Saturday, July 29, 2023

सीखी साइकिल तही दिशामे

सीखी साइकिल तही दिशामे, जही दिशा गन्तव्य अभीप्सित । जँ सीखब विपरीत दिशा तँ, लक्ष्य असंभव आर अनिश्चित ।। लक्ष्य असंभव आर अनिश्चित, शून्ये पर पुनि लौटिक' आयब । फेरो उल्टा चल' पड़त तँ, जिनगी भरि बहुते पछतायब ।। तैं तेहने अभ्यास करी नित, स्रोते पर अँटकब सब सीखी । होयत सार्थक तखन परिश्रम, प्रगतिक मंत्र यैह सब सीखी ।। *****************************

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