जगमे जे क्यो जन्म लैत अछि,
एक दिन होयत बूढ़ अबस्से ।
देह मनुक्खक व्याधिक मंदिर,
एक दिन होयत मृत्यु अबस्से ।।
एक दिन होयत मृत्यु अबस्से,
भले नृपति वा रंक रहय क्यो ।
जनितो ऐ सत्यक रहस्य, नै-
धरती पर स्वीकार करय क्यो ।।
दुनियाँ अहिना चलत निरन्तर,
अजर-अमर क्यो नहि ऐ जगमे ।
आयब-जायब लगले रहतै,
द्रष्टा बनि जीबी ऐ जगमे ।।
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