Thursday, September 10, 2020

बाल्यकाल घुरि आउ हमर

 हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर,

हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर ।।


नै रौद-बसातक भय कनियो,

बरखा-अछार-फानल-कूदल,

तितली पकड़क लेल दौड़-धूप,

दोस्तक सङ् मे हुड़दंग मचल ।


हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर,

हे बाल्यकाल..........।।


तुरतहिं झगड़ा आ प्रेम तुरत,

नै मोन मे कोनो बात टिकल,

किछुओ चिन्ता ने फिकिर कथुक,

मित्रक झुंडे छल स्वर्ग जकर ।


हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर,

हे.......।।


कबडी-कबडी आ टाइल-पुली,

लुक्का-छिप्पी गोटरस-गोटरस,

पोखरि-झाँखुर सौँसे रपटल,

गुड्डी-बाजी मे सतत रमल ।


हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर,

हे..........।।


ने बैर-द्वेष के नामो छल,

ने जाति-धर्म के भानो छल,

ने नीक-बेजायक ज्ञानो छल,

सब दोस्ते जग मे सगरो छल ।


हे बाल्यकाल ! घुरि आउ हमर,

हे.............।।


खिस्सा नानी-नानाक सूनि,

सपना के राजकुमार बनल,

मायक कोरा स्वर्गोपरि छल,

ओकरे सँ रूसब-बौंसब छल ।


हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर,

हे...............।।


लूडो-लूडो कैरम-गोटी,

गेंदक पाछू बेहाल रहल,

कागत के नौका मे डूबल,

खएबा-पीबा के सुधि बिसरल ।


हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर,

हे.........।।


बाड़िक-केरा-बड़हर-लताम,

खीरा नेबो पर सब लुधकल,

कतबो बाबी-काकी बाजलि,

सब आइन बिसरि कए टूटि पड़ल ।


हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर,

हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर !!!

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