Thursday, September 10, 2020

स्व0 आनन्द ठाकुर, करमौली

 आइ मोन भ' रहल अछि जे करमौलीक सर्वकालीन मास्टर साहब स' अपने लोकनिक परिचय कराबी । हँ, श्रद्धेय स्व0 आनंद ठाकुर कोनो परिचयक मोहताज नहिं छथि । अगल-बगल के चारि-पाँच कोस तक के लोक सब हुनका सम्बन्ध मे जरूर किछु ने किछु प्रशंसाक शब्द कहता ।

बाल्यावस्थे स' हुनका एक आदर्श शिक्षक के रूप मे देखैत आबि रहल छी । हुनका देखैत देरी बच्चा सब मे हड़कम्प मचि जाइत छलैक, खासक' गोली-गोली, पाइ-पाइ खेलायबला के त' हाल जुनि पूछू ।

मुदा पड़ह'बला के अपार स्नेहक संग-संग पुरस्कारो भेटैत छलैक । हुनका सनक धीर-गंभीर-विद्वान् शिक्षक दुर्लभ अछि ।

ओ हिन्दी मे एमए छलाह । स्मरणशक्ति तते मजगूत जे विद्यापति, सूर, तुलसी, कबीर, भूषण, जायसी, निराला, दिनकर, महादेवी वर्मा, पंत, गुप्त, प्रसाद.....सब जीहे पर रहै छलथिन्ह ।

मूलरूप सँ ओ शिक्षक छलाह मुदा  हमरा सबहक सीनियर ग्रुपक ओ नेता सेहो छलाह । ओहि ग्रुप मे गरम मिजाजक आ विरोधी सोचबला बेसी लोक रहथिन्ह मुदा तैयो सबके सम्हारि क' ल' चलब' मे ओ असली मास्टर छलाह । आवश्यकतानुसारें कखनो लरम आ कखनो गरम भेनाइ कियो हुनका सँ सीखय ।

"बज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुशुमादपि"क ओ मूर्तरूप छलाह । केहनो विपरीत स्थिति मे ओ अपना सिद्धान्त सँ डिग'बला नै छलाह । 


बियाहक किछुए दिनक बाद सँ पत्नी मानसिक रूपेँ अस्वस्थ रह' लगलथिन्ह । दोसर विवाहक लेल माता-पिता, परिवार, समाजक आग्रह/दबावक आगू नै झुकलाह आ अन्तिम समय तक एक पत्नीव्रतक पालन करैत रहलाह । पत्नीक बेमारीक कारण मास्टर साहब सदैव फिरिसान रहै छलाह मुदा मुँह पर कहियो सिकन नै देखलियनि । अन्दर मे ज्वालामुखी मुदा बाहर शीतल शान्त हिमालयक गाम्भीर्य ! पत्नीक बेमारीक प्रभाव आनुवंशिक रूपें हुनका दू टा पुत्र पर सेहो पड़ि गेलनि आ दू-दू टा जवान पुत्रक असामयिक निधन भ' गेलनि । लगभग बारह बर्ख पूरब पत्नी सेहो कतहु चलि गेलखिन्ह, कतबो खोज कएल गेल नहिं भेटलखिन्ह । ई बज्राघात सब मास्टर साहब के अंदर स' जर्जर क' देलक, मुदा तैयो बाहर स' आघातक चेन्ह किछुओ नहिं परिलक्षित होइत छल।

हुनका मुँह सँ कहियो कियो अमर्यादित शब्द नहिं सुनने हेतनि । शिष्टाचार कियो हुनका सँ सीखय ! पूर्ण झुकिक' वरीयता क्रम मे श्रेष्ठजन के बामा कर सँ बामा पैर आ दहिना कर सँ दहिना पैर स्पर्श करक तरीका हुनके सँ सीखने छलहुँ । तहिना जूनियर के खूब मोन सँ आशीर्वाद देब लोक हुनका सँ सीखि सकै छल ।


गामक कोनो पंचैती मे ओ अन्तिम निर्णायकक भूमिका मे रहैत छलाह । हुनकर निर्भीकता, तीक्ष्ण बुद्धि आ निष्पक्ष निर्णयक आगू सब नतमस्तक रहैत छलाह । बहुतो बेर एहनो देखल गेल जे अभियुक्त बहुत प्रभावशाली रहथि, तैयो हुनका विरुद्ध निर्णय कर' मे कनेको भय नहिं भेलनि । 

एक बेर दुर्गापूजा मे नाटकक रंगमंच पर गामक किछु उखपाती युवक नशापान क' क' उपद्रव क' देने छल । पाठशाला पर पंचायत भेल । दोषी युवक सब आशंकित छल जे वृहत आर्थिक दंड ने भेटि जाय । मुदा मास्टर साहब त' शिक्षक छलाह ने, हुनकर मुख्य उद्देश्य त' सुधार करबाक रहैत छल । सब दोषी के कान पकड़बा, गीता स्पर्श कराक' भविष्य मे नशापान आ उखपात नै करबाक सप्पत खुआक' मुक्त क' देल गेल । समस्त समाजक बीच एतबे दंड बहुत काज केलक । ओकर बादे सँ नशापान आ उखपात मे कमी आयब शुरू भ' गेल । आब त' सरकारे कानून बना देलक अछि जकरा हमसब मास्टर साहेबक 25 बर्ख पूर्ब कएल गेल बीजारोपणक वृक्ष मे परिणतिक रूप मे देखि सकैत छी ।


सम्पूर्ण गामक सुख-दुख मे ओ सक्रिय रूप सँ शरीक होइत छलाह । सब लोकक हालचाल नित्य लैत रहैत छलाह । कियो बेमार पड़ल वा ककरो कोनो आफति-बिपति भेलैक त' तन-मन-धन सँ मास्टर साहब हाज़िर ! कोनो सार्वजनिक काज मे मुख्य भूमिका मे रहैत छलाह । कतेको श्राद्ध/विवाह/उपनयन सब मे भण्डारगृहक दुरूह प्रभार मे हुनका देखलहुँ । 

दुर्गापूजा मे बेलनोती-बेलतोड़ी मे माताक पालकी मे एकटा स्थायी कहार ओ छलाह । दुर्गापूजा मे सांस्कृतिक कार्यक्रम मे हुनकर अग्रणी भूमिका रहैत छल । नाटकक मुख्य पात्रक किरदार वैह करैत छलाह । उगना नाटक मे विद्यापतिक ओ तेहन स्वाभाविक भूमिका केने छलाह जे एखन तक ओ नाटक लोक के याद छैक । करमौलीक नाटकक सूत्रधार हुनके कहक चाही, पता नहि हुनका सबस' पहिने कहियो नाटक भेलो छल कि नहि!


करमौली फुटबॉल टीमक ओ कप्तान छलाह । हुनका समयक टीम इलाका मे नामी छल । ततेक फुर्ती छलनि जे ओ सेंटर मे रहै छलाह । कतेको नामी टीम के हराक' करमौली टीम शील्ड जीति क' अनने छल । स्व0 महेशजी गोली, श्री अभिरामजी/श्री जयरामजी बैक, स्व0 पुरन्दरजी/श्री श्रीदेवजी फॉरवार्ड, मास्टर साहब सेंटर, श्री वंशीधरजी, श्री जीवानंदजी....आदि ओइ समयक इलाकाक नामी फुटबॉल प्लेयर छलाह । नरार, डीहटोल, बेलाही, लोहा..आदि कतेको नामी टीम के करमौली टीम हरेने छल । ओइ समय मे करमौली मे सेहो प्रत्येक साल टूर्नामेंट होइत छल आ इलाकाक लोक के बेरखन क' खूब मनोरंजन होइत छलैक ।


अहंकार तँ हुनका कनेकबो छू नै सकल छल । ओ जमीनक व्यक्ति छलाह । भोज-भात मे हुनका ऐंठ पात उठबैत पबितहुँ । बारी आ दरबज्जा के अपने हाथ सँ चमकेने रहैत छलाह । हुनका बारी मे आ दरबज्जा पर नेबो, अरड़नेबा, लताम, केरा, शरीफा, धाथरी, सुपारी, लीची, आम्रपाली आम, नारियल, शनिक गाछ...आदि आ विभिन्न तरहक साग-शब्जी भरल रहैत छल ।


बानरहाट (पश्चिम बंगाल) हुनक कर्मभूमि बनल । प्रारम्भ मे एकटा उच्च विद्यालय मे छलाह, बाद मे एकटा अपन विद्यालय खोलि लेलाह जाहि मे प्राचार्य सेहो छलाह । एखन हुनक बालक ओइ इस्कूल के चला रहल छथिन्ह । पश्चिम बंगाल मे शिक्षकक रूप मे हुनकर बड्ड नाम छल ।

जहिना समाज मे लोकप्रिय तहिना सर-कुटुम्ब सबस' बहुत लगाव छलनि । नोकरी काल मे पाँचो दिन लेल गाम अबैत छलाह त' कनेको काल लेल सब कुटुम्ब सबके भेट कइए अबैत छलाह ।


गाम जाइत छलहुँ त' निश्चित रूप सँ हुनकर दर्शन करैत छलहुँ । जते दिन गाम मे रहैत छलहुँ त' साँझुक पहर हुनक सान्निध्य जरूर प्राप्त करैत छलहुँ । श्री मंगनजी सदिखन हुनक साहचर्यक लाभ लैत रहैत छलाह आ हुनकर एकाकी जीवनक अनुजक रूप मे बड़का सम्बल छलाह । मंगनजी के हुनका सान्निध्य सँ जे किछु ज्ञान प्राप्त भेल होइन, मुदा एक बात निश्चित रूपें कहि सकैत छी जे मंगनजी हुनकर सबटा भार हल्लुक केने रहैत छलथिन्ह आ हुनक आयु 10 बर्ख बढ़ा देलथिन्ह ।


हुनका प्रस्थान केला स' करमौलीक भूमि एकटा विशिष्ट यशस्वी पुत्र स' रहित भ' गेली जकर पूर्ति असम्भव अछि । हमर त' अपार व्यक्तिगत क्षति भेल, हुनकर मार्गदर्शन आब नै भेटत ।


ओइ पुण्यात्मा के कोटि-कोटि नमन! अश्रुपूरित हार्दिक श्रद्धांजलि !!!!

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