Thursday, September 10, 2020

डोकहर भगवती स्थान

 गामक दक्षिण मे एक कोस पर छथि दुःखहर(डोकहर) स्थान । ऐ ठाम गौरीशंकरक अर्धनारीश्वर रूप छन्हि । बगले मे स्थित कुण्ड मे सँ निकलल छथि । सब भक्त लोकनिक मनोकामना पूर्ण करैत छथिन्ह ।

हमरा इलाकाक ई प्रमुख देवस्थान छथि । इलाकाक आबालवृद्ध ऐ ठाम प्रत्येक रवि आ सोम क' पूजनार्थ जुटैत छथि आ श्रद्धासुमन अर्पित करैत छथि । विशेष अवसर जेना शिवरात्रि, मकर, दशमी, एक जनवरी.. आदिक समय मे ऐ ठाम बड़का मेला लगैत अछि । बाल्यकाले सँ हमसब ऐ ठाम आबैत छी । संभवतः मायक कोरे मे छल हएब तहिए सँ ऐ ठाम आबि रहल छी ।

ई मंदिर कहिया बनल से स्पष्ट रूप सँ लोक के नै बूझल छन्हि । संभवतः दरभंगा राज द्वारा निर्माण कएल गेल अछि । मन्दिरक मुख्यद्वार पर पाली/ब्राह्मी लिपि मे किछु लीखल अछि जे बोधगम्य नहिं भ' रहल अछि । शोध करबाक विषय अछि ।

डॉ0 सीताराम झा 'श्याम' ऐ क्षेत्र पर बहुत शोध केने छथि । चन्द्रभागा आ सुमंगा नदीक संगमतट पर मंदिर अवस्थित अछि । दु:खहर स्थान के डोकहर सेहो कहल जाइछ, कालान्तर मे नाम परिवर्तन असामान्य नहिं थिक ।

ऐ बेर सौभाग्यवश एक जनवरी क' गामे पर छलहुँ तँ डोकहर भगवतीक दर्शनार्थ पहुँचि अपना के कृतार्थ कएल ।

ऐ अवसर पर खीचल किछु चित्र अपने लोकनिक दर्शनार्थ द' रहल छी । ई स्थान बहुत जाग्रत छथि आ भक्तिभाव आ श्रद्धापूर्वक कएल गेल प्रार्थना अवश्य स्वीकार होइछ ।

गौरीशंकर सबहक मनोरथ पूर करथु!!!

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