काल्हि दुर्गापूजा समाप्त भेल ।
गाम मे ऐ बेर बेसी उत्साह आ जोश बुझायल । धूम-धाम, भीड़-भाड़ सेहो
आन बेरक अपेक्षा बेसी बुझायल ।
बहुत रास कटु-मधुर विषयक
प्रत्यक्ष अनुभव भेल आ
बहुत रास बात सुनबा मे सेहो आयल ।
भगवती पूजन मे
श्रद्धाभावक वृद्धि प्रशंसनीय अछि ।
पुरोहित, पुजेगरी,
देवी भागवतक पठैत सहित
दुर्गा पुस्तकक पठैत सबहक
श्रम श्लाध्य छलनि ।
गुंजन एवं ओकरा ग्रूपक कीर्तन
बड्ड नीक लागल ।
गुंजनक गला मे वाणीक बास छन्हि,
आर विकास करथु,
कैसेट सब बनाबथु,
बहुत-बहुत शुभकामना
आ आशीष ।
कमेटीक अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष
एवं अन्य सहयोगीक परिश्रम
बहुत प्रशंसनीय छलनि ।
हँ, प्रवचनकर्ताक अभाव
कने जरूर खटकल ।
व्यवस्था मे व्यवधानक मादे
किछु बात सुनबा मे आयल
जे बहुत अशोभनीय/निन्दनीय अछि ।
निशापूजाक रात्रि मे
बलिप्रदानक संबंध मे
प्रथम हमर बलिप्रदान हो,
तै बात पर बहुत तकरारि सुनलहुँ ।
कमेटी द्वारा लेल गेल निर्णय
सबके मान्य होमक चाही,
किऐक तँ आमसभा द्वारा
कमेटीक गठन होइछ ।
परम्परा वा लॉटरी जाहि विधि सँ
कमेटी द्वारा जे कोनो निर्णय लेल जाय
तकर अवहेलना सर्वथा अनुचित ।
सुन्दर व्यवस्था बनायब/
शांति बनाक' राखब सबहक
कर्तव्य थिक ।
सांस्कृतिक कार्यक्रम मे सेहो
बहुत अमर्यादित बात सब सुनलहुँ ।
करमौली सनक आध्यात्मिक/
सांस्कृतिक रूपें समृद्ध गाम मे
अश्लीलता परसनाइ सर्वथा अनुचित ।
ऐ ठामक लेल तँ किछु
संस्कृत/मैथिली/हिन्दी मे
आध्यात्मिक/शैक्षणिक नाटक/
वा अन्य कार्यक्रम हो तँ सर्वोत्तम !
जँ नाटक नै खेला सकैत छी तँ
एक सँ एक नामी मैथिली/हिन्दीक
गायक/गायिका सबहक कार्यक्रम
राखि सकैत छी ।
कीर्तनियाँ/प्रवचनकर्ता सबके सेहो
राखल जा सकैछ ।
विद्वद्सम्मेलन/कवि सम्मेलन
सेहो राखक प्रयास होमक चाही ।
तात्पर्य ई अछि जे ऐ गाम सँ
आदर्शवादिताक सनेश प्रसारित हो
जकर अनुकरण आनो गाम सब करय ।
बाहर मे गामक नाम बहुत अछि,
तै मे आर वृद्धि होमक चाही ।
एकटा बात आर जे
ध्वनि प्रदूषण कमसँ कम हो/
विसर्जनक काल
पर्यावरणक प्रदूषण नै हो
तहू पर हम सब खियाल राखी ।
"असत्य पर सत्यक विजय,
अधर्म पर धर्मक विजय,
नकारात्मकता पर सकारात्मकताक विजय,
महिषासुर/रावण/कुंभकर्ण/मेघनाद...
रूपी अहंकारक नास करब
दुर्गापूजाक मुख्य उद्देश्य थिक ।
तमोगुण पर सत्वगुणक विजय हो ।
हमरा अंदर मे जे काम, क्रोध, लोभ,
मोह, अहंकार रूपी महिषासुर/
रावण साम्राज्य स्थापित केने अछि
तकर नास क' क'
सद्गुणक रामराज्य स्थापित हो,
यैह पूजाक उद्देश्य अछि ।"
अही भावें पूजा करी,
युवा वर्ग कें भगवती
सद्बुद्धि देथु ।
सब कियो
आपस मे भाइचारा बढाबी,
श्रेष्ठ के आदर आ कनिष्ठ के स्नेह दी,
स्वच्छता पर ध्यान दी,
पर्यावरणक रक्षा करी
तखनहिं दुर्गापूजाक
सार्थकता सिद्ध होयत ।
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