Thursday, September 10, 2020

दुर्गापूजा(2019)

 काल्हि दुर्गापूजा समाप्त भेल । 

गाम मे ऐ बेर बेसी उत्साह आ जोश बुझायल । धूम-धाम, भीड़-भाड़ सेहो 

आन बेरक अपेक्षा बेसी बुझायल । 

बहुत रास कटु-मधुर विषयक 

प्रत्यक्ष अनुभव भेल आ 

बहुत रास बात सुनबा मे सेहो आयल ।

भगवती पूजन मे 

श्रद्धाभावक वृद्धि प्रशंसनीय अछि । 

पुरोहित, पुजेगरी, 

देवी भागवतक पठैत सहित 

दुर्गा पुस्तकक पठैत सबहक 

श्रम श्लाध्य छलनि । 

गुंजन एवं ओकरा ग्रूपक कीर्तन

बड्ड नीक लागल ।

गुंजनक गला मे वाणीक बास छन्हि,

आर विकास करथु,

कैसेट सब बनाबथु,

बहुत-बहुत शुभकामना 

आ आशीष ।

कमेटीक अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष 

एवं अन्य सहयोगीक परिश्रम 

बहुत प्रशंसनीय छलनि । 

हँ, प्रवचनकर्ताक अभाव 

कने जरूर खटकल ।

व्यवस्था मे व्यवधानक मादे

किछु बात सुनबा मे आयल 

जे बहुत अशोभनीय/निन्दनीय अछि । 

निशापूजाक रात्रि मे 

बलिप्रदानक संबंध मे 

प्रथम हमर बलिप्रदान हो, 

तै बात पर बहुत तकरारि सुनलहुँ । 

कमेटी द्वारा लेल गेल निर्णय 

सबके मान्य होमक चाही, 

किऐक तँ आमसभा द्वारा 

कमेटीक गठन होइछ । 

परम्परा वा लॉटरी जाहि विधि सँ 

कमेटी द्वारा जे कोनो निर्णय लेल जाय 

तकर अवहेलना सर्वथा अनुचित । 

सुन्दर व्यवस्था बनायब/

शांति बनाक' राखब सबहक 

कर्तव्य थिक ।


सांस्कृतिक कार्यक्रम मे सेहो

बहुत अमर्यादित बात सब सुनलहुँ । 

करमौली सनक आध्यात्मिक/

सांस्कृतिक रूपें समृद्ध गाम मे 

अश्लीलता परसनाइ सर्वथा अनुचित । 

ऐ ठामक लेल तँ किछु 

संस्कृत/मैथिली/हिन्दी मे 

आध्यात्मिक/शैक्षणिक नाटक/

वा अन्य कार्यक्रम हो तँ सर्वोत्तम !

जँ नाटक नै खेला सकैत छी तँ

एक सँ एक नामी मैथिली/हिन्दीक 

गायक/गायिका सबहक कार्यक्रम 

राखि सकैत छी । 

कीर्तनियाँ/प्रवचनकर्ता सबके सेहो 

राखल जा सकैछ ।

विद्वद्सम्मेलन/कवि सम्मेलन 

सेहो राखक प्रयास होमक चाही । 

तात्पर्य ई अछि जे ऐ गाम सँ 

आदर्शवादिताक सनेश प्रसारित हो 

जकर अनुकरण आनो गाम सब करय । 

बाहर मे गामक नाम बहुत अछि, 

तै मे आर वृद्धि होमक चाही ।

एकटा बात आर जे 

ध्वनि प्रदूषण कमसँ कम हो/

विसर्जनक काल 

पर्यावरणक प्रदूषण नै हो 

तहू पर हम सब खियाल राखी  ।


   "असत्य पर सत्यक विजय, 

अधर्म पर धर्मक विजय, 

नकारात्मकता पर सकारात्मकताक विजय, 

महिषासुर/रावण/कुंभकर्ण/मेघनाद...

रूपी अहंकारक नास करब 

दुर्गापूजाक मुख्य उद्देश्य थिक । 

तमोगुण पर सत्वगुणक विजय हो । 

हमरा अंदर मे जे काम, क्रोध, लोभ, 

मोह, अहंकार रूपी महिषासुर/

रावण साम्राज्य स्थापित केने अछि 

तकर नास क' क' 

सद्गुणक रामराज्य स्थापित हो, 

यैह पूजाक उद्देश्य अछि ।"

अही भावें पूजा करी, 

युवा वर्ग कें भगवती

सद्बुद्धि देथु ।

सब कियो

आपस मे भाइचारा बढाबी, 

श्रेष्ठ के आदर आ कनिष्ठ के स्नेह दी, 

स्वच्छता पर ध्यान दी, 

पर्यावरणक रक्षा करी 

तखनहिं दुर्गापूजाक 

सार्थकता सिद्ध होयत ।

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