जायत ने संगमे कथू,
जे जैह रोपत सैह काटत ।
स्वयं भोग' पड़य सब किछु,
आन नहि क्यो दुक्ख बाँटत ।।
आन नहि क्यो दुक्ख बाँटत,
दर्द अनकर बाँटि ली ।
चारि दिवसक जिंदगी अछि,
हँसि-खेलाक' काटि ली ।।
यैह गिट्ठ' बान्हि ली जे,
भलाकर्ता भला पायत ।
एक नेकी छोड़िक',
संगमे ने कथू जायत ।।
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