Saturday, October 26, 2019

दीपोत्सव 27.10.19


लेस लीय' दीप
सब अपना हृदय मे,
पड़ायत अज्ञान-तम
दिव्-ज्ञान जागत ।
भरि चुकल कीड़ा-
मकोड़ा लोभ-मोहक,
होइत देरी ज्योति
सबटा दूर भागत ।।
साफ अंदर-बाहरो
बाढ़नि चलाक',
वृद्धि प्रेमक, द्वेष-
घृणा के भगाक'
स्वयं जरिक' करू
दुनियाँ के प्रकाशित,
परहितक हो भाव
स्वार्थकता मेटाक' ।।
करू लक्ष्मी-गणेशक-
वाणीक पूजन,
वृद्धि-धन, निर्विघ्न-जिनगी,
ज्ञान-बाढ़त ।
शान्ति सुख समृद्धि
खुशहालीक जीवन,
दिव्य आलोकित हृदय,
अज्ञान जारत।। 
प्रदूषित नै करू
पर्यावरण कथमपि,
फटक्का के त्यागि,
घृत-तेले जराबी I
अगरबत्ती आ कपूरक-
सुरभि सबतरि,
हरित हो दीपावली
बारुद के त्यागी II

प्रसादी मिष्टान्न-फल-
लड्डू चढ़ायब,
खूब बाँटू, स्वयं
सब भोगो लगायब I
होयत वाणी मिट्ठ तँ
संसार भरि मे,
स्नेह-मैत्रीभाव के
सगरो बढ़ायब II
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Saturday, October 12, 2019

हमर कल्पनाक दुनियाँ



हमर अछि सपनाक दुनियाँ महा अद्भुत,
स्नेहमय वातावरण अछि शान्त सगरो I
प्रेम आ सौहार्द्र अछि सबहक हृदय मे,
दुख दरिद्रा करय ने आक्रान्त ककरो II

क्यो ने सपनहुँ मे सोचय अपकार अनकर,
भरल अछि उर मे करब उपकार सबहक I
सब सुखी हो सब नीरुज, अछि कामना ई,
सब सुरक्षित हो अशिक्षा मेटय सबहक II

नारि-नर सब महाज्ञानी हो जगत मे,
धर्मरत पुण्यातमा हो सब गुणग I
क्यो ने कपटी धूर्त भेटय जगत भरि मे,
अहंकारक लेश नहीं सब हो कृतग II

भरल हो औदार्य स्त्री-पुरुष सब मे,
मन वचन कर्में पतिव्रत धर्म नारिक I
सकल नर मे पराक्रम सब शूरमा हो,
पुरुष सबटा व्रती होमथि एक नारिक II

महा दुधगरि धेनु दुग्धक बहय सरिता,
सर सरित नलकूप सब हो भरल जल सँ I
वृक्ष सबटा बोन मे फल सँ लदल हो,
खेत सगरो लहलहाइत हो फसल सँ II
****कमलजी****12.10.19*****

Friday, October 11, 2019

वाणी वन्दना



ज्ञानदे माँ हंसवाहिनि
बुद्धि निर्मल दे I बुद्धि निर्मल दे II

विद्या बल विवेक अम्बे दे,
स्वाभिमान भर दे I स्वाभिमान भर दे II

सत्य स्नेह त्याग भर दे माँ,
महा पराक्रम दे I महा पराक्रम दे II

शील विनय साहस संयम दे,
लोभ मोह हर ले I लोभ मोह हर ले II

भूल से भी माँ न हमसे,
किसी का अपकार होबे,
धर्म के पथ पर चलें हम,
चित्त पावन दे II चित्त पावन दे II
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