दिव्यलोकक संग नै ऐ लेल
जे किछु पाबि ली हम ।
लाभ एतबा बुझि पड़य
हमरो सनक जन सुधरि जाइ अछि ।।
जीवनक सौंदर्य ई नहि
अहाँ कतबा खुश रहै छी ।
अछि असल सौंदर्य जे
अछि लोक कतबा खुश अहाँसँ ।।
आगमन आ गमन अहिना
जगतमे लागल रहै छै ।
देलनि आहुति जगत लेल जे
सैह मुइलो पर जिबै छथि ।।
खन उदासी खन खुशी
खन हो पराजय विजय कखनो ।
सड़क जिनगी केर अहिना
मंद गतिएँ अंत होमय ।।
बाह्य भौतिक सुख क्षणिक थिक
असल थिक अंतःकरण सुख ।
बाह्य सुख तँ सुखे नै थिक
दुख भरल सुखरूप थिक ई ।।
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