Wednesday, July 5, 2023

श्रेष्ठता नै जन्मसँ हो ।

भले हो प्रतिकूलता, अनुकूल ओ तकरा बनायत । ठाइन लेलक जँ मनुख तँ, किछु ने किछु क' क' देखायत ।। किछु ने किछु क' क' देखायत, श्रेष्ठता नहि जन्म सँ हो । निपुणता आ श्रेष्ठता गुण आ कला, निज कर्म सँ हो ।। दूध डाढ़ी दही मक्खन घृतादिक गुण होइछ अलगे । दाम भिन्ने रहय सबहक, सब एकहि कुल के भले ।। ********************************

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