Thursday, November 30, 2023

नेत्र

नेत्र द्वय तँ भेटल सबके एके रंग नै दृष्टि सबहक । किछु गोटे स्थूल देखथि शूक्ष्ममे डूबल थोड़े छथि ।। मूल्य समयक के चुकायत अमूल्ये एकरा बुझू । बीति गेल जे क्षण, जगक- सबटा धनो नै घुमा सकता ।। शास्त्र के विद्वान यद्यपि मूर्ख तैयो रहि सकै अछि । जे क्रियामे सेहो उत्तम सैह सबसँ पैघ पंडित ।। जदपि वाणी शास्त्रपूरित मोन पापेमे रमल छै । गिद्ध नभमे उड़य ऊँचे दृष्टि मुर्दे पर गड़ल छै ।। समय होबय अमुल, एकरा व्यर्थमे जे क्यो गमयता । घुरि ने लौटय एकोटा क्षण जीवने बरबाद करता ।। बनि ने सकलहुँ महादानी, लोक सेवाके के रोकत? भले नै तरुवर फड़ल के रोकि सकता छाँहके ।। बिलाड़ियो-कुकुरो आ नढ़ियो जगमे अपना लेल जीबय । व्यर्थ बूझी तकर जिनगी जे ने अनका लेल जीबय ।। ******??*************?***

Tuesday, November 28, 2023

आगाँ-पाछाँ

एके सागर केर नाविक कियो अति प्राचीन छथि । कियो नवसिखुआ एतय तँ कियो अर्वाचीन छथि ।। देखिक' चिंता करू नहिं फलाँ बढि गेल बहुत आगाँ । जखन घुरती काल देखब छूटि जायत बहुत पाछाँ ।। ठाढ़ सैन्य परेड मे छथि सकल सैनिक, किछु गोटे छथि अंत तँ किछु आदि छथि । 'मुडू पाछाँ' होइत अछि आदेश जखनहिं, जे छला अन्तिम से से बनि गेल आदि छथि ।। अहं जुनि क्यो करी हम छी बहुत आगाँ, गम कियो नहिं करथु जँ भ' गेलहुँ पाछाँ । काल के गति शूक्ष्म हिनका क्यो ने जानय, की पता आदेश हो 'मुड़ि जाउ पाछाँ' ।। विपति गिरि सम होय यद्यपि मुदा सदिखन धैर्य राखू, आश ईशक धरू सबदिन कुपथ पर नहिं डे'ग राखू । धैर्यपूर्वक शांत चित्तें दिवस के फेरी के दे'खू, नीक दिन आयत जरूरे सुपथ पर नित डे'ग राखू ।। ***********************

पूजा-पाठ

जरूरी नै सतत पूजे- पाठमे लागल रही । रही जँ उपकार रत तँ सैह पूजा-पाठ थिक ।। सतत चिन्तन भूत वा ने भविष्येमे रही लागल । वर्तमानेमे रही जँ तँ सैह सबसँ नीक थिक ।। जुनि बुझी अन्हर-बिहाड़िक कुप्रभावे हो सतत । सतर्को राखैछ सबके, मार्गके साफो करय ।। विफलता सँ जुनि कनिकबो निराशाके भाव आबय । "आर कसगर प्रयासक अछि जरूरति" हो सोच मनमे ।। जुनि करी अनकर प्रतीक्षा अपन पैरुख तक लड़ी । हृदयमे धरि ईशके, भिड़ने सफलता भेटय निश्चय ।। **************???***??

Monday, November 27, 2023

दिव्यलोकक संग

दिव्यलोकक संग नै ऐ लेल जे किछु पाबि ली हम । लाभ एतबा बुझि पड़य हमरो सनक जन सुधरि जाइ अछि ।। जीवनक सौंदर्य ई नहि अहाँ कतबा खुश रहै छी । अछि असल सौंदर्य जे अछि लोक कतबा खुश अहाँसँ ।। आगमन आ गमन अहिना जगतमे लागल रहै छै । देलनि आहुति जगत लेल जे सैह मुइलो पर जिबै छथि ।। खन उदासी खन खुशी खन हो पराजय विजय कखनो । सड़क जिनगी केर अहिना मंद गतिएँ अंत होमय ।। बाह्य भौतिक सुख क्षणिक थिक असल थिक अंतःकरण सुख । बाह्य सुख तँ सुखे नै थिक दुख भरल सुखरूप थिक ई ।। ***************************??

Saturday, November 25, 2023

अनकर दोख नै देखी

बोल कोइली केर होमय सकल पक्षी मध्य सुंदर, रूप जँ कारी ने होइतय तखन होइतय आर उत्तम । उदधि छथि आश्रय सगर जलजीव के संसार मे, जँ ने खारा अम्बु होइतय तखन होइतय आर उत्तम । अति सुगन्धित होइत अछि सबटा गुलाबक फूल जगमे, काँट जँ बिल्कुल ने होइतय तखन होइतय आर उत्तम । मनुख थिक गुण-खान राजा जीवगणके ऐ जगत मे, जँ ने अनकर दोख देखितय तखन होइतय आर उत्तम । ***********************

स्विच ऑफ मोबाइल

बात थोड़े पुरान थिक । तै समयमे हम राँचीमे रहैत छलहुँ । हम डोरंडामे छलहुँ आ हमर एकटा मित्र कडरूमे रहैत छलाह । ओ हरदम हमरा डेरा पर अबैत रहैत छलाह । चाह-पान-नश्ता हाहा-हीही खूब होइत छलैक । मुदा हमरा हुनका डेरा दिस जयबाक सुयोग नहि भेटल छल । एक दिन अशोकनगरमे काज छल तैं दुनू बेकती कडरू होइत गुजरि रहल छलहुँ । मित्र याद आबि गेलाह । फोन केलियन्हि तँ हुनक कनियाँ उठेली । कहलियन्हि जे लौटैत काल अहाँक डेरा पर आयब । अशोकनगरमे बहुत विलम्ब भ' गेल तैं घुरैत काल हुनका डेरा पर जयबामे मोन असकता रहल छल । अपन असमर्थता व्यक्त करबा लेल दोस्त के मोबाइल पर फोन लगेलहुँ मुदा नहि लागल । हुनकर कनियोंक मोबाइल पर नहि लागल । डेरा पर आबि अपसोच भेल जे दोस्त के नहि कहि सकलियनि, ओ व्यर्थमे बाट तकैत हेताह । श्रीमतीजी अनका मोनक बात जान'मे बड्ड आगाँ छथि । बाजि उठली- " कत' छी बमभोला बाबा! कियोने आहाँक बाट तकैत हेताह । एतबो ने बुझलियैक जे अहीं दुआरे दुनू मोबाइल स्विचऑफ छलैक!" हम अबाक!!!! ***********************

बतहू

बतहूक उमेर तीस भ’ गेल छलन्हि मुदा तखनो तक कुमारे छलाह I कोनो पैघ ऐब नै कहक चाही, कने सुधंग आ कने तोतराह! ओना तँ कन्याक अभावक कारणें बहुतो नीको बर सब कुमारे छथि, ऐब बलाके के पुछै अछि! शुरू मे अठबारे आ बाद मे नित्यप्रति डोकहर गौरीशंकरके जल चढ़ौलन्हि I बाबा कृपा केलखिन्ह आ एकटा घटक पहुँचलाह I बतहूक पिताजी धरफरायले छलथिन्ह, तुरत ठीक भ’ गेलन्हि I कन्या आँखि मुनल मे बड्ड सुन्नरि, आँखि खोलने एक आँखि सँ कनाहि ! मुदा एहन बर लेल ऐ सँ बेसी सुन्नरि तकला सँ जिनगी भरि कुमारे रह’ पड़ितनि I दान-दहेज़ मे बेसी नै, बरक बाप द्वारा कन्या बापके मात्र एगारह सै टाका देब’ पड़लनि I शुभ-शुभक’ बियाह भेल I एगारह टा बरियाती! खूब स्वागत! बरियाती सब स्वागतसँ अभिभूत! भोरहरबामे सोहागक बेर बरियाती जखन आँगन पहुँचल तँ देखलक जे बतहू बीच आँगनमे उघारे देहे चित्त सूतल छथि आ छातीपर एकटा उक्खैर राखल छन्हि I एकटा बरियाती पूछि बैसलथिन्ह- “ बतहू ई की?” -“ ई बिध होइ छै!” सबहक हँसी देख’ जोगड़क! कन्याक सखी-बहिनपा सबहक ई किरदानी छल!!! ************************************************************

Thursday, November 23, 2023

बाल्यकाल

हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर ।। नै रौद-बसातक भय कनियो, बरखा-अछार-फानल-कूदल, तितली पकड़क लेल दौड़-धूप, दोस्तक सङ् मे हुड़दंग मचल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे बाल्यकाल..........।। तुरतहिं झगड़ा आ प्रेम तुरत, नै मोन मे कोनो बात टिकल, किछुओ चिन्ता ने फिकिर कथुक, मित्रक झुंडे छल स्वर्ग जकर । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे.......।। कबडी-कबडी टाइलक-पुल्ली, लुक्का-छिप्पी गोटरस-गोटरस, पोखरि-झाँखुर सौँसे रपटल, गुड्डी-बाजी मे सतत रमल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे..........।। ने बैर-द्वेष के नामो छल, ने जाति-धर्म के भानो छल, ने नीक-बेजायक ज्ञानो छल, सब दोस्ते जग मे सगरो छल । हे बाल्यकाल ! घुरि आउ हमर, हे.............।। खिस्सा नानी-नानाक सूनि, सपना के राजकुमार बनल, मायक कोरा छल स्वर्गोपरि, ओकरे सँ रूसब-बौंसब छल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे...............।। लूडो-लूडो कैरम-गोटी, गेंदक पाछू बेहाल रहल, कागत के नौका मे डूबल, खएबा-पीबा के सुधि बिसरल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे.........।। बाड़िक-केरा-बड़हर-लताम, खीरा नेबो पर सब लुधकल, कतबो बाबी-काकी बाजलि, सब आइन बिसरि कए टूटि पड़ल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर !!! *************************

Wednesday, November 15, 2023

खेतक अनुरूप फसल

होइछ दुर्बल मैथिलक गार्हस्थ जीवन, मातृ पक्षक ख्याल ने ककरो रहै छै । जँ रहत निर्बल शकट केर एक पहिया रेस मे की तेहन गाड़ी टिकि सकै छै ।। गर्भ मे अबिते उपेक्षित रहय निशदिन, जकर जन्मे समाजक लेल होइछ अनुचित । से कोना बनती आ जनती सबल संतति चिकित्सा शिक्षा ने भोजन जनिक समुचित ।। पश्चिमक सब भेल विकसित, मुदा एखनो- रूढ़ि, भ्रम मे सकल मैथिल छी पड़ल । करू प्रोत्साहित सतत कन्या के, उन्नति- के रोकत, उत्साह जँ नारिक प्रबल ।। खेत जेहने रहत फसलो हैत तेहने माय सबला जखन सबलो पुत्र तखनहि । पुत्र लव कुश के सदृश जनमैछ निश्चय माय से'हो जानकी सम हैत जखनहि ।।

Friday, November 10, 2023

कानब उचित नहि

हरा गेल जँ कथू तँ कानब उचित नहि, अहाँ लग जे बस्तु अछि सब अही जगतक । कथी ल' क' छलहुँ आयल अहि जगत मे, जे भेटल से बस्तु अछि सब अही जगतक।। आइ जे किछु अहाँ लग सम्पत्ति भौतिक, सकल दोसर केर से सब काल्हि तक छल । फेर परसू यैह सब तेसर के होयत, जे हमर नहि, हरा गेल तँ कथी बिगड़ल? जते संग्रह कएल सब छल अहीठामक, खुशी होउ किछु भार माथक घटा लेल जँ । बिदा बेर मे संग मे नहि जाइछ किछुओ, माथ हल्लुक बुझी किछुओ हरा गेल जँ ।। ***************************

Saturday, November 4, 2023

अहंता

अहंता अज्ञानता थिकि, बुद्धि के छथि नाशकर्त्री I क्रोध, मोहक जन्मदात्री, विवेकक अपहरणकर्त्री II विवेकक अपहरणकर्त्री, मनुजता के मृत्युदात्री I दोख दुर्गुण वृद्धिकर्त्री, मनुख के गर्तक प्रदात्री II गुमानक की काज, सुन्दर- देह एकदिन हो जरंता । चिता भूमिक करी दर्शन, जखन क' आबय अहंता II ***********************