Wednesday, August 23, 2023

सत्यक साबुन

गन्दगी सँ जगतमे घिरना देखाबथि सकल जन, तेल साबुन लगा इत्रें सुवासित राखथि अपन तन । बाह्य यद्यपि स्वच्छ, पर- अन्तर हुनक कालिख भरल, किअए ने सत्येक साबुन लगा राखथि स्वच्छ मन ।। अध्यात्म के आधार जगमे स्वच्छ मोने टा रहथि । यएह तरणी होइछ जै सँ मनुज भवसागर तरथि। यएह बाहर जाय क' संसार के सर्जन करथि, स्रोत पर सुस्थिर भेने तँ स्वयं ई आत्मा बनथि ।। ******************************

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