Thursday, April 16, 2020

कोरोना-2

साँसो लेबक छल पलखति नै व्यस्ते सदिखन
लिलसा छल जे घ'रे बैसल रहितहुँ सदिखन
खूब गप्प-सप करितहुँ दोस्त- महीमक संगमे
ताश आर सतरंज खेलैतहुँ दोस्तक संग मे ।।

काज-धाज सब त्यागि सतत तीर्थाटन करितहुँ
सौंसे घुमिते-फिरिते सबदिन मस्ती करितहुँ
होटल सबहक खूब सुअदगर व्यंजन चिखितहुँ
जाय सिनेमा-थ्येटर नित मनरंजन करितहुँ ।।

भेटल फुरसति शर्त मुदा नहिं घूमू कत्तहु
दोस्त-महीमक संग मस्त नहिं झूमू कत्तहु
सात-फूट दूरे रहिक' हो गप्प-सड़क्का
मुँह मे जाली लगा करू क्यो हँस्सी- ठट्ठा ।।

ड्रैगन के सब लोक जगत के बारि रहल छल
चोटा गेल अहि काटक अवसर ताकि रहल छल
पठा कोरोना दुनियाँ के ओ मजा चखौलक
नाम कुकुरिया पड़लै जग मे नाम घिनौलक ।।

भारत मे ओ रोग कोरोना हारि रहल छल
नेम-टेम परहेजें सब क्यो मारि रहल छल
रास ने अयलै चैन दुष्ट जलसा क' लेलकै
उल्टा साँस लैत वाइरस के जान द' देलकै ।।

एक खुराफातीक कुकृत के भोगय सबक्यो
उखपाती जँ बन्धु तबाहे होबय सबक्यो
ग्लोबल जग रोगो क्षणभरि मे पसरि जाइत छै
केहनो दादा सब बुधियारी घोंसरि जाइत छै ।।

बाल्यकाल सँ हिलिमिलिक' रहनाइ सिखौलक
तेहन समय आयल जे सबके दूर करौलक
आर कोनो ने औषधि जाली मुख पर रखियौ
हाथ ख़ूब साबुन सँ भरिदिन धोइते रहियौ ।।

भेल शहर सुनसान सड़क पर क्यो नहिं भेटत
अपनहिं घर आनन्द करू रोगो सब मेटत
एहि अवसर के नीक चिन्तनक अवसर बूझी
देह निरुज आध्यात्म चिन्तनक अवसर बूझी ।।
**************************

No comments:

Post a Comment