Thursday, September 10, 2020

पं0 लक्ष्मण झा, करमौली

 परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन पं0 लक्ष्मण झा आइ बहुत स्मरण आबि रहल छथि । ओ ऋषि परम्पराक प्रकाण्ड विद्वान् छलाह, संगहिं संग आधुनिकताक सेहो ध्वजवाहक छलाह । ओ व्याकरणाचार्य आ साहित्यक विद्वान् त' छलाहे, अंग्रेजी मे सेहो एम.ए. केने छलाह । यैह कारण छल जे ओ रूढिवादिता स' कोसो दूर छलाह । कतेको अवसर पर हमरा हुनकर प्रगतिवादी सोचक प्रत्यक्ष अनुभव भेल छल ।

एक बेर दुर्गापूजाक अवसर पर भसान ल' क' नवतुरिया आ प्रौढ़ सबहक बीच विभेद भ' गेलैक । विजायादशमी दिन नवतुरिया सब नाटकक आयोजन केने छल । ओ सब सोचैत छल जे मूर्तिक भसानक बाद उदासी आबि जाइत छैक तैं अगिला दिन भसान होमय । ई प्रस्ताव बुजुर्ग रूढ़िवादी लोकनि के नीक नै लगलनि । अगिला दिन भदवा पड़ैत छलैक तैं चटपट मे जल्दी स' भसान क' देल गेलैक । साँझखन बैसार मे पं0 लक्ष्मण झा नवतुरियाक पक्ष लैत बजलाह-" भगवती भदवा सब स' बहुत ऊपर छथि । जिनका सात टा वा ओइ स' बेसी सन्तान छन्हि हुनका लौकिको मे भदवा नै लगैत छन्हि, भगवतीक त' करोडों-करोड़ संतान छन्हि तँ भदवा कोना लगतन्हि ।"


एक बेर पाठशाला पर सहस्रचंडी महायज्ञक आयोजन भेल छलैक । गर्मीक मास छलैक, हवा सेहो तेज छलैक । यज्ञकुंड मे घीक आहुति मे जौ, तिल, अक्षत आदि पड़ि रहल छलैक, लुत्ती उड़लैक आ फूसक मण्डप मे आगि लागि गेलैक । 

लोकसब बहुत तरहक अफवाह, रूढ़िवादी अनिष्टक आशंका कर' लगलाह । पं0 लक्ष्मण झा माइक पकड़लाह- " अहाँ सब कनेको चिन्ता नहिं करू, आगिक स्वाभाविक प्रवृत्ति छैक जे अनुकूल वातावरण भेटला स' ओ अपन काज करबे करत । आगि मे घी, अक्षत, जौ, तिल आदिक आहुति आ हवाक तीव्र झोंका सँ स्वतः मंडप मे आगि लागि गेलैक अछि, कोनो आन बात जुनि सोचैत जाउ ।" 

सब कियो स्थिर भेलाह, आगि मिझायल, मण्डप के पुनर्निर्माण भेल, सकुशल यज्ञ सम्पन्न भेल ।


विकट स्थिति मे स्थिर भ' भीड़ के शान्त करक हुनका मे अद्भुत क्षमता छल । साधारणतया, संस्कृतक पण्डित सब मे स्वाभिमानक कमी आ लोभ अधिक परिलक्षित होइत अछि । ओ एकर अपवाद छलाह । लोभ त' साफे ने छलनि, दान-दक्षिणा लेबाक ओ बिल्कुल विरोधी छलाह । स्वाध्याय, अपन पूजा-पाठ मे लागल रहैत छलाह । पौरोहित्य मे हुनका रुचि नहिं छलनि । ककर मजाल जे हुनका मोनक विपरीत कियो हुनका कोनो काज करबा लेल बाध्य क' सकय । भू0पू0 विधान परिषद् अध्यक्ष स्व0 ताराकांत झा आयल छलाह । पं0 लक्ष्मण झा दुर्गामंदिर पर बैसल छलाह । लोकसब हुनका ताराकांतजीक ल'ग ल' जाय चाहलथि, मुदा ओ नहिंए गेलाह ।

हुनकर ई स्वाभिमान महाकवि निरालाक याद ताजा क' देलक । कवि-सम्मेलनक मंच पर निराला एक कोन मे बैसल छलाह । रामनगरक राजा मंच पर आबि रहल छथि । आयोजक आ समस्त कवि-मण्डली हुनका स्वागत मे लागल अछि मुदा निराला लेखे धनोधन सन, ओ अपना धुन मे मस्त ! अंत मे आयोजक राजा के निराला लग अनैत छथि । राजा आ निराला मे अभिवादन होइछ । आयोजक- " सरकार! ई महाकवि निराला छथि । निरालाजी! ई रामनगरक राजा साहब छथि "।

निराला-" अहाँ हिनकर की परिचय दैत छी ! हमर आ हिनकर सम्बन्ध सैकड़ों बर्ख पुरान अछि ।"

आयोजक, कवि-समूह आ राजा, निरालाजी दिस प्रश्नवाचक मुद्रा मे ताक' लगलाह ।

निराला-" हिनकर दादा के दादा के दादा, हमरा दादा के दादा के दादाक महफा उठबैत छलाह "।

हुनकर इशारा भूषण कवि दिस छल जिनकर पालकी मे राजा सब कनहा लगाक' हुनकर सम्मान बढ़बैत छलाह आ अपनो गौरवान्वित होइत छलाह ।


अखरकट्टू सब हुनका स' दूरे रहैत छल किऐक तँ ओ ओकर अशुद्धि के दस लोक मे उजागर क' दैत छलथिन्ह, ओ बेइज्जत भ' जाइत छल । तैं डींग हाँक'बला सबके ओ नै सोहाइत छलथिन्ह । ओना ओ मितभाषी छलाह मुदा उचित बात बाज' मे नहीं चुकैत छलाह । सत्य के पक्षधर आ निर्भीक छलाह । 

मुखिया चुनाव मे नॉमिनेशन मे समर्थन  लेल वैदिकजी हुनका ल' गेल छलथिन्ह । लौटिक' एलाह त' साँझ मे गप्पक क्रम मे कहलाह- " कमलजी, आइ तक हम जकर समर्थन केलिऐक अछि आ भोट देलिऐक अछि ओ हारबे केलक "। वैदिकजी सेहो सुनि रहल छलाह, ओ मुसका क' माथ पर हाथ देलाह । ओइ एलेक्शन मे ठीके वैदिकजीक जमानत जब्त भ' गेलनि ।


एक बेर सर्दी-खाँसी-बोखार भ' गेल छलनि । आराम भेला पर साँझखन दुर्गा मंदिर पर भेट भेलाह । हालचाल भेलाक बाद कहै छथि-

" एकटा तात्त्विक प्रत्यक्ष अनुभूत तथ्य कहैत छी- जते धर्म-कर्म-तपस्या-पूजा-पाठ करक हो स्वस्थे अवस्था मे क' ली, बेमार पड़ला पर नै होइछ । सात दिन तक कतबो ध्यान कर' चाहैत छलहुँ नै होइत छल, कुहर' मे नीक लागैत छल मुदा रामनाम मे नहिं । "

हुनकर तात्त्विक बात सुनि हँसी लागि गेल, कोनो छिपाव नै ।

एक दिन एकान्त मे बाजि उठलाह -

" एखन तक त' किछुओ अनुभूति नहिं भेल, तैयो लागल छी, बुढापा मे त' ट्रैक नहिने बदलि सकैत छी !"

             ऐ तरहक स्पष्ट सत्य वैह टा बाजि सकैत छलाह, बाँकी सब तँ तेना  बजताह जेना हुनका भगवानक दर्शन भ' गेल होन्हि ।

सार्वजनिक काज सब मे हुनकर बहुत योगदान रहैत छल । गामक दुर्गापूजा प्रारम्भ कर' मे हुनकर प्रमुख योगदान छल ।

हार्दिक श्रद्धांजलि !!!!!!

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