Wednesday, July 12, 2023

मात्र ईशक आश

बात-ज्ञानक डाङ बिपतिक धैर्ज ध' क' सहू प्रतिदिन । जखन घूरत नीक दिन तँ, भाग जागत अहुँक एकदिन ।। भाग जागत अहुँक एकदिन, मौन मुख के सतत राखू । स्नेह हो सकले जगत सँ, नहि अनर्गल वचन भाखू ।। मात्र ईशक आश, कहियो- बिसरियो नहि आश आनक । यैह थिक भाखथि 'कमलजी' पैघ सबसँ बात-ज्ञानक ।। ******************************

No comments:

Post a Comment