Sunday, October 18, 2020

करमौली ग्राम गाथा :- 4

 अदौ काल सँ करमौली संस्कृतक गढ़ रहल अछि । सैयो बर्ख पूर्व सँ चलैत ऐ ठामक ब्रह्मचर्याश्रम हमर प्राचीन गुरुकुल परंपराक ध्वजवाहक रहल अछि । ऐ ठामक ब्रह्मचारी सब चतुर्दिक नाम कमेने छथि आ अपन प्रतिभाक झण्डा सबतरि फहरा चुकल छथि । एखनो ऐ विद्यालयक किछु ब्रह्मचारी जीवित छथि जिनका सँ इलाकाक लोकसब सबतरहक ज्ञान प्राप्त करैत छथि । ज्योत्षाचार्य पं0 भगीरथ झा आ पं राघवेंद्र झा ... एखन सबहक मार्गदर्शन करैत रहैत छथि ।

सरकारक संस्कृत शिक्षाक प्रति उदासीनताक कारणे ई विद्यालय मृतप्राय भ' चुकल अछि । ने एकोटा शिक्षक आ ने एकोटा विद्यार्थी! मात्र एकटा चतुर्थ श्रेणीक कर्मचारी बाँचल छथि । 

ऐ गामक संस्कृतक प्रकाण्ड विद्वान सब कोनो परिचयक मोहताज नै छथि । स्व0 श्रीलाल झा वैदिक, स्व0 पं0 राजकुमार झा, स्व0 डॉ0 मुनीश्वर झा, स्व0 पं0 आशेश्वर झा,स्व0 पं0 ताराकान्त झा, स्व0 पं0 मधुकांत झा, स्व0 पं0 शिवानन्द झा, स्व0 पं0 भारतेन्दु नाथ ठाकुर, स्व0 पं0 ब्रह्मानन्द ठाकुर, स्व0 पं नागेश्वर ठाकुर, स्व0 पं बुद्धिनाथ झा, स्व0 पं0 फेकन झा, स्व0 पं0 बच्चे ठाकुर, स्व0 पं0 लक्ष्मण झा, स्व0 वैदिक हरिश्चन्द्र मिश्र,...... आदि सम्पूर्ण प्रांत आ सम्पूर्ण देश मे नाम कमा चुकल छथि । धमियापट्टी निवासी श्रद्धेय गुरुजी पं0 जयमाधव ठाकुरक यैह कर्मभूमि छलनि । ओ ऐ विद्यालयक प्रधानाचार्य छलाह । इलाकाक हजारों हुनक शिष्यगण प्रकाण्ड पंडित सब छलाह । नरही ग्राम निवासी पं0 विद्यानंद झा हुनके शिष्य छलथिन्ह जे हुनकर अवकाशग्रहणक बाद ऐ विद्यालयक प्रधानाचार्य बनलाह । ओहो संत स्वभावक प्रकाण्ड विद्वान छलाह ।

गाम परहक दैनिक अनुभव

 लगभग एक बर्खसँ गाम पर छी । अवकाशग्रहण कएला सँ पूर्व गाम अबैत छलहुँ तँ दुइए-चारि दिन मे पड़ाइत छलहुँ, आब अबैत छी तँ कोनो हड़बड़ी नै रहैत अछि । तैं पछिलो बेर आयल छलहुँ तँ छ' मासक बादे जा सकल छलहुँ । गाम पर खूब नीक लगैत अछि ।हमरो सँ बेसी श्रीमतीजी के मोन लगैत छन्हि, हुनका टोल-पड़ोसक सब महिला सँ खूब गप्प-सप्प होइत छन्हि ।

ओना हमर बेसी समय स्वाध्याये मे बीतैत अछि मुदा साँझखन क' नियमित रूपें दुर्गामन्दिर पर जाइत छी । ओइठामक सत्संग अनुपम अछि आ मानसिक खोराक ओतहि प्राप्त होइत अछि । संग मे अनुज महेन्द्र सदिखन छाँह जेकाँ लक्ष्मण सदृश लागल रहैत अछि । हनुमानजीक चबुतरा पर पं0 भगीरथ झा, पं0 राघवेंद्र झा, पं0 सत्यनारायण झा, रत्नेश्वरजी, दयानंदजी, रामूजी, महेंद्र आ नित्यप्रति किछु-किछु नवागंतुकक सान्निध्य प्राप्त होइत अछि ।

ओइठाम प्रसिद्ध तीर्थस्थान, ऋषि-मुनि, आध्यात्मिक ग्रंथ, ज्ञान-विज्ञान सब पर चर्चा होइत अछि । ओ अमृतोपम चर्चा अन्यत्र दुर्लभ अछि ।