Wednesday, July 19, 2023

द्रष्टाभाव

रहतै लगले आयब-जायब, बूढ़ अबस्से सबक्यो होयत । देह व्याधि केर मंदिर होबय, मृत्यु अबस्से सबहक होयत ।। मृत्यु अबस्से सबहक होयत , भले धनिक वा दीन जगतमे । जनितो ऐ सत्यक रहस्य के, स्वीकारत नहि कियो जगतमे ।। ककरो बिनु आछन नहि होबय, दुनियाँ अहिना चलिते रहतै । द्रष्टाभावें देखी सबकिछु, आयब-जायब लगले रहतै ।।

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