बेटा

B.
!नुजाइ यादव- बिकाउ...२ बेटा
!!. भुसाइ - रामदेव..३ बेटा

C. जीबछ यादव- बेकल-राम लोभित,...२ भाइ,
रामलोभित-उग्रेश यादव (चौकीदार),

D. लालचन-
!. परमेश्वर-
!!.जुगे-
!!!. पुलकित-
!v. महेश्वर-

E. निर्धन-३ बेटा...सीताराम




Saturday, May 11, 2019

करमौली ग्राम-गाथा (1)


ओम् श्री गणेशाय नमः I नमो भगवत्यै माता सरस्वत्यै नमः I नमो भगवते श्री रमणाय I                           
करमौली ग्राम-गाथा :-
 भूमिका :-                               
ग्रामक डिहबार आ ब्रह्म बाबा के नमन क’ क’ आइ ‘करमौली ग्राम-गाथा’ पुस्तक लीखब प्रारम्भ क’ रहल छी I जते संभव होयत गामक प्रत्येक प्रमुख स्थान, एक-एक विशेष घटना, एक-एक विशेष व्यक्तित्वक वर्णन करबाक प्रयास करब जाहि सँ गाम आ बाहरो के लोक सब हमरा गाम सँ सुपरिचित भ’ सकताह I गामक डीह, ब्रह्म-स्थान, डिहबार-स्थान, ब्रह्मचर्याश्रम, दुर्गा-मंदिर आ दुर्गा-पूजा, गुरुजी, विद्यानंद काका, पठशल्ला, फिल्ड, हाटक गाछी, खबासक पोखरि, बाबा-पोखरि, ककरियाही, धधहर आ धधहरा गाछी, धधहरा गाछीक इनार, धधहर परहक इनार, फिल्ड मे फुटबौलक खेल, गामक प्रख्यात विद्वान् आ अन्य क्षेत्रक ख्यातिप्राप्त व्यक्तित्व सबहक वर्णन ऐ पुस्तक मे करबाक मोन अछि I बूढ़-पुरान लोक सबहक संस्मरण बहुत लाभदायक होयत I अपन अनुभव आ अनुभवी व्यक्ति सबहक बहुमूल्य सुझावक आधार पर लीखल ई पुस्तक अपना प्रयास मे कतेक सफल भेल ई पाठके सब कहि सकैत छथि I
बाल्यकालक बाद हाइ-इस्कूल तक गाम सँ पूर्ण रूपेण जुरल रहलहुँ, मुदा उच्च अध्ययन लेल जखन दड़िभंगा सी.एम. कॉलेज मे पड़ह’ गेलहुँ तँ संपर्क थोड़ेक घटि गेल I गर्मी-छुट्टी, दुर्गापूजा छुट्टी आ काजतिहारे मे एनाइ सम्भव भ’ पबैत छल I फेर जखन अभियन्त्रण अध्ययन लेल सिन्दरी चलि गेलहुँ तँ सम्पर्क थोड़े आर घटि गेल I बादक दिन मे नोकरी मे लागि गेला संताँ छुट्टीक अभाव मे एनाइ-गेनाइ आर बेसी घटि गेल I अवकाशग्रहणक पश्चात् आब थोड़े बेसी संपर्क बड़हल अछि I गाम अबैत देरी मोन उत्फुल्ल भ’ उठैत अछि I बाल्यकालक संस्मरण मोन के जीवन्त कदैछ I दरबज्जा परहक बाबा पोखरि मे आ चौपारि परहक खबासक पोखरि मे घंटों हेलबाक आनंद एखनहुँ मोन मे ओहिना रचल-बसल अछि I दुनू पोखरि आ ककरियाहीक खत्ता मे जखन उजाहि उठैत छलैक तँ सगर गामक आबालवृद्ध माछ मारक लेल धमगज्जर केने रहैत छलाह I जूरसितलक सुअवसर पर ख़बासक पोखरि मे दुनू टोलक लोक पैसि एक-दोसरा पर जल फेकि जावत्काल तक हरदा नै बजबा लैत छलाह तावत्काल तक जान नहिं छोड़ैत छलाह I फेर जल सँ निकलि दुनू टोलक युवा लोकनिक बीच कुस्ती-कुस्ती होइत छल I बच्चा सबहक लेल ई अत्यधिक रोमांचक होइत छल I असली प्रतियोगिता जेकाँ बुझाइत छल I जल-प्रतियोगिता मे आँखि लाल-लाल भजाइत छल I
कलम-गाछीक टाइल-पुल्ली, कबडी-कबडी, बुढ़िया-कबडी, चुनौती-कबडीक आनन्द वर्णनातीत अछि I पठशल्लाक फिल्ड मे साँझखनक गेंदक खेल नामी छल I बेसीकाल इलाका भरिक गामक फुटबॉल टीम टुर्नामेंट मे भाग लैत छल I ताहि समयक रोमान्च एखनो रोमांचित करैछ I नबाहक नौ दिनक रामधुन मे सम्पूर्ण गाम राममय रहैत छल I ब्रह्म आ डिहबार पूजाक अवसर पर सम्पूर्ण गाम आह्लादित रहैत छल I दुर्गापूजा तँ हमरा सबके अति विशेष उत्साह दैत छल I दसो दिन-राति हमसब पठशल्ले पर बितबैत छलहुँ I पूजाक आनंदक संग-संग गुरुजीक अमृतोपम सान्निध्य पाबि कृत-कृत्य रहैत छलहुँ I
एखनुक गाम एकदम बदलि गेल अछि I हर-बरद, गाय-महींस, दूध-दही, साग-सब्जी, नाटक-रामलीला, यज्ञ-जप, भगवत्कथा-प्रवचन, पारम्परिक खेल-कूद, वेदपाठ-संध्यावन्दन-गायत्री जप-तर्पण, पराती, घूर तरहक गप्प-सप्प, पाहुन-परख के स्वागत-सत्कार ... आदि सबटा लोप भ’ रहल अछि I अही परिप्रेक्ष्य मे बहुत पूर्व अपन एक गोट लिखल कविता अंकित करबाक लोभ सम्बरण नहिं क’ पाबि रहल छी-
“ गाम मे ब'रद एको नै
धेनु बांचलि नाम मात्रे ।
'र-पालो भूतकालक
महिष सेहो नाम मात्रे ।।

दूध के लेल सुधा डेरी
दही, घी लेल वैह आशा ।
साग-सब्जी हाट पर स'
आन सब शहरेक आशा II

रामलीला ख़तम भ' गेल
नाटकक नै नाम कत्तहु ।
मनोरंजन करय टीभी
यज्ञ के नै नाम कत्तहु ।।

जूरसितलक पानि संगहि
मल्ल-युद्धो बिला गेलै ।
गामघरक टाइल-पुल्ली
संगहि कबडी बिला गेलै ।।

पंडितक प्रवचन कतहु नै
वेद के पाठो विदा भेल ।
बंद भेल संध्याक वंदन
गायत्री, तर्पण विला भेल ।।

पराती गायन विला गेल
घूर-गप नामो ने सूनी ।
दलानो अंगना मे सटिगेल
पाहुनक नामो ने सूनी ।। “

गामक आजुक हालति एकदम बदलि गेल अछि I पहिले पण्डितक गाम रहबाक कारणें वेद-पाठ, श्लोक-स्तोत्र पाठ, भजन-कीर्तन, यज्ञ-जाप-पूजा-पाठ आठो पहर सुनबा मे अबैत छल I तीन बजे भोरे मे ब्रह्मलीन वैदिक मुक्तिनाथ जी स्नान करबा लेल बाबा पोखरि अबैत छलाह, हुनके हरिनाम पर छात्र सब भोरे सँ नित्यक्रिया सँ निवृत्त भए स्वाध्याय मे लागि जाइत छलाह I भोरू परहक समय मे बूढ़ सबहक पराती सँ गाम गुन्जायित भ’ जाइत छल I महिंसबार सब अन्हरोखे मे महींस चराबक लेल झुंड मे निकलैत छलाह, इनार सँ जल लाबक हेतु पनिभरनीक यूथ निकलैत छली, इनार-पोखरि पर भीड़ जुटि जाइत छल, बटुक सब विद्यालय पर वेद-पाठ शुरू करैत छलाह,  चौपारि पर मंदिर मे घड़ी-घंट बाज’ लागैत छल, किसान-मजदूर-हरबाह सब हर-बरद-कोदारि-खुरपीक संग खेत दिस विदा भ’ जाइत छल, सम्पूर्ण गाम मे चहल-पहल शुरू भ’ जाइत छल I भोरू परहक ऐ दृश्यक वर्णन के क’ सकैत अछि ! भरिदिन इस्कुल-विद्यालय मे शास्त्र-चर्चाक उपरांत साँझखन फिल्ड मे फुटबॉलक दृश्य अद्भुत रहैत छल I गामक झगड़ा-झाँटी गामे के पञ्चायत मे फ़रिया लेल जाइत छल, मोकदमा-फौजदारीक नामो नै छल I सम्पूर्ण गाम मे शान्तिक वातावरण छल I
अही प्रसंग पर हम किछु बर्ख़ पूर्व अपन लीखल कविता नीचा द’ रहल छी-
    

  
 कियो लौटा दै हौ हमर पुरना गाम,                                        
 वेद धुनि गुंजित जहँ भोर-साँझ हरिनाम I                                 
 गढ़ संस्कृतक विख्यात परोपट्टा मे
 यग्य-जाप-पाठ-पूजा होइ छल अष्टयाम II

  अन्हरोखे तीन बजे नहाय लेल पोखरि मे,                                 
 वैदिक जी आबथि तहमहूँ सब ऊठि जाइ I                           
  नित्य क्रिया जल्दी कडिबिया जराबी झट,                              
 पुस्तक आ कापी लपड़हक लेल बैसि जाइ II

 भोरुका पहर मे जोर सपढिअइ त’,                               
 टोलभरिक छौंड़ा सब सेहो ऊठि जाइत छल I                            
 सबहक़ दरबज्जा पर लालटेम जरैत छलैक,                               
 बच्चाक मधुर धुनि सगाम गुंजाइत छल II

 ओमहर पछबारि भाग बूढ़ सब जगला त’,                                
 भोरुका पराती स' युवक सबहक निन्न टुटल I                                 
 युवक महिसबार सब दौड़ल खरहोरि दिस,                               
 माथ पर घैल संग नारिक यूथ कूप जुटल II

 बटुकगण विद्यालय मे भोरे भोर स्नान क',                               
वेदपाठ-सस्वर सब उच्चस्वर मे करै छल I                                   
लोक सब रस्ता पर सुनबा लेल ठाढ़ छथि,                            
भोरुका अइ दृश्यक के वर्णन कसकै छल II


दिन भरि विद्यालय मे गुरूजी पढ़बै छथि,                               
उद्भट विद्वान्  सब यूथक यूथ आबै छल I                            
गुरुजीक सेवे मे मेवा सब पाबि रहल,                                   
हंसी खेल करिते सब विद्या के लाभै छल II

 बेरखन लोक सब जूटल विद्यालय पर,                                   
गुरूजी लग शास्त्र चर्चा विद्वद्गण करहल I                          
 फिल्ड मे बच्चा सब रमल अछि गेंद मे,                                  
 कृषकगण के ग्रुप मे कृषि चर्चा भरहल II

 साँझखन कखेतिहर सब जुटला चौपाड़ि पर,                             
 घंटा दू घंटा धरि कीर्तन अछि भरहल I                                  
 छात्र दरबज्जा पर पुस्तक आ कापी लय,                               
 टास्क इस्कूलक तैयारी सब करहल II

झंझट भेल कोनो तबाबा दरबज्जा पर,                                     
गाम भरिक लोक बैसि निर्णय करैत छल I                                 
क्षण मे समाधान भेल जाउ सब निश्चिन्त रहू ,                           
केस आ मोकदमा के क्यो नामो ने सुनैत छल II

शान्ति आ प्रेमक सन्देश पसरय चारूदिस
परोपट्टा मे गाम केर डंका बजैत छल I                                    
बाट आ बटोही जे गुजरय अहि गाम द’,                              
करनिज मौलि छूक' चर्चा करैत छल I                            
 ...................................चर्चा करैत छल II 

एकटा आर हमर लीखल पुरना कविता अंकित करबाक मोन भ' रहल अछि:-

ब्रह्मचर्याश्रम डिहबार ब्रह्मबाबा कियो लौटा दिय',
हमरा सपनाक अनुपम हमर पुरना गाम कियो लौटा दिय' ।

आमक गाछिक चहल-पहल, मचान-खोपरी, ओगरबाह सँगहिं
ठाइर मे टाँगल गुरीचक झुल्ला कियो लौटा दिय' ।

धधहर पर चरबाहक टाइल-पुल्ली, बुढ़िया कबडीक संग
पतौरा स' निकालल जाइत इनारक जल कियो लौटा दिय' ।

जूरसितलक अन्हरोखे नानीक जुड़ायब, बसिया बड़ी-भात, गोबर-कर्सी, थाल-कादो, खबासक पोखरिक पानि-पानिक खेल आ हरदा बजायब, धुरखेल, गाछ सबहक जुड़ायब, चौपाड़ि परहक कुश्ती-कुश्ती कियो लौटा दिय' ।

ब्रह्मस्थानक नवाह कीर्तनक उत्साह, भण्डारा आ रामायण-परिचर्चा, कुमारि-बटटुक, विवाह कीर्तनक आनंद कियो लौटा दिय' ।

ब्रह्मबाबाक किरपा, लोकक कष्टक निवारण, चोइर, सर्पदंश, डाइन-जोगिनक नाश,
डिहबार बाबाक प्रताप, गमैया पूजाक उत्साह कियो लौटा दिय' ।

ब्रह्मचर्याश्रमक बटुक समुदायक वेद पाठ, गुरूजी लग विद्वज्जनक शास्त्रीय वाद-विवाद कियो लौटा दिय' ।
 
घूरतरहक गप्प-सप्प, साँझखनक कीर्तन-भजन,
फगुआक रंग-अबीर, होरी-जोगीड़ा कियो लौटा दिय' ।

भोरक बूढ़-बुढानुसक पराती, महिला सबहक सोहर-
समदाउन, बटगवनी, बारहमासा कियो लौटा दिय' ।

सभागाछीक कन्यागत-बरागतक जुटान, बरक इंटरव्यू, बरियातिक पुछौअलि कियो लौटा दिय'। 

समधि-जमायक छप्पन प्रकारेँ सौजन, बरक सासुरक-
सारि-सरहोजिक हास-परिहास कियो लौटा दिय' ।

ग्राम्य सरल जीवन, संयुक्त परिवार, श्रेष्ठक प्रति आदर, छोटक प्रति स्नेह, भ्रातृप्रेम कियो लौटा दिय' ।

हमर आध्यात्मिकता, सत्य-मित-भाषण, विद्वत्ता, यम नियम आसन प्राणायाम, धारणा, ध्यान समाधि, सविध वृहत पूजा-पाठ, असंख्य पार्थिव महादेवक पूजन .............. कियो लौटा दिय' ।
                --------------क्रमशः
****************************
 उपर्युक्त पूर्वकालक गामक गरिमा-वर्णन अपने सब सुनलहुँ मुदा एखनुक गामक हाल बेहाल भ’ गेल अछि I लोक सब मे आपस मे प्रेमक बदला घिरना भरि गेल छैक, सौंसे कलह पसरल छैक I युवावर्ग व्यसन मे मस्त अछि I पूजा-पाठ लुप्तप्राय भ’ गेल, धर्मक दिबाला निकलि गेलैक, अधिकांश लोक नशा आ पापकर्म मे डूबल रहैछ I लोकक संस्कार क्षीण भ’ गेलैक, श्रेष्ठक प्रति आदर आ छोटक प्रति स्नेह समाप्त भ’ गेलैक I धीया-पुता सब पढ़ाइ-लिखाइ छोड़ि मोबाइल-टी.वी., लफासोटिंग मे लागल रहैछ I सब युवा सब चौक-चौड़ाहा धेने रहैछ, दरबज्जा सुन्न, पाहुन-परख के क्यो ने पुछनाहर, अधिकांश लोक परदेश मे सपरिवार रहैछ, पाहुन-परख के जल-चाहो-पान लेल कोनो बच्चा नहिं उपलब्ध रहैछ I लोक के संतोष समाप्त भ’ चुकल छैक, चित्त अस्थिर भ’ गेल छैक, कुकुरमाछी कटने रहै छैक I अपन खेती-बारी, डीह-डाबर छोड़ि नोकरी लेल लोक परदेश जाइछ मुदा योग्यता/विशेषज्ञताक अभाव मे ओत्तहु स’ अधिकांश हताश-निराश भ’ मुँह बिधुऔने फेर गामे घुड़ि अबैछ I अही भावक एकटा बर्ख़ 2016 ई० मे लीखल अपन कविता अंकित क’ रहल छी-       
“ गामक सब लोक मे
घिरना तभरले छै.
कलह के अन्गेजने सब
हिरदय तजरले छै..
                         काज धाज छोडिकसब
                            व्यसने मे लागल छै.
                           भिनसर ससांझ धरि
                               झगड़ा बेसाहल छै ..
पूजा पाठ ख़तम भेल
नशा के बोलबाला छै .
पापे मे लिप्त सब
धर्मक दिवाला छै..
                               छौंड़ा उचक्का सब
                               उचकपनी करि रहल.
                               श्रेष्ठक अनादर आ
                                भाई भाई लड़ि रहल..
चौक आ चौराहा पर
जूआक अड्डा छै.
पढ़ब लिखब जीरो आ
लफासोटिंग धंधा छै ..
        
                                   भोर सांझ दूरा पर
                                  भेटत ने लोक क्यो.
                                     चौके चौराहा पर
                                    लोकक जमाड़ा छै ..
पाहुन आ परख के
हाल चाल पूछत के.
घरबैया घर धेने
लो लै पूछत के..
                                    गीता रमायन आब
                                     ककरो ने आबै छै .
                                   फ़िल्मक हीरो हिरोइन
                                    सबके मोन भाबै छै..
                           
साँझखन मंदिर आ
पंडित लग लोक नै
चाहक दोकान पर
जमघट सब लागल छै ..
  
                          
संतोषक नाम नै
पाइ-पाइ रटने छै.
चित्त नै थिर ककरो
कुकुरमाछी कटने छै..
                                माटि-पानि छोडिकसब
                                      दूर देस भागै छै
                                 ओत्तहु सपिटाकमुंह-
                                    बिधुआयल आबै छै..
                                    बिधुआयल आबे छै..!!!!!”

                                                              
                                                        एखनुक गामक दुर्दशाक वर्णन किनको अनादर/ अपमानित करबाक उद्देश्य सँ नहिं कएल अछि I आधुनिक पीढ़ी के अपना गामक प्राचीन गरिमाक बोध हेतु एवं पुराण-नवक तुलनात्मक विवेचन हेतु दुहूँ के अंकित कएल अछि I अंत मे गामक सब देवी-देवता, गुरुजन एवं सब श्रेष्ठजन के नमन करैत  गामक कल्याणक कामना करैत छी I हमरा गामक सब व्यक्ति सद्गुणक खान बनैथ, देश-विदेश मे गामक नाम होअय, गाम धन-धान्य पूरित होअय I
“ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः I सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् I”        “ॐ शांतिः शांतिः शांतिः II”
----------------------------------------------------------------------कमला कान्त झा