पूजा सहजा उत्तमा,
आत्मज्ञान जिज्ञास ।
चित्त सतत हृदयस्थ हो,
करू तकर अभ्यास ।।
करू तकर अभ्यास,
अहं थिक बाधक सबसँ ।
मोहे थिक अज्ञान,
प्रेम अति जीवे सबसँ ।।
हमहीं सब जीवेमे,
जगमे आन न दूजा ।
स्रोते पर टिकनाइ,
सहज सर्वोत्तम पूजा ।।
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