Thursday, September 10, 2020

बड़का भैया(स्व0 तेज नारायण झा)

 आइ हमर बड़का भैयाक दोसर बर्खी छन्हि । पाँच भाइ आ एक बहीन मे सबसँ जेठ छलाह । तेसर साल औझके दिन 6:05 बजे प्रातःकाल ओ ऐ असार संसार के त्यागि परम धाम क' प्रस्थान क' गेल छलाह । सब दायित्व सँ मुक्त भ' गेल छलाह, बल्कि प्रपौत्र-प्रपौत्री सबके सेहो नीकसँ देखि लेने छलाह । ऐ दृष्टि सँ लौकिकता मे सीधे स्वर्गक अधिकारी बनि गेल छलाह, कहबी छैक जे प्रपौत्र-प्रपौत्री के मुख देखि लेने लोक स्वर्ग जेबे करय । 

लगभग सालभरि सँ ओछाओन धेने छलाह । यद्यपि हुनका लेल नीके भेलनि जे कष्ट सँ मुक्ति भेटि गेलनि, मुदा हमरा सबके बड़का क्षति भेल । परिवार/समाज के सतत मार्गदर्शन कर'बला हुनकर अनुभवक अमूल्य धरोहर समाप्त भ' गेल ।

हमरा लेल जे व्यक्तिगत क्षति भेल तकर पूर्ति आब ऐ जिनगी मे नै भ' सकैछ । 

गाम जाइत देरी पूरा इलाकाक समाचार एके छन मे भैया सँ प्राप्त भ' जाइत छल । हमरा देखैत देरी हुनका आँखि मे जे आन्तरिक प्रसन्नता देखाइत छल से वर्णनातीत अछि । 


हुनक लोकप्रियता अप्रतिम छल ।

भैया दरबज्जा पर एकटा कोठली मे रहैत छलाह । ब्रह्ममुहूर्त मे ऊठिक' नित्यक्रिया सँ निवृत्त भ' कोठलीक आगाँ मे राखल चौकी पर आबिक' बैसि जाइत छलाह । ओइ रस्ते जे कियो गुजरैत छलाह सबहक हालचाल पुछिते टा छलाह । तमाकुल बिना खुएने नै जाय दैत छलाह । विशिष्ट लोक सबके चाह जरूर पिय'बैत छलाह । 


भैया धनबाद मे रेलवे मे नोकरीे करैत छलाह । तै समय के एकटा बात याद आबि रहल अछि जे लोक के अपना घर मे चाह बनाक' पीबाक प्रचलन कम छलैक, लोक चौके पर चाह पीबैत छल । दुइये-तीन टा दोकान छलैक, मुदा चाह इलाका मे नामी ! भोर-साँझ लोक सब के बैसार ओत्तहि रहैत छलैक । भैया जहिया-जहिया गाम अबैत छलाह तँ भोरे चौक पर चलि जाइत छलाह । चाहक दोकान पर जतेक लोक रहैत छलाह सबके चाह पिय'बैत छलाह । दस बजे तक दुर्गामंदिर पर बच्चा-जबान-बूढ़ सबसँ गप्प-सप्प करैत रहैत छलाह । फेर साँझखन आठ बजे तक पाठशाला पर गप्प करैत रहैत छलाह ।  

पहिले गाम-घर मे जमीन-जायदादक बेसी झगड़ा-झाँटी होइत रहैत छलैक ।  भैया जावत्काल गाम पर रहैत छलाह दौड़िक' छोड़ाब' चलि जाइत छलाह, आ झगड़ा-छोड़ाक' फैसला सेहो क' दैत छलाह ।

भैया के घटकैती मे बड्ड मोन लागैत छलनि । हुनकर घटकैती बड्ड मैचिंग होइत छलनि । गामक कतेको बालक-बालिका के बियाह करेने हेताह । 

सार्वजनिक काज मे आगाँ बढ़ि-चढ़िक' भाग लैत छलाह ।

ओ बहिर्मुखी प्रतिभाक धनीक छलाह । तैं सभा-रोशन छलाह । ओ चुप-चाप कखनो नहिं बैसि सकैत छलाह । 


ओ आधुनिकता आ प्राचीनता दुनूक संगम छलाह । संस्कृतक श्लोक, वेदक ऋचा, पौराणिक खिस्सा-पिहानी सब बहुत याद छलनि आ भोर-सँ साँझ तक सबके सुन'बैत रहैत छलाह ।

कनिकबो अहंकार नै छलनि मुदा स्वाभिमानक भंडार छलाह । कर-कुटुम्ब निमाह' मे आगू छलाह ।

भोज-भात मे बड्ड मोन लागैत छलनि ।  ककरो घर मे कोनो काज-तिहार-उपनयन-बियाह-श्राद्धकर्म होउक, सबसँ पहिले हाज़िर रहैत छलाह ।

ओ सब ग्रुप मे लोकप्रिय छलाह ।

चरबाह, किसान, युवा, पंडित-समाज सबलोकक प्रिय छलाह ।

नम्रता ततेक छलनि जे जाहि श्रेष्ठ व्यक्ति सबसँ नित्यप्रति भेट होइत रहैत छलनि ओहो जँ दरबज्जा पर आबि जाइत छलथिन्ह तँ पैरे छूबिए क' प्रणाम करैत छलाह । गाम मे जँ किनको बाड़ी मे नेबो रहैत छलनि तँ लेब' मे कनेकबो संकोच नहिं ।

एकबेर श्रद्धेय स्व0 आनंद मास्टर साहेबक दरबज्जा पर बैसल छलहुँ । भैया हुनका मायक हाथक तरलाहा तिलकोरक चर्चा चला देलखिन्ह- " नवकनियाँ सबके तिलकोर तर' नहिं अबैत छन्हि, गाम भरि मे मास्टर साहेबक मायक हाथक तिलकर नामी अछि, एहन कियो नहिं तरि सकैछ ।" हमसब गप्प कइए रहल छलहुँ कि बड़का थार मे तिलकोरक तरुआ आबि गेल । ठीके ओकर विशिष्ट स्वाद छलैक, स्नेहक नोनगर मिस्री जे घोरल छलैक!!

भैयाक संग गप्प करैत कोना दिन बीति जाइत छल, पतो नहिं चलैत छल ।

ओ अजातशत्रु छलाह । हुनक लोकप्रियता अनुपम छल । एकर प्रमाण यैह थिक जे हुनका दाह-संस्कार मे आबालवृद्ध सबकियो जुटल छल । श्राद्धकर्म मे श्राद्धस्थली मे पण्डितगणक वेदपाठ आ पुराणवाचन स्मरणीय छल ।


भैयाक प्रस्थान केला सँ भेल रिक्तिक पूर्ति असम्भव अछि ।

अश्रुपूरित शत-शत नमन !!!!

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तेसर सालक लीखल किछु अंश

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श्रद्धेय भैयाक (स्व0 तेज नारायण झाक) किछु संस्मरण:-

भैयाक जन्म 1934 ई0 मे भेल छलनि, तिथि नै बूझल अछि । पुण्यतिथि 12 दिसम्बर, पौष, कृष्णपक्ष, दशमी, मंगल, 6:05 प्रातःकाल । हमरा पाँच भाइ एक बहीन मे सबस' ज्येष्ठ छलाह । 

विद्यापति ब्रह्मचर्याश्रम के ब्रह्मचारीक रूप मे पढाई शुरू केलनि । नामक अनुरूपे पढ़ाइ मे बड्ड तेज छलाह । ब्रह्मचर्याश्रमक गुरूजी श्रद्धेय स्व0 जय माधव ठाकुर अपन ऐ छात्रक मेधाक वर्णन करैत नै अघाइत छलाह । कतेको ठाम यज्ञ वा सार्वजनिक वाद-विवाद मे औव्वल आयल छलाह । 

हमर पितिऔत स्व0 खड्गनाथ झा ताहि समय मे आसनसोल मे रेलवे मे नौकरी करैत छलाह । हुनका संपर्क मे आबि एक दिन चुपचाप आसनसोल भागि गेलाह । ओतहि थोड़े दिन टीशन पर ए0एच0 व्हीलर एंड कंपनी के पुस्तक दोकान मे नोकरी केलनि, तत्पश्चात् एकटा पदाधिकारी के संपर्क मे अयला संताँ धनबाद रेलवे मे फायरमैनक रूप मे काज कर' लगलाह । ओकर बाद ओतहि पदोन्नति पाबि ड्राइभर बनलाह आ मालगाड़ी/मेल-एक्सप्रेस/राजधानी मे नोकरी करैत बर्ख 1995 ई0 मे अवकाश ग्रहण केलाह । नोकरी करैत काल अपना संवर्ग मे प्रथम अबैत छलाह आ ट्रेड-यूनियन के सचिव सेहो छलाह ।

हुनकर विवाह सप्ता तूनी मिश्र टोल मे सुख्यात स्व0 भरण मिश्रक द्वितीय पुत्री स्व0 देवता झा सँ भेलनि । दू पुत्र- नवलजी, युगलजी; तीन पुत्री- रीता, मीनू, बब्लू आ चारि पौत्र- गुँजन, चन्दन, कुंदन, लाला; दू पौत्री, 6 दौहित्र, दू दौहित्री, 3 प्रपौत्र, एक प्रपौत्री.....पूर्ण भरल-पुरल परिवार । भौजी के दमा के बिमारी छलनि, ओ बर्ख 1999 ई0 मे स्वर्गवासी भ' गेली ।

अवकाश ग्रहणक बाद गामे(करमौली) मे रह' लगलाह ।

हमरा लेल अत्यधिक प्रसन्नताक बात भेल जे गाम जहिया अबैत छलहुँ त सम्पूर्ण इलाकाक हाल-चाल किछुए मिनट मे भेटि जाइत छल । जहिया धरि रहैत छलहुँ त' भइएक संग गप-सप, टहलबा-बुलबा मे बितैत छल । हुनका बहुत स्तोत्र, वेदक ऋचा कंठस्थ छलनि । नित्य-प्रति भोर-साँझ पाठशाला पर दुर्गा-मंदिर जाइत छलाह, साँझुक पंडित सबहक ग्रुपक स्थायी सदस्य छलाह- लगभग दू घंटा प्रतिदिन शिव महिम्न स्तोत्र, दुर्गा चतुर्थ अध्याय, नागेन्द्र हाराय, वाराणसी पुरपतिं, न मन्त्रं नो यन्त्रं, स्वस्ति मन्त्र-वेद पाठ ....... इत्यादि अनेकानेक अन्य श्लोकक सामुहिक पाठ स' सम्पूर्ण परिसर गुंजायमान रहैत छल आ रोड पर चलैत बाट-बटोही/पाहुन-परख के आकर्षित करैत छल- आन गाम गेला पर ओत' के लोक सबहक मुख स' गामक ऐ पाठक प्रशंसा सूनि मोन आह्लादित भ' जाइत छल । साँझुक ऐ ग्रुप मे स्व0 लक्ष्मण झा, पं0 भगीरथ झा, पं0 राघवेंद्र झा, स्व0 हरिश्चंद्र मिश्र, स्व0 वैदिक  अभय कान्त झा, स्व0 वैद्यनाथ झा, स्व0 तेज नारायण झा, पं0 सत्य नारायण झा ....... इत्यादि अनेकानेक गणमान्य व्यक्ति सब स्थायी रूप स' रहैत छलाह- एखनहु दुर्गामंदिरक पश्चिम मंडप पर पं0 भगीरथ झा, पं0 राघवेंद्र झा, पं0 सत्यनारायण झा, श्री दयानंद जी भलनी, श्री लत्तर जी, श्री रामू जी,.....इत्यादि पूर्वक परम्परा के चालू राखि गामक नाम के सार्थक क' रहल छथि ।

                          भैया अजातशत्रु छलाह । बच्चा स' बूढ़ तक सबस' प्रेम राख'बला, सब वर्ग मे अत्यधिक लोकप्रिय छलाह । ओ नन स्टॉप भरिदिन बाजि सकैत छलाह/ बजितो छलाह । हुनकर घटकैती बड्ड सटीक होइत छलनि । गामक कतेको बालक-बालिकाक विवाह मे हुनकर योगदान अछि । 

                      एक्स्ट्रोभर्टक ओ मूर्तरूप छलाह, हमरा सनक इंट्रोभर्ट के लेल ओ माउथपीस छलाह । वहिर्मुखताक कारण ओ सभाक रोशन छलाह । अहंकार विल्कुल नहिं, आगाँ बढ़िक' बात शुरू केनाइ/परिचय केनाइ कियो हुनका स' सीखय । उचित बात नीक/मिट्ठ शब्द मे कहि देनाइ कियो हुनका स' सीखय । हुनक लोकप्रियताक उदाहरण यैह अछि जे दाह-संस्कार मे सम्पूर्ण गामक आबालबृद्ध पहुँचल छल ।

हम तीन मास स' गाम पर छी, प्रतिदिन हुनका गीता आ गजेंद्रमोक्ष सुनबैत छलियनि, आइ विल्कुल शून्य/रिक्ति अनुभव क' रहल छी । आब गाम आयब त' एसगर समय बिताब' पड़त, भैयाक अतुल वचन स' बंचित रहि जायब ।

हमर कोटि-कोटि श्रद्धांजलि! भगवान हुनका आत्मा के शान्ति प्रदान करथु ।

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