आचारक शिक्षण बिना,
कदाचार जनमैछ ।
बौद्धिकता यद्यपि बढ़य,
अहंकार बढ़बैछ ।।
अहंकार बढ़बैछ,
सत्य स्नेहक हो शिक्षण ।
त्याग तपस्या सदाचार
के होय प्रशिक्षण ।।
आदर श्रेष्ठक स्नेह छोटसँ,
नीक बेजाय विचार ।
नैतिकता के पाठ पढ़ाबी,
संस्कृत हो आचार ।।
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