Wednesday, September 2, 2020

लिलसा

 ईश सँ हम सब सतत

किछु ने किछु मंगिते रहै छी,

लोभ मोहे काम अर्थक,

याचना करिते रहै छी ।

ज्ञान आ भक्तिक कियो ने 

मोन मे राखैछ लिलसा,

सांसारिकतेक सदिखन 

कामना करिते रहै छी ।।


मोन होइ अछि एकटा

परयोग मिलिजुलिक' करी,

दीन-दुखिया के खबरि सब

लेल घुमिघुमिक'  करी ।

काज सबठाँ दबाइए सँ 

नहि सतत चलैत अछि,

शुभचिंतकक खोज कखनो

रामबाण बनैत अछि ।।


एखन तक तँ सतत हमसब

ईष्ट सँ याचल स्वयं लेल,

मोन होइ अछि आइ एकटा

वस्तु नवका माँगि ली ।

जगत मे सबक्यो सुखी आ

निरुज सब सदिखन रहय,

सकल जगतक दुःख-क्लेशे 

अपन खातिर माँगि ली !!

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