Monday, June 19, 2023
पाकिटमार - 2
पाकिटमार- 2
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एक बेर पटना सँ दिल्ली जयबाक छल । पटना जंक्शनपर विक्रमशिला एक्सप्रेसमे चड़हैत काल ततेक धक्का-मुक्की भेल जे मोन चंग भ' गेल । पाकेटमारसब कृत्रिम भीड़ उत्पन्न करैत अछि जाहिसँ जेबी काट'मे सुविधा होइत छैक । गेटसँ भीतर गेला पर बेसी भीड़ नै बुझायल । रगड़ा-रगड़ीमे जोड़ लगाक' अन्दर गेलहुँ तँ किछु रुपैया खसल देखलिऐक । रुपैया उठाक' सबस' पूछ' लगलिऐक जे किनकर छन्हि मुदा कियो नै बजलाह ।
हम सोच' लगलहुँ जे लोको सब कतेक लापरवाह होइत छथि जे अपन रुपइयो-पैसोके सम्हारिक' राखल नै होइत छन्हि आ नाहकमे पाकिटमारसबके बदनाम करैत रहैत छथिन्ह । तखनहिं एकटा व्यक्ति कहैत छथि जे श्रीमान् कने अप्पन जेबी के सेहो चेक क' लेल जाय ।
हुनका बजिते हाथ जेबी पर गेल ।
अरे ई की! हमर जेबी नदारद अछि!
ई तँ हमरे रुपैया थिक आ हम अनका पूछैत छियैक!
पाकिटमार जेबी तँ काटि लेने छल मुदा हड़बड़ीमे रुपैया नीचामे खसि पड़ल छलैक ।
जानमे जान आयल । रुपैया तँ कमसँ कम भेटि गेल! जेबी तँ फेरो सिया लेल जेतैक!!
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