Saturday, November 25, 2023
स्विच ऑफ मोबाइल
बात थोड़े पुरान थिक । तै समयमे हम राँचीमे रहैत छलहुँ । हम डोरंडामे छलहुँ आ हमर एकटा मित्र कडरूमे रहैत छलाह । ओ हरदम हमरा डेरा पर अबैत रहैत छलाह । चाह-पान-नश्ता हाहा-हीही खूब होइत छलैक । मुदा हमरा हुनका डेरा दिस जयबाक सुयोग नहि भेटल छल ।
एक दिन अशोकनगरमे काज छल तैं दुनू बेकती कडरू होइत गुजरि रहल छलहुँ । मित्र याद आबि गेलाह । फोन केलियन्हि तँ हुनक कनियाँ उठेली । कहलियन्हि जे लौटैत काल अहाँक डेरा पर आयब ।
अशोकनगरमे बहुत विलम्ब भ' गेल तैं घुरैत काल हुनका डेरा पर जयबामे मोन असकता रहल छल । अपन असमर्थता व्यक्त करबा लेल दोस्त के मोबाइल पर फोन लगेलहुँ मुदा नहि लागल । हुनकर कनियोंक मोबाइल पर नहि लागल ।
डेरा पर आबि अपसोच भेल जे दोस्त के नहि कहि सकलियनि, ओ व्यर्थमे बाट तकैत हेताह ।
श्रीमतीजी अनका मोनक बात जान'मे बड्ड आगाँ छथि । बाजि उठली- " कत' छी बमभोला बाबा! कियोने आहाँक बाट तकैत हेताह । एतबो ने बुझलियैक जे अहीं दुआरे दुनू मोबाइल स्विचऑफ छलैक!"
हम अबाक!!!!
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