Sunday, August 20, 2023

न्यायक नै छूति अछि ।

सबठाँ धृतराष्ट्रे भरल, न्यायक ने छुइत अछि । भीष्म द्रोणों मौन धएने, दुर्योधनक जुइत अछि ।। दुर्योधनक जुइत अछि, कुशासने चीर हरलक । कोना लाज बाँचत, प्रशासने स्वांग रचलक ।। युवा-भीम उठू झट, पिशाचे पसरल सबठाँ । चीरू छाती ओकर, दुशासने सबल सबठाँ ।। ------कमलजी------ *************************

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