Saturday, November 4, 2023

अहंता

अहंता अज्ञानता थिकि, बुद्धि के छथि नाशकर्त्री I क्रोध, मोहक जन्मदात्री, विवेकक अपहरणकर्त्री II विवेकक अपहरणकर्त्री, मनुजता के मृत्युदात्री I दोख दुर्गुण वृद्धिकर्त्री, मनुख के गर्तक प्रदात्री II गुमानक की काज, सुन्दर- देह एकदिन हो जरंता । चिता भूमिक करी दर्शन, जखन क' आबय अहंता II ***********************

No comments:

Post a Comment