Sunday, October 18, 2020

गाम परहक दैनिक अनुभव

 लगभग एक बर्खसँ गाम पर छी । अवकाशग्रहण कएला सँ पूर्व गाम अबैत छलहुँ तँ दुइए-चारि दिन मे पड़ाइत छलहुँ, आब अबैत छी तँ कोनो हड़बड़ी नै रहैत अछि । तैं पछिलो बेर आयल छलहुँ तँ छ' मासक बादे जा सकल छलहुँ । गाम पर खूब नीक लगैत अछि ।हमरो सँ बेसी श्रीमतीजी के मोन लगैत छन्हि, हुनका टोल-पड़ोसक सब महिला सँ खूब गप्प-सप्प होइत छन्हि ।

ओना हमर बेसी समय स्वाध्याये मे बीतैत अछि मुदा साँझखन क' नियमित रूपें दुर्गामन्दिर पर जाइत छी । ओइठामक सत्संग अनुपम अछि आ मानसिक खोराक ओतहि प्राप्त होइत अछि । संग मे अनुज महेन्द्र सदिखन छाँह जेकाँ लक्ष्मण सदृश लागल रहैत अछि । हनुमानजीक चबुतरा पर पं0 भगीरथ झा, पं0 राघवेंद्र झा, पं0 सत्यनारायण झा, रत्नेश्वरजी, दयानंदजी, रामूजी, महेंद्र आ नित्यप्रति किछु-किछु नवागंतुकक सान्निध्य प्राप्त होइत अछि ।

ओइठाम प्रसिद्ध तीर्थस्थान, ऋषि-मुनि, आध्यात्मिक ग्रंथ, ज्ञान-विज्ञान सब पर चर्चा होइत अछि । ओ अमृतोपम चर्चा अन्यत्र दुर्लभ अछि ।

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