रहतै लगले आयब-जायब,
बूढ़ अबस्से सबक्यो होयत ।
देह व्याधि केर मंदिर होबय,
मृत्यु अबस्से सबहक होयत ।।
मृत्यु अबस्से सबहक होयत ,
भले धनिक वा दीन जगतमे ।
जनितो ऐ सत्यक रहस्य के,
स्वीकारत नहि कियो जगतमे ।।
ककरो बिनु आछन नहि होबय,
दुनियाँ अहिना चलिते रहतै ।
द्रष्टाभावें देखी सबकिछु,
आयब-जायब लगले रहतै ।।
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