जरूरी नै लकीरेके
फकीरे बनले रही,
जरूरी नै हम पुरनके
लीक ध' चलिते रही ।
जरूरी नै परिस्थितिके
अहर्निश कोसिते रही,
जरूरी अछि कोनहुना हम
लक्ष्य दिस चलिते रही ।।
लैछ बहुतो लोक निर्णय
परिस्थितिए देखिक',
सफलतम किछु सुविग सदिखन
चलथि लक्ष्ये पेखिक' ।
दिशा पवनक बदलबाके
छैक नै सामर्थ्य ककरो,
हर्ज की तरणीक मुख जँ
करी लक्ष्ये देखिक'!!!
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