Thursday, August 10, 2023

मोन नहि कखनो खाली

खाली राखब मोन तँ, भरि जायत शैतान । जँ ने रोपल खेत के, घास-फूस खरिहान ।। घास-फूस खरिहान, करी नीके नित चिन्तन । व्यर्थ ने मन हो खिन्न, रही हँसिते सब अनुखन ।। नीके राखी सोच, नकारा के जुनि पाली । चिन्तन नित अध्यात्म, मोन नहि कखनो खाली । ************************

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