Thursday, November 23, 2023

बाल्यकाल

हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर ।। नै रौद-बसातक भय कनियो, बरखा-अछार-फानल-कूदल, तितली पकड़क लेल दौड़-धूप, दोस्तक सङ् मे हुड़दंग मचल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे बाल्यकाल..........।। तुरतहिं झगड़ा आ प्रेम तुरत, नै मोन मे कोनो बात टिकल, किछुओ चिन्ता ने फिकिर कथुक, मित्रक झुंडे छल स्वर्ग जकर । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे.......।। कबडी-कबडी टाइलक-पुल्ली, लुक्का-छिप्पी गोटरस-गोटरस, पोखरि-झाँखुर सौँसे रपटल, गुड्डी-बाजी मे सतत रमल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे..........।। ने बैर-द्वेष के नामो छल, ने जाति-धर्म के भानो छल, ने नीक-बेजायक ज्ञानो छल, सब दोस्ते जग मे सगरो छल । हे बाल्यकाल ! घुरि आउ हमर, हे.............।। खिस्सा नानी-नानाक सूनि, सपना के राजकुमार बनल, मायक कोरा छल स्वर्गोपरि, ओकरे सँ रूसब-बौंसब छल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे...............।। लूडो-लूडो कैरम-गोटी, गेंदक पाछू बेहाल रहल, कागत के नौका मे डूबल, खएबा-पीबा के सुधि बिसरल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे.........।। बाड़िक-केरा-बड़हर-लताम, खीरा नेबो पर सब लुधकल, कतबो बाबी-काकी बाजलि, सब आइन बिसरि कए टूटि पड़ल । हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर, हे बाल्यकाल! घुरि आउ हमर !!! *************************

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