Thursday, April 12, 2018

शेरू


गीताकक बच्चा के
कुकुर-बिलाड़ि स’ बड्ड प्रेम,
हरदम
ओकर बच्चा सबहक संग
खेलाइत रहैत छल I
एकटा कुकुरक बच्चा के
हमरा ओइठाम
छोड़िक’ चलि गेल,
ओकर नाम सब कियो
शेरू राखि देलकै I

ओ घरक बच्चा सबस’
खूब हिलि-मिलि गेल,
क'रा पर निर्भर छल,
कोनो खाद्य पदार्थ के
नै छूबैत छल I 
खाइत जरूर छल
हमरा ओइठाम
मुदा नद्दी फिरै छल
अनके ओइठाम,
अरबैध क’
बड़का दादाक दरबज्जा पर
फिरि अबै छल I
ओ खिहाड़ि क’
भगा दै छलथिन्ह,
मुदा दरबज्जा
जहाँ सुन्न भेल कि
ओ अपन काज
क’ अबै छल I

धीरे-धीरे ओ पैघ भेल,
बच्चे स'
अनचिन्हार के देखैत देरी
खूब भुकैत छल,
मुदा आश्वस्त भ’ गेला पर
खूब प्यार देखाब’
लगै छल I
चोर-चुहार के त’
इमहर टपनाइ मुश्किल
भ’ गेल छलै,
लगभग पाँच बर्ख
ओ जीबैत रहल,
तै बीच मे
एकोटा चोरीक घटना
नै घटल I
बाबूक पाछाँ-पाछाँ ओ
दूध लाब’ बहरबोन तक
चलि जाइ छल I

आइ अन्हरगरे
कोनो अनठीया लोक के देखि
ओ जोड़ स’ भूक’ लागल,
सब कियो
नींद मे डूबल छल I
ताबरतोड़ तीन गोलीक
आबाज भेलै-
तड़ाक, तड़ाक, तड़ाक !
कैं, कैं, कैं..... !
गोलीक आ तकर बाद
कुकुरक आबाज पर
सब कियो
बाहर दौड़ल I

दरबज्जा पर ओ
सोनित स’ लथ-पथ
ओंघरायल छल,
हुक-हुक्की आबि गेल छलै,
बाबू दौड़िक’ गंगाजल अनलखिन्ह,
ओकरा मूँह मे
चारि बूँद खसेलखिन्ह,
ओकर प्राणान्त भ’ गेलै I
ओकरा ल’गे के खेत मे,
नव-वस्त्र पहिरा क’
गारि देल गेलै I
आइ चोर/डाकू स’ भीरिक’,
अपन प्राण द’ क’,
ओ नूनक सरियत
द’ देलक !

शेरू के मरलाक
एके मासक बाद
अरविंदक बच्चाक  
मूरनक राइत मे
चोर नीक स’
हाथ साफ़ केलक,
अचानक शेरू याद आबि गेल,
आइ जँ ओ रहैत त’
शायद चोर के नै
ट’प’ दैत II