Saturday, October 12, 2019

हमर कल्पनाक दुनियाँ



हमर अछि सपनाक दुनियाँ महा अद्भुत,
स्नेहमय वातावरण अछि शान्त सगरो I
प्रेम आ सौहार्द्र अछि सबहक हृदय मे,
दुख दरिद्रा करय ने आक्रान्त ककरो II

क्यो ने सपनहुँ मे सोचय अपकार अनकर,
भरल अछि उर मे करब उपकार सबहक I
सब सुखी हो सब नीरुज, अछि कामना ई,
सब सुरक्षित हो अशिक्षा मेटय सबहक II

नारि-नर सब महाज्ञानी हो जगत मे,
धर्मरत पुण्यातमा हो सब गुणग I
क्यो ने कपटी धूर्त भेटय जगत भरि मे,
अहंकारक लेश नहीं सब हो कृतग II

भरल हो औदार्य स्त्री-पुरुष सब मे,
मन वचन कर्में पतिव्रत धर्म नारिक I
सकल नर मे पराक्रम सब शूरमा हो,
पुरुष सबटा व्रती होमथि एक नारिक II

महा दुधगरि धेनु दुग्धक बहय सरिता,
सर सरित नलकूप सब हो भरल जल सँ I
वृक्ष सबटा बोन मे फल सँ लदल हो,
खेत सगरो लहलहाइत हो फसल सँ II
****कमलजी****12.10.19*****

No comments:

Post a Comment