Monday, November 27, 2023

दिव्यलोकक संग

दिव्यलोकक संग नै ऐ लेल जे किछु पाबि ली हम । लाभ एतबा बुझि पड़य हमरो सनक जन सुधरि जाइ अछि ।। जीवनक सौंदर्य ई नहि अहाँ कतबा खुश रहै छी । अछि असल सौंदर्य जे अछि लोक कतबा खुश अहाँसँ ।। आगमन आ गमन अहिना जगतमे लागल रहै छै । देलनि आहुति जगत लेल जे सैह मुइलो पर जिबै छथि ।। खन उदासी खन खुशी खन हो पराजय विजय कखनो । सड़क जिनगी केर अहिना मंद गतिएँ अंत होमय ।। बाह्य भौतिक सुख क्षणिक थिक असल थिक अंतःकरण सुख । बाह्य सुख तँ सुखे नै थिक दुख भरल सुखरूप थिक ई ।। ***************************??

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